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Rupesh Kumar

Tragedy

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Rupesh Kumar

Tragedy

मेरे जीवन के कुछ अधूरे शब्द

मेरे जीवन के कुछ अधूरे शब्द

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जीवन में मुझे कुछ शब्दो से काफी नारजगी मिली जो कभी पूरा हुआ ही नहीं भले उसे किसी तरह उपयोग किया जाये अगर हुआ भी तो सिर्फ भाग्यवालों का ही ! जैसे - रिश्ता , ज़िसमें कभी ना कभी मनमुटाव आ ही जाता है। कैसा भी रिश्ता हो माँ से बेटा का , पिता से बेटा का , चाचा से भतीजा से , भाई से भाई का , बहन से भाई का प्रेमी से प्रेमिका का रिश्ता । जैसे हाल ही में बहुत घटना पेपर , टी.वी पर सुनने कोमिलता है , आरूषी तलवार का रिश्ता माँ बाप का रिश्ता ! इसी प्रकार प्यार य़ा प्रेम का रिश्ता जो जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण ही पूरा होता है खास तौर पे देखा जाये तो अधूरा ही होता है। जैसे प्रेमी प्रेमिका , माता पिता , भाई बहन इस आधुनिकता में अधूरा एक शौक हो गया है ।जैसे लैला मजनु का रिश्ता , शीरी फरहाद का रिश्ता आदी ! अगला ले ले तो ज़िन्दगी ये तो कभी पूरा किसी का हुआ ही नहीं क्योकि अक्सर सुनने में आता है की ये इतने दिन ही जीवित रहे , ये सोच रहे थे पूरा नहीं कर पाये , ये करने गए थे नहीं किताब लिख रहे थे अधूरा छोड़कर चल बसे, इस प्रकार की अनेको बात सुनने को मिलतीं हैं तात्पर्य यही ना है कि ज़िन्दगी में किसी का स्वपन पूरा नहीं हुआ ... बच्चो में अक्सर सुनने को मिलता है कि मैट्रीक , इंटर का रिज़ल्ट अच्छा नहीं आया आत्म हत्या कर लिया , य़ा सरकारी नौकरी की तैयारी करता था मेंहनत करने पर भी अच्छा रिज़ल्ट नहीं आया य़ा ज़िसमें चाहा नहीं हुआ आत्म हत्या कर लिया ! ये नौजवानो , छात्रो में हमेंशा सुनने को मिलता है जैसे डॉ कलाम जो vision 2020 देखना चाहते थे , रावण जो स्वर्ग में सिठी लगवाना चाहता था , दामिनी जो ज़िन्दा रहकर ड्राक्टर बनना चाहती थी , और अनेको छात्र जो हर साल मई, जून के महीनो में आत्महत्या करते हैं और कुछ अप्रैल के महीने में कुछ मैंट्रिक , इंटर के रिज़ल्ट के बाद और कुछ सिविल सर्विस के रीज़ल्ट के बाद।दिल्ली में य़ा एलाहाबाद के डेथ ऑफ़ रिवर वो है फरिश्ता ज़िससे मिलना हर कोई चाहता है लेकिन कोई मिल नहीं पाता है आम इंसान से लेकर साधु संत तक लेकिन किसी को मिले नहीं मिले उसी को जो ये आधुनिक जीवन जैसे स्वामी विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस इत्यादी अन्यथा सभी साधु संत झूठ का ज़रिया बनाकर लोगो का शोषण कर रहे है !




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