मिस मानवी
मिस मानवी
कहते हैं जो स्टूडेंट मैथ्स में इंटेलीजेंट होता है वह लाइफ के हर फील्ड में इंटेलीजेंट होता है और मैथ्स में तो सुपर ब्रेन थी मेरी सबसे काबिल स्टूडेंट मिस मानवी शर्मा ।
मानवी ही तो थी जिसकी वजह से मैं आगे पढ़ने के लिए प्रेरित हुआ था । मुझे आज भी याद है वह दिन जब मैं पहली बार स्कूल में पढ़ाने के लिए गया था । सारी क्लासेज खत्म करने के बाद मैं कुछ थक सा गया था और एक कुर्सी पर आराम से बैठा हुआ था तब मानवी ही थी जो दौड़कर मेरे पास आई थी और उसने मुझ से कहा था कि सर आप बहुत अच्छा मैथ्स पढ़ाते हो और यह बताइए कि आपके सब्जेक्ट्स के लिए न्यू नोट्स बनाऊं या पुराने नोट्स में आपका पढ़ाया हुआ नोट करूं ?
सच कहूं तो उसके कहे वाक्य मेरी लाइफ के लिए सबसे बड़े टर्निंग प्वाइंट थे क्योंकि मैं तो उस समय मैं तो खुद को बिल्कुल बेकार ही समझ बैठा था । एम.एससी करने के बावजूद मुझे यह समझ नहीं आरहा था कि मेरे जीवन की दिशा क्या होनी चाहिए ? जब मैंने खुद के बारे में मानवी की ये बातें सुनी तो मुझे अपना महत्व समझ आया और मैंने निर्णय लिया कि अब मैं दिल्ली जाकर जेएनयू से पी. एचडी. करूंगा ।
मानवी इस साल बारहवीं के एग्जाम्स देने वाली थी और और अच्छे मार्क्स लाने के लिए उसने मेरे साथ खूब मेहनत करना शुरू कर दिया था । मैं पढ़ाने के साथ साथ एक वीकली टेस्ट भी लेता था जिसमें मानवी हमेशा अव्वल आती थी । मेरी कही हर बात को वह मानती थी । एक ही तो सपना देखा था उसने .......आईएएस अधिकारी बनने का ,जिसके लिए वह खूब मेहनत कर रही थी ।
जुलाई से कब अगस्त आया और कब अगस्त से जनवरी पता ही नहीं चला ।
मानवी मेरे बारे में इस बात को जानती थी कि मैं इस साल पीएचडी करने के लिए दिल्ली चला जाऊंगा और वह भी बोर्ड एग्जाम्स के बाद अपनी आगे की पढ़ाई में व्यस्त हो जाएगी और हमें शायद ही फिर कभी लाइफ में मिलने का मौका मिलेगा ।
फरवरी का महीना लग चुका था और मानवी के बोर्ड एग्जाम्स में सिर्फ एक महीना बचा हुआ था लेकिन मानवी अब पढ़ाई से जी चुराने लगी थी । मेरे प्रति भी मानवी के व्यवहार में बदलाव आना शुरू हो चुका था । अब वह मेरी कही बातों को नहीं मानती थी । हद तो तब होगई जब हर बार के वीकली टेस्ट में फर्स्ट आने वाली मानवी इस बार के वीकली टेस्ट में फेल हो गई थी ।
एक होनहार लड़की के इस तरह के व्यवहार को देखकर मैं हैरान था और मेरा उसके बारे में चिंतित होना लाजिमी था लेकिन मुझे उसके इस बदले हुए व्यवहार का कारण समझ नहीं आरहा था ।
अगले ही दिन मेरी उसके पापा से मुलाकात हुई तब उसके पापा ने मुझ से कहा था कि हम अपनी बिटिया को आगे नहीं पढ़ाएंगे । अब मुझे समझ आचुका था कि मानवी क्यों अपनी पढ़ाई से जी चुरा रही थी ? मानवी मल्टीटैलेंटेड थी और उसकी स्टडी के प्रति उसके पापा की उदासीनता देखकर मेरे मन में बहुत सारे सवाल उमड़ने लगे थे ।
आखिर क्यों हम में से ज्यादातर भारतीय लोग लड़कियों के उत्थान के प्रति इतने उदासीन होते हैं ? आखिर क्यों हर लड़की की एजुकेशन उसके माता पिता की कृपा पर निर्भर करती है ? आखिर क्यों शादी के बाद हर लड़की के सपने उसके पति के रहमोकरम पर निर्भर हो जाते हैं ? आखिर क्यों हर लड़की को अपने सपने जीने की आजादी नहीं होती ? जिन लड़कियों में चंदा कोचर , शिखा शर्मा, लता मंगेशकर , मिताली राज , पीवी सिंधु , साइना नेहवाल, हिमादास ,अमृता प्रीतम , महादेवी वर्मा बनने की योग्यता होती है आखिर क्यों वे अपनी पूरी जिंदगी एक आम गृहिणी के रूप में बिताने को मजबूर हो जाती हैं ?
अब मेरे प्रति मानवी का व्यवहार और भी अजीब हो चुका था क्योंकि वह अब मेरी हर बात का उल्टा करने लगी थी । अगर मैं कहता कि आसमान का रंग नीला होता है तो वह कहती कि नहीं सर लाल होता है । अगर में कहता कि यह भिंडी की सब्जी है तो वह कहती कि नहीं यह आलू की सब्जी है । मुझे बिल्कुल समझ नहीं अारहा था कि वह ऐसा क्यों कर रही है ?
एक दिन मैंने उसके इस अजीब व्यवहार से तंग आकर उससे कहा कि आपने तो मेरी हर बात का उल्टा करने की कसम खायी है तो उसने कहा कि हां खाई है लेकिन किसकी खाई है नहीं बताऊंगी । मैंने झल्लाकर जवाब दिया कि भगवान ने आपको किसी के घर की रोटियां बनाने नहीं भेजा बल्कि एक अच्छे लेवल का अधिकारी बनने के लिए भेजा है तब उसने भी मुझे झल्लाकर जवाब दिया कि नहीं बनना मुझे आईएएस अधिकारी क्योंकि दुनिया का हर इंसान आपकी तरह से नहीं सोचता और हां मैं तो अपने ससुराल में ढेर सारी रोटियां बनाया करूंगी और मेरा पति शराब पीकर मेरी पिटाई भी लगाया करेगा । उसकी इन बातों को सुनकर मैं निशब्द हो गया था । मैं कभी रोता नहीं था लेकिन पता नहीं क्यों आज उसकी बातों को सुनकर मेरी आंखों में आंसू आगए थे ।
बाहर तेज बारिश शुरू हो चुकी थी इसके साथ ही तेज हवा भी चलने लगी थी । स्कूल के पिछवाड़े में खड़े पीपल के पेड़ के पत्ते तेज हवा चलने की वजह से बहुत तेज़ आवाज़ कर रहे थे । मैं खिड़की के पास जाकर उस पीपल के पेड़ को देखने लगा था ।ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे तेज़ आवाज़ करता पीपल का पेड़ बहुत ज़ोर- जोर से विलाप कर रहा है और उसके पत्तों पर पड़ने वाली बारिश की बूंदें आंसुओं के रूप में नीचे जमीन पर टपक रही हैं ।
स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी । क्लास के सारे बच्चे बारिश का आनंद लेने के लिए क्लासरूम से बाहर निकल कर बरामदे में आगये थे लेकिन मानवी क्लासरूम की पीछे वाली खिड़की, जो पूरी तरह से खुली हुई थी , के पास चुपचाप बेंच पर बैठी हुई थी । उसने अपनी दोनों कोहनी टेबल पर टिकाई हुई थीं और अपने दोनों हाथों को उसने अपने गालों पर रखा हुआ था । उसकी आंखों पर नजर का चश्मा लगा हुआ था और वह उम्मीद भरी निगाहों से मेरी ओर ही देख रही थी ।
अचानक से तेज़ हवा का झोंका बारिश के पानी के साथ खिड़की से होकर अंदर आया । मेरी आंखें पूरी तरह से बंद हो चुकी थीं । बारिश के पानी की वजह से मैं और मानवी दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे । सहसा मैं भावनाओं की दुनिया से निकल कर बाहर आया और सोचने लगा कि नहीं ......नहीं..... मैं तो मैथ्स टीचर हूं जो सिर्फ और सिर्फ यथार्थ पर ही यकीन रखता है । मेरे मन में भावनाओं के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता ।
मैं बहुत तेज़ी से कमरे से बाहर बरामदे में निकला । मैं पूरा भीगा हुआ था और स्कूल के सारे अध्यापक व बच्चे मेरी ओर ही देख रहे थे । मैं बरामदे से बॉथरूम की तरफ बहुत तेज़ी से भागा जा रहा था । बाथरूम में घुस कर मैंने उसके दरवाजे की कुंदी को अंदर से बंद कर लिया था ।
मैं नल के नीचे बार बार अपने चेहरे को धोकर अपने आंसुओं को छिपाने की कोशिश कर रहा था लेकिन आंसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ।
