मासूम प्रश्न

मासूम प्रश्न

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"माँ, आपको भी लगता है कि आपके दोनों बेटे ही होते ?"

किशोर होती बिटिया के मुख से ये प्रश्न सुन टीवी पर संतान रूप में बेटा या बेटी पर चल रही गरमागरम बहस को सुनती मानसी चौंक गई।

उसे तो पहली संतान के रूप में बेटी ही चाहिए थी, पर बेटा हुआ। 5 साल सन्तोष के बाद जब दूसरी संतान के बारे में सोचा, तो बस यही कामना थी कि अब बिटिया ही चाहिए। चायनीज़ चार्ट, कृष्ण-शुक्ल पक्ष और जिसने जो उपाय बताये, वो उसने अपनाये, संतान रूप में बेटी की प्राप्ति हेतु। गर्भधारण के बाद बिटिया पाने के लिये कई मन्नते कर डाली। जब बिटिया हुई तो वो सुख और सन्तोष से भर उठी। याद कर-कर के छोटी-बड़ी सभी मन्नते पूरी करती रही। जब भी ऐसा कोई ज़िक्र आता तो वो गर्व से भरी बताती कि उसने तो लड़की के लिये मन्नते मांगी। बेटी को उसने सदैव बेटे से ऊपर रख प्यार दिया। बेटा-बेटा कह कर पुकारा और अब बिटिया का ऐसा सोचना, ये प्रश्न क्यों ??

"ऐसा क्यों पूछा तुमने बेटा ?? मेरे लिए तो तुम दोनों समान हो।" मानसी ने प्रत्युत्तर दिया।

"माँ, आप हमेशा मुझे "बेटा" ही कहती हो, भैया को तो कभी "बिटिया" कह कर बुलाया नहीं !"

बेटी के प्रश्न पर मानसी निरुत्तर थी।


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