Charumati Ramdas

Fantasy Thriller

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Charumati Ramdas

Fantasy Thriller

कुत्ता दिल (एक अंश)

कुत्ता दिल (एक अंश)

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लघु उपन्यास कुत्ता-दिल का एक अंश( 

लेखक: मिखाइल बुल्गाकव 

अनुवाद: आ. चारुमति रामदास 

(शारिक एक आवारा कुत्ता है, जिसे प्रोफ़ेसर प्रिअब्राझेन्स्कीसरास्ते से उठा कर अपने क्लिनिक में ले आये हैं...आगे:  


पढ़ना सीखने की बिल्कुल कोई ज़रूरत नहीं हैजब वैसे भी एक मील दूर से माँस की ख़ुशबू आती है. वैसे भी (अगर आप मॉस्को में रहते हैं और आपके सिर में थोड़ा-सा भी दिमाग़ है)आप चाहे-अनचाहे बिना किसी कोर्स के पढ़ना सीख ही जायेंगे. मॉस्को के चालीस हज़ार कुत्तों में से कोई बिल्कुल ही बेवकूफ़ होगा जो अक्षरों को जोड़-जोड़ कर "सॉसेज" शब्द नहीं बना सकता.

शारिक ने रंग देखकर सीखना शुरू किया. जैसे ही वह चार महीने का हुआपूरे मॉस्को में "MSPO (मॉस्को कंज़्यूमर सोसाइटीज़ यूनियन – अनु.) – माँस का व्यापार" के हरे-नीले रंग के बैनर्स लग गये. हम दुहराते हैंकि यह बेकार में ही हैक्योंकि वैसे भी 'माँससुनाई देता है. और एक बार गड़बड़ हो गई : तीखे नीले रंग के पास आने परशारिकजिसकी सूँघने की शक्ति गाड़ियों से निकलते पेट्रोल के धुँए के कारण ख़त्म हो गई थीमाँस की दुकान के बदले मिस्नीत्स्काया स्ट्रीट पर गलुबिज़्नेर ब्रदर्स की इलेक्ट्रिकल सामानों की दुकान में घुस गया. वहाँ भाईयों की दुकान में कुत्ते ने विद्युतरोधी तार को खाने की कोशिश कीवह गाड़ीवान के चाबुक से ज़्यादा साफ़ थी. इस लाजवाब पल को ही शारिक की शिक्षा का आरंभिक बिंदु समझना होगा. वहीं फुटपाथ पर शारिक समझने लगा कि "नीला" हमेशा "माँस की दुकान" को ही प्रदर्शित नहीं करता औरदाहक दर्द के मारे अपनी पूँछ को पिछली टांगों में दबाये और विलाप करते हुएउसने याद कर लिया कि सभी माँस के बैनर्स पर बाईं ओर शुरू में एक सुनहरी या भूरीटेढ़ी-मेढ़ीस्लेज जैसी चीज़ होती है.

आगे और भी सफ़लता मिलती गई. 'A' उसने 'ग्लावरीबा' (प्रमुख मछली केंद्र – अनु.) से सीखा जो मखवाया स्ट्रीट के नुक्कड़ पर थाफिर 'B' भी – उसके लिये 'रीबा' (मछली – अनु.) शब्द की पूँछ की तरफ़ से भागना आसान थाक्योंकि इस शब्द के आरंभ में सिपाही खड़ा था. कोने वाली दुकानों से झांकती टाईल्स का मतलब ज़रूर 'चीज़होता था. समोवार का काला नलजो इस शब्द के आरंभ में होता थापुराने मालिक "चीच्किन" को प्रदर्शित करता थाहॉलेण्ड की 'रेड चीज़के ढेरजंगली जानवरों के वेष में क्लर्कजो कुत्तों से नफ़रत करते थेफ़र्श पर पड़ा हुआ भूसा और बेहद बुरी तरह से गंधाती चीज़ 'बेक्श्तेन'. 

अगर एकॉर्डियन बजा रहे होतेजो "स्वीट आयदा" से काफ़ी बेहतर होताऔर सॉसेज की ख़ुशबू आतीसफ़ेद बैनर्स पर पहले अक्षर आराम से "असभ् ..." शब्द बनाते. इसका मतलब होता कि "असभ्य शब्दों का प्रयोग न करें और चाय-पानी के लिये न दें". यहाँ कभी-कभी झगड़े हो जातेलोगों के थोबडों पर मुक्के बरसाये जाते, - कभीकभीबिरली स्थितियों में, - रूमालों से या जूतों से भी पिटाई होती.                 

अगर खिड़कियों में 'हैम" की बासी खाल लटक रही होती और संतरे पड़े होते...गाऊ...गाऊ...गा...स्त्रोनोम (डिपार्टमेन्टल स्टोर – अनु.). अगर काली बोतलें गंदे द्रव से भरी हुई...व-इ-वि-ना-आ-विनो (वाईन-अनु.)...भूतपूर्व एलिसेयेव ब्रदर्स.

अनजान 'भले आदमी' नेजो कुत्ते को बिचले तल्ले पर स्थित अपने शानदार क्वार्टर के दरवाज़े की ओर खींचते हुए ला रहा थाघंटी बजाईऔर कुत्ते ने फ़ौरन सुनहरे अक्षरों वाली काली नेमप्लेट की ओर आँखें उठाईंजो एक चौड़ेलहरियेदार और गुलाबी काँच जड़े दरवाज़े की बगल में लटक रही थी. पहले तीन अक्षरों को उसने फ़ौरन पढ़ लिया : पे-एर-ओ "प्रो". मगर आगे फूली-फूली दोहरी कमर वाली बकवास थीपता नहीं उसका क्या मतलब था. 'कहीं प्रोएलेटेरियन तो नहीं?' शारिक ने अचरज से सोचा... 'ऐसा नहीं हो सकता'. उसने नाक ऊपर उठाईफिर से ओवरकोट को सूंघा और यकीन के साथ सोचा:

'नहींयहाँ प्रोलेटेरियन की बू नहीं आ रही है. वैज्ञानिक शब्द हैऔर ख़ुदा जाने उसका क्या मतलब है'.

गुलाबी काँच के पीछे एक अप्रत्याशित और ख़ुशनुमा रोशनी कौंध गईजिसने काली नेमप्लेट पर और भी छाया डाल दी. दरवाज़ा बिना कोई आवाज़ किये खुलाऔर सफ़ेद एप्रन और लेस वाला टोप पहनी एक जवानख़ूबसूरत औरत कुत्ते और उसके 'भले आदमी' के सामने प्रकट हुई.

उनमें से पहले को ख़ुशनुमा गर्मी ने दबोच लियाऔर औरत की स्कर्ट घाटी की लिली जैसी महक रही थी.

'ये हुई न बातमैं समझ रहा हूँ,' कुत्ते ने सोचा.

"आईयेशारिक महाशय," भले आदमी ने व्यंग्य से उसे बुलायाऔर शारिक आज्ञाकारिता से पूँछ हिलाते हुए भीतर आया. 

प्रवेश-कक्ष ख़ूब सारी शानदार चीज़ों से अटा पड़ा था. दिमाग़ में फ़ौरन फ़र्श तक आता हुआ शीशा याद रह गयाजो दूसरे बदहाल और ज़ख़्मी शारिक को प्रतिबिम्बित कर रहा थाऊँचाई पर रेन्डियर के ख़ौफ़नाक सींगअनगिनत ओवर कोट और गलोश और छत के नीचे दूधिया त्युल्पान वाला बिजली का बल्ब.

"आप ऐसे वाले को कहाँ से ले आयेफ़िलीप फ़िलीपविच?" मुस्कुराते हुए औरत ने पूछा और नीली चमक वाला काली-भूरी लोमड़ी की खाल का ओवरकोट उतारने में मदद करने लगी. "पापा जी! कितना ग़लीज़ है!"

"बकवास कर रही हो. ग़लीज़ कहाँ है?" भले आदमी ने फ़ौरन कड़ाई से कहा.

ओवरकोट उतारने के बाद वह अंग्रेज़ी कपड़े के काले सूट में नज़र आया और उसके पेट पर सुनहरी चेन ख़ुशी से और अस्पष्ट रूप से दमक रही थी.

"रुक-भीघूमो नहींफ़ित्...अरेघूमो नहींबेवकूफ़. हम्!...ये ग़ली...नहीं...अरे ठहर जाशैतान...हुम्! आ-आ. ये जल गया है. किस बदमाश ने तुझे जला दियाआँअरेतू शांति से खड़ा रह!..."

"रसोईये नेकैदी रसोईये ने!" शिकायत भरी आँखों से कुत्ते ने कहा और हौले से बिसूरने लगा.

"ज़ीना," सज्जन ने हुक्म दिया, "इसे फ़ौरन जाँच वाले कमरे में और मुझे एप्रन."

औरत ने सीटी बजाईचुटकी बजाई और कुत्ताकुछ हिचकिचाकरउसके पीछे-पीछे चलने लगा. वे दोनों एक संकरे कॉरीडोर में आयेजिसमें रोशनी टिमटिमा रही थीएक वार्निश किये हुए दरवाज़े को छोड़ दियाकॉरीडोर के अंत तक आयेऔर फिर बाईं ओर मुड़े और एक छोटे-से अंधेरे कमरे में पहुँचेजो अपनी ख़तरनाक गंध के कारण कुत्ते को बिल्कुल पसन्द नहीं आया. अंधेरा थरथराया और चकाचौंध करने वाले दिन में बदल गयाचारों ओर से चिंगारियाँ निकल रही थींहर चीज़ चमक रही थी और सफ़ेद हो रही थी.

'नहीं', कुत्ता ख़यालों में बिसूरने लगा, 'माफ़ करनामैं ख़ुद को आपके हवाले नहीं करूँगा! समझता हूँशैतान ले जाये उन्हें अपने सॉसेज के साथ. ये मुझे कुत्तों के अस्पताल में ले आये हैं. अब ज़बर्दस्ती कॅस्टर-ऑइल पिलायेंगे और पूरी बाज़ू को चाकुओं से काट देंगेमगर इस तरह आप मुझे नहीं छू सकते.'


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