मिठाई का डिब्बा भाग - 1
मिठाई का डिब्बा भाग - 1
"शनाया, जल्दी से तैयार हो जा। स्कूल के लिए देर हो रही है" अविका ने अपनी छोटी बहन शनाया से कहा। अविका कक्षा 12 और शनाया कक्षा 10 में एक ही स्कूल में पढती थीं। इसी साल उनकी मम्मी ने उन्हें "एक्टिवा" दिलवा दी थी जिससे स्कूल आने जाने में उन्हें कोई परेशानी नहीं हो और समय की बचत भी हो सके।
"अभी आई दीदी। बस दो मिनट"।
"तेरे कारण मैं रोज स्कूल देर से पहुंचती हूं । तुझे तो कुछ फर्क नहीं पड़ता है, मगर मुझे तो पड़ता है ना। कल से तू अपना कोई और बंदोबस्त कर लेना। मैं नहीं ले जाने वाली तुझे अपने साथ"। अविका ने गुस्से से कहा
"देखो न मम्मा , दीदी किस तरह रौब झाड़ती हैं मुझ पर। जब देखो तब डांटती ही रहती हैं। प्यार से तो कभी बात ही नहीं करती हैं"। शनाया ने मम्मा से शिकायत करते हुए कहा।
"ये तो सच कह रही हैं शन्नो दीदी। आजकल बड़ी दीदी की नाक पर गुस्सा धरा ही रहता है। जब देखो तब डांटने में लगी रहती हैं"। अब छुटकी भी कूद पड़ी थी मैदान में। वह कक्षा 5 में पढ़ती थी।
"क्या बात है बेटा ? कोई परेशानी है क्या ? आजकल मूड क्यों उखड़ा रहता है तेरा ? पहले तो तू हरदम हंसती रहती थी।मगर मैं देख रही हूं कि पिछ्ले कुछ दिनों से तुम उखड़ी उखड़ी सी रहती हो। किसी लड़के वड़के का कोई चक्कर वक्कर तो नहीं है ना" ? पुष्पा देवी ने मुस्कुराते हुए कहा।
मम्मी की यह बात सुनकर अविका और भी उखड़ गई "आप तो रहने ही दो मम्मा। अब आपसे क्या बात करूं मैं ? आप भूल रही हैं कि आपकी बेटियां अब बड़ी हो गई हैं। अब बस करो और मेरा मुंह मत खुलवाओ, मम्मा"। और अविका पैर पटकते हुए घर से बाहर आ गई। सभी लोग भौंचक होकर उसे जाते हुए देखते ही रह गए। शनाया जल्दी से दौड़कर एक्टिवा पर जा बैठी नहीं तो अविका उसे छोड़ ही जाती घर में आज।
छुटकी को बुखार आ रहा था इसलिए वह स्कूल नहीं गई। पुष्पा देवी अपने घर के काम में व्यस्त हो गई और छुटकी कार्टून चैनल देखने में।
इतने में घंटी बजी। "छुटकी देखना जरा कौन है" ? पुष्पा ने किचन से ही छुटकी को कहा।
"अभी देखती हूं मम्मा"। और छुटकी ने दरवाजा खोल दिया। दरवाजे पर दो लड़के खड़े थे जिनके हाथ में एक मिठाई का डिब्बा , एक बूके और एक केक था।
"आपकी मम्मी घर पर हैं क्या" ? उनमें से एक मूंछों वाले युवक ने पूछा
"हां हैं, मगर आप लोग कौन हैं" ?
"बेटे आप हमें नहीं जानते हो पर आपकी मम्मी हमें जानती हैं। उन्हें बुलवा दीजिए, प्लीज"।
"मम्मा, आपसे कोई मिलने आया है। एक बार आकर देख लो"
"अभी आई बेटा। जब तक तू उन्हें ड्राइंग रूम में बैठा दे"। किचन से पुष्पा देवी ने कहा।
छुटकी ने उन्हें ड्राइंग रूम में बैठा दिया। इतने में पुष्पा देवी भी हाथ पौंछते हुए आ गईं। पुष्पा देवी को देखकर वे दोनों युवक खड़े हो गए। उन दोनों के सुगठित बदन को देखकर पुष्पा देवी प्रसन्न हो गई और उनके होठों पर एक मुस्कान खेलने लगी मगर वे दोनों लड़के अजनबी थे उसके लिए।
"माफ करना मैं आप लोगों को पहचान नहीं पाई"। पुष्पा ने बात आगे बढाई।
"जी, हमें गोपाल जी ने भेजा है। आज आपका जन्मदिन है ना। इसलिए उन्होंने ये मिठाई, बूके और केक भिजवाया है। लीजिए"। और उन्होंने वह सामान पुष्पा देवी को दे दिया।
"अरे वाह। गोपाल ने कोरिया से भिजवाया है ये सब ? कितना खयाल रखता है वह अपनी ताई का। हमारे घर की शान है गोपाल। उसे मेरी ओर से बहुत बहुत धन्यावाद कहना। मैं फोन से बात भी कर लूंगी उससे"।
ऐसा कहकर पुष्पा देवी सारा सामान लेकर अंदर जाने लगी। इतने में "धांय" की एक आवाज ने छुटकी को चौंका दिया। छुटकी ने देखा कि उसकी मम्मा नीचे फर्श पर पड़ी हुई हैं और उनके सिर से खून निकल रहा है। मिठाई फर्श पर बिखर गई है और बूके तथा केक फर्श पर पड़े हैं। यह नजारा देखकर वह डर के मारे जोर से चीख पड़ी। दोनों युवक वहां से जा चुके थे।
आस पड़ोस में कोहराम मच गया। पूरे मौहल्ले में यह खबर आंधी की तरह फैल गई। किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस तुरंत ही मौके पर पहुंच गई। घर आकर पुलिस ने अविका को फोन करके घटना की जानकारी दी। अविका और शनाया दोनों दौड़ी चली आई। घर का नजारा देखकर शनाया तो बेहोश हो गई। अविका भी स्तब्ध रह गई मगर उसने अपने आपको संभालने की कोशिश की और छुटकी को गोद में चिपका लिया।
पुलिस ने अपना काम आरंभ कर दिया। अविका के चाचा दक्षिण कोरिया में रहते थे और ताऊजी दुबई में। यहां दिल्ली में तो बस बुआजी और फूफाजी ही रहते थे। कोरिया और दुबई से उनको आने में टाइम लगता इसलिए अन्तिम संस्कार बुआजी, फूफाजी ने ही कर दिया था।
पुलिस ने इस केस की जांच शुरू कर दी। पुष्पा देवी को कौन मारना चाहता था ? इससे उसे क्या लाभ मिलने वाला था ? कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वो दो आदमी कौन थे , इसका पता भी नहीं चल पा रहा था। छुटकी अभी बहुत छोटी थी इसलिए वह उन लड़कों का हुलिया भी सही ढंग से नहीं बता पा रही थी और वह अभी तक डरी हुई भी थी।
पुलिस ने अविका से उनकी कोई रंजिश या दुश्मनी के बारे में जानकारी करने की कोशिश की तो अविका ने बताया "उनका विवाद ताऊजी और चाचाजी से चल रहा है प्रॉपर्टी को लेकर। ताऊजी और चाचाजी ने उनका गांव वाला पुश्तैनी मकान दबा रखा है जिसके संबंध में एक मुकदमा उनकी मम्मा ने दर्ज करा रखा है और वह अभी भी चल रहा है कोर्ट में। संभवतः यह हत्या उन्होंने ही करवाई हो" ? अविका ने शंका प्रकट की। पुलिस ने इस एंगल पर काम करना शुरू कर दिया।
एक टीम कोरिया तो दूसरी टीम दुबई रवाना कर दी गई । तीसरी टीम दिल्ली में ही छानबीन कर रही थी। कोरिया और दुबई से दोनों टीमें खाली हाथ वापस आ गई। फोन कॉल्स खंगालने पर पता चला कि उनकी भारत में पिछले दो महीनों में कोई बात नहीं हुई थी। केवल बुआजी और फूफाजी से ही बातें हुई थी। अगर कोई व्यक्ति कोरिया या दुबई से मर्डर करवायेगा तो किसी न किसी को सुपारी तो जरूर देगा और पैसे का लेन-देन भी करेगा। बिना पैसों के लेन देन के कोई भी सुपारी किलर क्यों काम करेगा ? उनके सारे बैंक अकाउंट की छानबीन कर ली गई मगर पैसों के लेन-देन का कोई मामला सामने नहीं आया। तब अविका ने कहा "हो सकता है कि हवाला के द्वारा यह लेन-देन हुआ हो " ?
दिल्ली के सारे हवाला कारोबारी भी चैक कर लिए मगर कुछ हाथ नहीं लगा। इस केस की गुत्थी ऐसी उलझी हुई थी कि सुलझने का नाम ही नहीं ले रही थी। पुलिस बड़ी परेशान थी। अधिकारियों का दवाब भी बढता जा रहा था मगर हाथ कुछ नहीं लग रहा था।
लोकल टीम ने मौहल्ले के सारे सीसीटीवी देख लिये। एक सीसीटीवी में दो युवक बाइक से आ और जा रहे दिखाई दे रहे थे। मगर उनके चेहरों पे हेलमेट होने के कारण उन्हें पहचान पाना असंभव हो रहा था। अब शक की सुंई उन दोनों युवकों पर ही आकर टिक गई थी। उनकी पहचान अब केवल कपड़ों से ही हो सकती थी। बाइक का नंबर भी नहीं दिख रहा था।
पुलिस ने उन दोनों युवकों का वह छोटा सा वीडियो वायरल कर दिया था जिससे उन युवकों का कोई सुराग कोई भी व्यक्ति दे सके। मगर पुलिस को अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा था । पुलिस यह मान बैठी थी कि इस केस में कोई दम नहीं है इसलिए वह दूसरे केसों पर ध्यान देने लगी थी।
एक दिन थाने पर एक लड़की आई और उसने एक लड़के जिसका नाम रवीश कुमार था के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई कि वह लड़का उसे स्कूल में रोज आते जाते छेड़ता है। सीटी बजाता है। फब्तियां कसता है। अत : उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
थानेदार विनय इसकी तफ्तीश के लिए रवीश कुमार के घर पहुंचा। घर में जब रवीश कुमार से बात की गई तो उसने बताया कि वह लड़की आशना उस पर झूठे इल्ज़ाम लगा रही है। वस्तुत : बात यह है कि वह आशना से पहले प्रेम करता था मगर अब नहीं करता है। बस, इसी बात से चिढ़कर उसने यह रिपोर्ट लिखवाई है।
शेष अगले अंक में।
