Meenakshi Kilawat

Drama

5.0  

Meenakshi Kilawat

Drama

मेरी कविता

मेरी कविता

1 min
720


मेरी कविता खुशनुमा महल

घुमती है डगर दर डगर

शबनमी रंगो की ओढ़े चुनर

मंडराती है ये नगर नगर।


कविता है मेरी दिलोका स्पंदन

मदमस्त सपनो का है दर्पन

चाॅद सितारो का मिलन

सुबह की सुरज की तपन।


कविता सागर की लहरोमें

प्रेम भरे इजहारो में

नये नये शब्दो के जालो में

ये आसमानी सितारों में।

 

कविता होती है जलजला

होती है हौसलौ भरा तुफान

बुलंद इरादो का ताजमहल  

देशकी गाथाका है यह गुनगान।


कविता बादलो की झुरमुट में

बरसती बरसाती बुंदो में

छोटी बातो में हंसीमे रुलाई में

कोयल की चहक भरी बोली में।


कविता मेरी हरी-भरी हरीयाली में

बागिया की खुशबू बहारो में

सृजन और संवेदना में

दु:ख दर्द सच और झूठ में।।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama