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Hare Krishna Prakash

Inspirational

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Hare Krishna Prakash

Inspirational

मानवता

मानवता

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लालू कब से आवाज दे रही हूं मैं, सुन ही नहीं रहे! आया मां वो गूगल पर साहित्य आजकल से कविता पढ़ रहा था। अच्छा बाजार जाकर सब्जी ला दे। 

लालू झोला लेकर बाजार पहुंच जाता है और इधर उधर ताक कर अच्छी सब्जी तलाश करता है। वह देखता है कि कई लोग पंक्ति में बैठ सब्जी बेच रहे हैं, तभी उसकी नजर सब्जी बेच रहे एक छोटे बच्चे पर पड़ती है। लालू बच्चे के सब्जी को ध्यान से देखता है और अन्य लोगों का भी देखता है... ... फिर मन में ख्याल आया कि सब्जी तो लगभग सभी की अच्छी ही है पर, अगर बच्चे से खरीद लें तो काम भी हो जाएगा और बच्चों की मजबूरी भी जान लेंगे। 

लालू बच्चे से दाम तय कर सब्जी खरीदते हुए उससे पूछ लेता है कि वह इतनी छोटी उम्र में क्यों काम कर रहा है...तभी बच्चा कहता है भईया पिताजी की कमाई कम है और आजकल पढ़ाई में खर्च ज्यादा! नम आंखों से बच्चे न कहा। इसलिए छोटी बहन और अपना पढ़ाई खर्च के लिए शाम में सब्जी बेच लेता हूँ। यह सुनकर लालू ने एक हाथ से सब्जी लेते हुए दूजे हाथ से कुछ रुपया देते हुए कहा- बाबू तुम्हें मैं सब्जी के अलावा कुछ अपना बचत राशि दे रहा हूँ। इससे तुम खुद और छोटी बहन के लिए कुछ कॉपी कलम खरीद लेना। मन से पढ़ना और मैं तुमसे ही सब्जी खरीदा करूँगा...यह कहते हुए लालू घर की ओर चल पड़ा।


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