सपनों की दुनिया
सपनों की दुनिया


सपनों की भी एक अनोखी दुनिया होती है।
मैं नहीं जानती क्यूं मैं बहुत सपने देखती हूं। मेरे माता पिता का मानना है, चूंकि मैं सोती बहुत हूं इसलिए मेरे साथ ऐसा होता है परन्तु मेरे पतिदेव का कहना है कि सपने तो सबको आते हैं पर तुम उनके बारे में सोचती बहुत हो।
एक राज कि बात बताऊं आपको, मेरे सपने में अमिताभ जी बहुत आते हैं। मैं उनके साथ कुछ लिखाई पढ़ाई का काम करती हूं। मैंने ये विचार किया, जिन दिनों मेरे पति बरेली मैं पोस्टेड थे, वहां हमें बहुत बड़ा और पुराना सरकारी आवास मिला था।चारों ओर पेड़ ही पेड़ थे। मेरे दोनों बच्चे बाहर थे। कुछ ग्रहों की दशा भी होगी शायद।
मेरा ध्यान और प्रभु सिमरन में मन लगता था। उन दिनों में अक्सर ये सपना देखती थी कि मैं हवा में उड़ रही हूं या चलते चलते उड़ने लगती और काफी दूर पहुंच जाती पर जब कि कुछ दिनों बाद मैंने ये सपना भी कई बार देखा कि मैं उपर से नीचे गिर रही हूं परन्तु ये भी था कि मैं कभी धड़ाम से नीचे नहीं गिरी।
जब भी गिरती दोनों हाथों से बेलैंस बनाकर धीरे धीरे आराम से संभल कर गिरती थी। अपने स्वर्गीय रिश्तेदारों को भी सपने में कई बार देखती हूं। कई बार डरावने सपने भी देखती हूं परन्तु सपने में भी मैं अपने पति को दूसरी औरत से बात करते या उसे देखते हुए बर्दाश्त नहीं कर पाती हूं।
बस आज इतना ही, बाकी फिर कभी।