मेरा क्या कसूर??
मेरा क्या कसूर??
आज से लगभग 12 साल पहले की बात है। एक बहुत खुशहाल परिवार था। एम सी के चुनाव हुए, परिवार का बड़ा भाई उम्मीदवार के रूप में उठा। भाग्य से वह जीत भी गया। परन्तु उनके विपक्ष में जो उम्मीदवार खड़े हुए थे , पराजय के बाद आपस में रंजिश रखने लगे ।आपस में बैर इतना बढ़ गया की मौके की तलाश में रहने लगे।
विजयी परिवार का छोटा भाई चंडीगढ़ नौकरी करता था। उसकी बहुत ही सुंदर बेटी थी ।अपने पिता को प्रतिदिन रात को को 8:00 बजे पिपली लेने जाती थी। परंतु एक दिन दुर्भाग्य से उसका पीछा गाड़ी में बैठे कुछ व्यक्तियों ने किया। उसके पैर पर एक डंडा फेंक कर मारा जब वह गिर गई तो उसकी मदद करने के बहाने उसको गाड़ी में डालकर कहीं दूर ले गए। वहां देखने वाले लोगों को लगा कि वे उसको हॉस्पिटल में लेकर जा रहे हैं। लेकिन वह हॉस्पिटल की बजाए वे उसको कहीं दूर करनाल के पास खेतों में लेकर चले गए। जब उसके पिताजी इंतजार करके आटो से घर आने लगे तो रास्ते में भीड़ को देखकर उनकी भी जिज्ञासा हुई कि क्या हुआ देखा जाए ।जैसे ही वह देखते अपनी स्कूटी और अपनी बेटी के सेंडल को पहचान लेते हैं। और बहुत दुखी हो कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हैं। पुलिस वाले भी जि और जान से जांच पड़ताल शुरू कर देते हैं ।बड़ी मशक्कत के बाद अगले दिन करनाल के खेतों में एक लड़की की लाश मिलती है और और उसका शरीर जगह-जगह से सिगरेट से फूँका हुआ है और उसके साथ बलात्कार भी हुआ है। पुलिस के सूचना देते उस का परिवार वहां जाकर शि -नाख्त करता है और अपनी बेटी को पहचान लेता है पूरा परिवार शोकाकुल होता है। पुलिस की कार्रवाई होती है पुलिस धीरे-धीरे अपराधियों तक पहुंचती है तो अपराधी वहीं विपक्ष वाले होते हैं जो चुनावी रंजिश के लिए एक लड़की का बलिदान चढ़ा देते उनको सजा होती है । अब मैं आपसे पूछना चाहती हूं आखिर उस लड़की का क्या कसूर था। आज भी वह मासूम चीख चीख कर कहती है आखिर मेरा क्या कसूर था मेरा क्या कसूर था ???
( सच्ची घटना )
