मन
मन


मैंने आज मन की अपने समीक्षा की पाया पिछले कुछ दिनों से मन मेरा तमोगुण से प्रभावित हुआ सुस्ती आलस्य और भ्रम में डूबा हुआ फिर सोचा माना परिस्थितियां अनुकूल नहीं सब कुछ बंद, रुका और ठहरा हुआ पर क्या सूरज रुका, या रुका चन्द्रमा और क्या रुकी हवा।
मुझे कर्मो को छोड़ना नहीं गति को बनाए रखना है खुद को व्यस्त करना है।
धीरे धीरे परिस्थितियों अनुकूल हो जाएंगी यानि कि रजोगुण को लाना है फिर अपने भोजन और वातावरण से सतो गुण में इस मन को पहुंचाना है यानि खुद को प्रफुल्लित और हल्का फुल्का रखना है।
अपना हौसला बनाए रखना है खुद को विश्वास दिलाना है।
ये कठिन समय कट जाएगा ना रुका है, ना ही रुक पायेगा संसार यू हीं चलता जाएगा। अपने मन में इन तीनों गुणों का समन्वय बैठाना है मनन चिंतन में समय बिताना है।