कोशिश बहुत की
कोशिश बहुत की
हमने कोशिश बहुत की कहानियां लिखने की। पर हाए रे मजबूरी। दिमाग का कोटा जल्दी ही चुक गया। मुझे तो लगता है कि पिछले दिनों कुछ ग्रहों का मिलान ऐसा था कि कलम ने कुछ शब्दों को जोड़ तोड़ कर कहानी बना दी। साथ मे कुछ अपना जिन्दगी का अनुभव। बस अब हम चुक गए यारों। कल्पना शक्ति कुछ ऐरा गैरा सोच ही नहीं पाती। जब तक कुछ अच्छा और कुछ बुरा नहीं जोड़ेंगे, किसी के बारे में तो कहानी कैसे बनेगी। 2,4 बार कोशिश भी की। अपनी ही नज़रों को नहीं जमी तो दूसरों का क्या जमेगी यही सोच मिटा दी। अब इस उम्र में बचकानी कहानी लिखी नही जाती और हमारी उम्र सत्संग वाली। वो आज कल के पाठकों को जमती नहीं। इसलिए अब हम कहानीकार के पद से इस्तीफ़ा दे रहे है। हमको भैया इसी चक्कर में बहुत से राइटर लोग फ्रैंड बना लिए। अब सब पछता रहे होंगे। तो दोस्तों fb पर जाकर सेटिंग सही कर हमको अनफॉलो कर सकते हैं। हम बुरा नहीं मानेंगे।