मैंने बस तुम्हें चाहा है
मैंने बस तुम्हें चाहा है
उन्होंने पूछा, क्यों कागज़-कलम में खोये रहते हो??
तुमने क्या देखा है... जो हर वक्त लिखते रहते हो!!!
मैं कुछ देर मुस्कराया, और बोला...
मैंने तुम्हें देखा है, तुम्हारे आँखों को देखा है,
आँखों में तारों की चमक को देखा है।
तुम्हारे गालों को छूकर जाती ठंडी हवाओं को देखा है,
तुम्हारे बालों की लटों को देखा है,
लटों को कान के पीछे ले जाती इन हाथों को देखा है।
तुम्हारे हर बातों को अपने धड़कते दिल से सुनते देखा है,
तुम्हारी तारीफ करते दिल को, दिमाग से लड़ते देखा है।
अपने आँखों को हमेशा तुम्हारे अक्स को ढूंढते देखा है,
मैंने खुद को बस तुम्हें,और सिर्फ तुम्हें चाहते देखा है।
_____अमरेश
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