मनु की किताब
मनु की किताब


मनु के पास पढ़ने के लिए किताब और नोटबुक नहीं थी। घर पर आई तो देखा की पापा बीमार है। पापा से बोली मुझे किताब खरीदनी है। पापा ने अलमारी की तरफ हाथ से इशारा किया।
मनु अलमारी के पास गयी और उसका दरवाजा खोलने लगी। अलमारी का ताला बंद था। मनु को अलमारी की चाबी का पता नहीं था। मनु के पापा अलमारी की चाबी कही रखकर भूल गए थे। अब मनु सोचने लगी की अलमारी कैसे खोली जाए। मनु ने पड़ोस से अलमारी की चाबी लाकर ताला तो खोला लेकिन अलमारी में पैसे नहीं थे। मनु ने पापा की दवा और किताब के लिए पैसे जमा करने के लिए सोची।
वह घर से चुपचाप निकली और अपनी पुरानी किताबों को बाजार की सड़क पर सस्ते में बचने लगी। मनु की पुरानी किताबों के लिए कोई खरीददार नहीं आया। मनु घर आई पापा को सब कुछ बताया। पापा उसे कहा तुम इन किताबों पर रंग रोगन करके मंहगे भाव में बेचो।
दूसरे दिन मनु ने ऐसा ही किया। मनु के पास आज खरीददारों की भीड़ लगी हुई थी। मनु ने अपनी पुरानी किताबों से जमा किये पैसे से पापा की दवा, अपनी पढ़ने की किताब और नोटबुक खरीदी। मनु के पापा मनु जैसी बेटी को पाकर बहुत खुश थे।