मासूम सर्दियों का मौसम
मासूम सर्दियों का मौसम
ठंड भरे दिनों में उस ठंडी जगह पर वो कांप रहा है कापते सिकुड़ते वो छोटा सा जीव पार्किंग मे घुस गया, उसके पीछे शोर मचाते बच्चे भाग रहे हैं.
जब उसने ये नज़ारा देखा
देखते ही अमित सर्द हो गया, वो काला सफ़ेद सा प्राणी अंधेरी जगह में कुई कुई ss सा कर रहा था. अमित ने उसे हल्के से उठाया और बच्चो से पूछा इसे कहाँ से पकड़ कर लाए?
"हम नहीं पकड़त हैं अमित भैया इसे इसकी माँ मर गई ये अकेला ही बचा है!"एक बच्चे ने बताया
वो!!
"ये तो बहोत बुरी बात हुई"ऐैसा कहते हुए अमित ने उसे उठाया, और अपने फ्लैट मे लेकर आया
कितने निर्दयी लोग होते हैं जो इस सर्दी के मौसम में इसे मरता हुवा छोड़ दिया.ऐसे लोगों को सूली पर चढ़ा देना चाहिए, सोचते सोचते उसने उसे दूध दिया.
वो चट चट आवाज़ कर पी रहा था और अमित उसे गौर से देख रहा था काला रंग और नीचे से सफ़ेद धब्बे छोटी सी हिलती पूछ, घनी आँखे, इतुसे दात और नाक
और और और...
ये क्या?
इसके शरीर पर तो छोटे छोटे कीड़े रेंग रहे है! कल ही इसे किसी पशु दवाखाने में दिखाना होगा, फिर अमित ने ऑफिस कलिग् को फोन कर कल की छुट्टि डाल दीऔर एक बॉक्स मे उपर का ढकन् खुला रख के उसे वहाँ डाल दिया और उसके उपर से गर्म चादर ओडमासूममासूम घनी आँखे बंद कर शांत सा सो गयाफिर अमित ने घर के सारे लाइट ऑफ कर दिये, दिनभर मार्केटिंग के काम से बहोत थक गया था सो वो नींद के आहोश मे चला गया
करीब रात के दो बजे...
कुई ss कुई ss कुई sssऔर वो जोर जोर से चिल्लाने लगा,अमित जड़ आँखों से वहाँ तक गया
पिल्ले ने मूत्र विसर्जन कर दिया था, बॉक्स से बाहर जमीन पर मूत्र ही मूत्र फैला था उसे अमित ने पानी डाल कर एक कपड़े से साफ़ कियातबतक वो पिल्ला इधर उधर घर मे घूम रहा था उसे फिर से उठा के बॉक्स मे रख दिया और अमित सो गया...
आधे घंटे बाद..
फिर से... कुई ss कुई ss
अब उसने टॉयलेट एक प्रेम कथा रचा दी थी.. फिर से ठंड खाते वक़्त वही सब अमित ने रिपिट कर दियायही सिलसिला सुबह के पाँच बजे तक चलता रहा अमित का सर दर्द कर रहा था उसने टैबलेट ली और सामने देखा..
मासूम पिल्ला सामने मूत्र विसर्जन कर के बॉक्स मे जा रहा हैं..
कल से तो मुझे ऑफिस जाना पड़ेगा ये यहाँ अकेले कैसा रहेगा और इसकी उम्र को ध्यान मे रखते हुए इसे बाहर भी तो नहीं छोड़ सकता नहीं तो गली के कुत्ते इसे जिंदा ही चबा जायेंगे"
नहीं बिलकुल नहींएक आईंडिया एनिमल शेल्टर को खबर कर देता हूं.उसने फिर वैसा ही किया
वहाँ से जवाब ना आयाफिर पशु ओ की मदत करने वाले हेल्प सेंटरवहाँ से भी जवाब ना ही आया..
बारह बजे
अमित उसे दवाखाने लेकर गया
बंद...
साला क्या पनोती है! अमित बोल पड़ा
फिर वो दोनों वापस घर आये दिनभर वही सब चलता रहा जो रात मे भुगतना पड़ा था
अब हद हो गई...
रात के आठ बज रहे थे..
बाहर राक्षसी ठंड पड़ी हुई, वो मासूम चट ss चट ss कर के दूध पी रहा है। रात और दिनभर न सोया हुवा अमित उसके सर पे कली मडरा रहा है.. फिर उसने गुस्से से उस जीव को उठाया और पार्किंग मे फेक आया पिल्ला बहोत आवाज कर रहा था,ठंड के राक्षसों ने उसे अपने दांतो के बीच चबा लिया...
और वापस आकर अमित सुकून से बेड पर सो गयासपने मे उसे बहोत से अंजाने लोग सूली पर चढ़ा रहे थे....
क्रमश