Sachin Kumar

Tragedy Inspirational

1.7  

Sachin Kumar

Tragedy Inspirational

कुंवारी बहू

कुंवारी बहू

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नीता अपने कमरे में बैठ के खिड़की से बाहर ढलते हुए लाल सूरज को देख रही थी। आज भी ये उतना ही सुन्दर और लालिमा लिए हुए था जैसे रोज़ होता है पर आज इसको देखने मै नीता को अलग ही आभास हो रहा था वो बहुत खुश थी आज।

क्यूंकि पहली बार आज कोई ऐसा रिश्ता आया था जिसे देखते ही उसने अपना दिल दे दिया था।

नीता एक पांच फुट तीन इंच की पतली सी लड़की जिसका रंग बिल्कुल दूध की तरह सफेद मानो हाथ लगा दिया तो गंदी हो जाएगी ऐसा था। दो गोल गोल मोटी मोटी एक दम काली आंखें, पतले पतले गुलाबी होठ, लंबे बाल मानो सावन के सरे काले बादल उसके सर पर ही बैठे हो।

अभी बी एस सी पास किया था उसने वो एम एस सी भी करना चाहती थी पर पापा की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते वो आगे कुछ बोल नहीं पाईं थी। मां उसकी बचपन मै ही गुज़र गई थी।

रिश्तेदार भी कानाफूसी करते रहते थे के पता नहीं किस दिन सतेंद्र मिश्रा जी चल बसें और इस लड़की की जिम्मेदारियां हम पर आ जाएंगी।

सब बस दिन रात मिश्रा जी को यही पहाड़ा पढ़ते रहते थे कि जल्दी से इसके हाथ पीले करके इसको विदा करो और गंगा नहाओ।

मिश्रा जी भी यही सोचते थे कि उनके बाद पता नहीं नीता का क्या होगा सो उन्होंने सारी रिश्तेदारी मै बोल के रक्खा था कि कोई सुयोग्य वर अगर किसी की नजर में आए तो तुरंत खबर करे।

पिछले हफ्ते ही किसी ने सागर के बारे में मिश्रा जी से बताया था।

मिश्रा जी भी बिना समय व्यर्थ लिए सागर को देख आए थे और अपनी तरफ से रिश्ता वो पक्का कर आए थे अब बारी सागर और उसके परिवार को नीता को देखने की थी, सो रविवार का दिन मुकर्रर हुआ क्योंकि उस दिन सबकी छुट्टी भी होती है।

सागर एक पांच फुट आठ इंच लम्बा सुडौल थोड़ा सांवला दिखने में सुंदर चेहरे वाला लड़का था।वो नोएडा की किसी IT company में काम करता था ठीक ठाक पैसे कमाता था।

आज सुबह ही वो सब नीता के घर आए थे और नीता को देख कर तुरंत हां बोल दिया।

जब सागर और नीता को बगल वाले कमरे मै अकेला भेजा गया वहां भी सागर कुछ बोल नहीं पाया बस एक दो बार नीता को देखा और सर नीचे करके बैठा रहा मानो उसको अपनी किस्मत पर यकीन ना हो रहा हो कि इतनी सुंदर लड़की से उसकी शादी कैसे हो सकती है।

जाते जाते बस उसने इतना बोल कि मेरी हां है अब तुम देख लो और नीता तो जैसे इसी बात के इंतजार में थी पर वो कुछ बोल नहीं पाई बस सर नीचे करके मुस्करा दी।

तभी पड़ोस वाली भाभी उसके पास आई और पूछा क्या फैसला है, नीता बोली मुझे क्या पता जैसा पापा को ठीक लगे।

भाभी ने बाहर जा के सबको ये बात बताई सब खूब खुश हुए और नीता को शगुन देकर चले गए।

फोन की घंटी से नीता का ध्यान टूटा और सारे दिन की सोच से वो बाहर आई, कोई अनजान नंबर था उसने जिज्ञासा से फोन उठाया उधर से आवाज आई Hi कैसी हो, मैं सागर।

नीता की तो मानो सांसें ही रुक गई थोड़ा नॉर्मल होने पर उसने बात की, बातों बातों में सागर ने बताया कि भाभी ने जाते हुए उसका नंबर सागर को दिया था अब बातों का सिलसिला शुरू हो गया था दिन भर वो एक दूसरे से बात करते रहते थे।

एक महीने बाद की शादी की तारीख पक्की हुई थी रखा हुए दिन झट से आ खड़ा हुआ।

आज नीता की शादी थी टमाटर रंग के लहंगे में वो किसी परी के जैसे दिख रही थी।

सागर की नज़रों उसपर से हट ही नहीं रहीं थी उसकी बहन उसको बार बार कॉमेंट मार रही थी और वो मुस्कराए जा रहा था।

उसके सारे दोस्त भी रह रह कर उसको बोल रहे थे कि लंगूर को अंगूर मिल गया ,क्या किस्मत है तेरी सागर।

कुछ ही घंटों में वो अपने असली घर यानी अपने ससुराल में थी।

पापा को छोड़ कर आते हुए उसको रोना भी बहुत आया पर फिर सब ने समझाया कि ये दिन तो हर लड़की की जिंदगी में आता है।

घर आकर उसका खूब आदर सत्कार हुआ सारी रस्में निभाई गई कुछ ही देर में वो सब से ऐसे घुल मिल गई मानो हमेशा से यही रहती आईं हो।खासकर सागर की बहन निम्मी तो उसकी पक्की सहेली बन गई थी।

दोपहर के दो बज गए थे खाना खा के सब उबासियां मार रहे थे के तभी सागर की मा कमरे में आई और निम्मी को बोली जा भाभी के लिए भी खाना परोस ला और सागर को भी आवाज लगा ले वो भी खा लेगा।

भैया तो कहीं सो रहा होगा रहने दो मै ही आज भाभी के साथ खा लेती हूं उन्हें तो रोज़ खाना है अब इनके साथ।

इतने में सागर भी आ गया उबासियां लेता हुआ क्या चल रहा है यहां बोलकर वहीं बैठ गया निम्मी ने सबके लिए खाना परोस दिया और वो सब खाने लगे इधर उधर की बातें चलने लगी के तभी मम्मी ने निम्मी को आवाज लगाई।निम्मी मुस्कराते हुए वहां से चली गई।

कमरे में सिर्फ नीता और सागर थे नीता का हाल बुरा था एक तो पूरी रात की थकान और ऊपर से सागर के साथ अकेले ये सोच कर ही उसकी भूख भाग गई थी।

सागर ने बात शुरु की,तुम्हे यहां सब ठीक तो लग रहा है ना ? नीता ना हां मै सर हिला दिया पर आंखें उठा के नहीं देखा।

सागर बोला तुम्हारे पिता जी ने तुम्हारे साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया है तुम्हे एक आंख वाले से ब्याह दिया,ये सुनकर नीता ने जैसे ही उपर देखा सागर हंस दिया और फिर दोनों खूब हंसे दोनों की बातें शुरू हो गईं थीं।

नीता अपनी किस्मत पर इतरा रहा थी कि कितना अच्छा घर और पति दिया है भगवान ने उसे।

तभी निम्मी वहां आई और बोली कि कोई रसम पूरी करनी है भाभी को बाहर बुला रहें है।

नीता फौरन उठके चली गई सागर बस देखता रह गया।

शाम के पांच बज गए थे नीता भी वापस आ गईं थी कुछ गीत का प्रोग्राम था शाम को सब उसकी तैयारी मै लगे थे।

शाम को प्रोग्राम मै नीता ने एक बहुत सुंदर भजन से शुरुआत की फिर दो तीन गीत गाए पड़ोस की औरतें तो मानो पागल हो गई थी उसके पीछे अरे सागर कितनी अच्छी बहू लाया है कितना अच्छा गाती है कितना सुरीला गला है इसका।इनके तो भाग ही खुल गए।ये सब सुनकर सागर की मां खूब इतरा रही थीं।

प्रोग्राम ख़तम होते होते आठ बज गए सब अपने घर गए खाना शुरु हुआ के तभी सागर के दोस्त आ गए और उसको लिवा ले गए ये बोलके की सब दोस्त थोड़ी देर साथ बैठेंगे।

सागर भी मना नहीं कर पाया चला गया उनके साथ। सागर को गए काफी टाइम हो गया था करीब दस बजे थे नीता बुरी तरह से थक चुकी थी अभी वो अपने कमरे में ही Eई थी।

लेटते ही उसकी आंख लग गईं रात के करीब 12 बजे लोगों के शोर से उसकी आंख खुली बाहर कुछ शोर हो रहा था उसने निम्मी को आवाज लगाई पर कोई जवाब नहीं आया बहुत जोर जोर से रोने कि आवाजें आ रही थीं उसका मन बैचैन सा हो गया वो धीरे से दरवाजे से सट कर सुनने की कोशिश करने लगी।

कोई महिला बोल रही थी कि कैसे पैर पड़े है महारानी के घर का दीपक ही बुझा दिया, ये तो अकेला लड़का था इनका अब क्या होगा।

ये सुन कर नीता के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। उसको समझते देर नहीं लगी कि कोई अनहोनी हो गई है।

तभी निम्मी कमरे में आई और उससे लिपट के रोने लगी,नीता को कुछ सूझ नहीं रहा था वो रो भी नहीं पा रही थी और कुछ बोल भी नहीं पा रही थी।

और तभी वो बेहोश हो गई,जब आंख खुली तब तक मिश्रा जी भी आ गए थे।

उनसे लिपटकर वो खूब रोई, कोई कह रहा था कि विधि के विधान को को मिटा सकता है।

जितने मुंह उतनी बातें चल रहीं थीं किसी ने कहा कि आज भला पीने की क्या जरूरत थी और अगर पीनी भी थी तो घर बैठ कर पी सकते थे।

उनका रोड ऐक्सिडेंट हुआ था शराब पी कर एक बाइक पर तीन लोग बैठे थे सागर बाइक चला रहा था सब नशे मै धुत थे और खड़े हुए ट्रक मै पीछे से बाइक घुसा दी थी।

सागर की तो मौके पर ही मौत हो गई और एक हॉस्पिटल ले जाते हुए मर गया, तीसरे की भी हालत ठीक नहीं थी।

नीता का संसार उजड़ गया था उसको समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ आखिर हुआ क्या है।

तीन दिन बाद मिश्राजी नीता को घर ले आए सारा माहौल बहुत टेंस था।

अगले दो तीन हफ्तों तक घर मैं आने जाने वालों का तांता लगा रहता था। जिसे जब पता चला आ गया।

करीब एक महीना बीत गया था पर नीता के आंसू रुक नहीं रहे थे कुछ घंटो की मुलाक़ात में ही वो सागर को दिलोजान से प्यार करने लगी थी वो उसका love at first sight था।

फिर एक दिन उसकी दोस्त लवली उसके पास आई और ज़िद करके बाहर ले जाने लगी नीता ने खूब मना किया पर वो नहीं मानी पापा ने भी कहा आखिर उसको निकलना ही पड़ा।

आज काफी दिनों बाद वो घर से निकली थी खुले आसमान के नीचे आते ही उसकी आंखे चौंधिया गई उसके आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ गए थे और वज़न भी बहुत कम हो गया था एक महीने मै ही वो ऐसे लगने लगी थी जैसे 25 की नहीं 45 की है।

वो रास्ता पार कर रही थी कि तभी कहीं से किसी ने बोला वो देखो ……………..कुंवारी बहू जा रही है।

नीता वापस जाने को मुड़ी पर लवली ने कस के उसका हाथ पकड़ लिया और आगे की और उन लडको को घूरते हुए निकल गई।

उस दिन के बाद नीता कभी घर से नहीं निकली क़रीब तीन महीने बाद राजेंद्र नाथ जी घर पर आए हुए थे वो मिश्रा जी के पुराने मित्र थे। उनका एक पांचवीं तक का स्कूल था नीता को वो जब से पैदा हुई तब से जानते थे नीता को उन्होंने गोद खिलाया था।

बातों बातों मे उन्होंने कहा मिश्रा जी नीता को बोलो स्कूल आ जाया करे, उसका भी मन लग जाएगा और मुझे भी मदद हो जायेगी अब मुझसे सारा काम नहीं होता।

मिश्रा जी के खूब कहने पर नीता मान तो गई पर बाहर निकलने डर उसके मन में बैठ चुका था।

अगले दिन सुबह को 7:30 बजे वो तैयार तो हो गई पर उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था कि पता नहीं आज क्या होगा।

हिम्मत जुटा कर वो घर से निकली और सर नीचे करके तेज क़दमों से स्कूल के लिए निकल गई उसकी उम्मीद के विपरीत आज उसको किसी ने कुछ नहीं कहा बल्कि एक दो छोटी लड़कियों ने उसको नमस्ते किया जिससे उसकी हिम्मत बढ़ गई।

पिछले 4 महीनों से वो स्कूल संभाल रही थी और मास्टरजी का सारा भार उसने अपने कंधो पर के लिया था,ये देखकर राजेंद्र जी बहुत खुश थे।

एक दिन राजिंदर जी घर आए हुए थे उन्होंने मिश्रा जी से किसी लड़के के विषय में कुछ बात की मिश्रा जी ने पहले तो कुछ हिकिचाहट दिखाई पर फिर समझाने पर मानने की मुद्रा में आ गए।

पर नीता से बात कैसे हो ये सोच कर उनका मन बैठा जा रहा था,

फिर उन्होंने हिम्मत करके बात शुरू की ,नीता बेटा आजकल काम कैसा चल रहा है, मास्टर जी तो बड़ी तारीफ कर रहे थे तुम्हारी कह रहे थे बड़ी होनहार लड़की है, जिस घर जाएगी भाग खुल जाएंगे नीता ने गुस्से से मिश्रा जी को देखा ,वो समझ गए और आगे कुछ नहीं बोले।

एक साल बीत चुका था सागर को गुजरे और मिश्रा जी की तबीयत भी अब आए दिन खराब रहने लगी थी अपनी तरफ से मिश्रा जी को कोई परेशानी नहीं थी बस नीता की चिंता उनको सताए हा रही थी पता नहीं की दिन भगवान के घर से बुलावा आ जाए तो नीता का क्या होगा।

जब भी वो इस बारे मै बात करते नीता कोइं ना कोई बहाना बनाकर बात को घुमा देती थी पर आज मिश्रा जी ने एक ना सुनी अपनी कसम देकर उसे राज़ी कर लिया नीता ने भी मानो उनकी खुशी के लिए हां कर दी।

फिर क्या था मिश्रा जिन तुरंत राजिंद्र जी को फोन किया और सारी बात बताई।

उन्होंने भी बिना समय व्यर्थ किए लड़के वालों को बुला भेजा।

लड़के का जनरल स्टोर था उसके घर में एक बड़ा भाई भाभी मां पिताजी थे एक बहन थी जिसके दो साल पहले शादी हो गई थी।

लड़का देखने में सुंदर था बस थोड़ा कम पढ़ा लिखा था इसलिए उसके विवाह में परेशानी आ रही थी सो जैसे ही उन्होंने नीता के बारे में सुना फौरन हां कर दी।

और नीता को देखकर तो बस वो सब उसके दीवाने हो गए थे।

नीता ने कुछ नहीं सोचा और। ना ही उसकी एक बार देखने तक की इच्छा की।

वो शगुन देकर चले गए और एक महीने बाद की शादी की तारीख पक्की हो गई।

आज फिर वो शाम के ढलते सूरज को देख रही थी और मन मै सोच रही थी कि सूरज को कोई फर्क नहीं पड़ता क्या हो रहा है किसी की जिंदगी में,

उसको तो बस रोज़ उगना है और ढल जाना है वो आने वाली जिंदगी को लेकर बिलकुल भी उत्साहित नहीं थी, वो तो बस पिताजी की ईच्छापूर्ति के लिए इस सब के लिए तैयार हुई थी।

शादी का दिन आ गया था उस दिन तक भी नीता को किसी तरह का कोई उत्साह नहीं था उस रह रह कर सागर की याद आ रही थी।

पड़ोस की महिलाएं आती थी और खूब सारा आशीर्वाद देकर जाती थी और जाते जाते कहती देखना इसबार तेरे साथ बुरा नहीं होगा बेटी इस बार तू बहुत खुश रहेगी।

सब सुनकर नीता का दिमाग और ज्यादा खराब हो रहा था जिसे वो भूलना चाहती थी ये सब मिलकर बार बार उस बात का जिक्र कर रहे थे।

सुबह विदा होकर वो ससुराल गई वहां उसका अच्छे से स्वागत हुआ।

एक अजीब घटना घटी राहुल घर आते ही कपड़े बदल कर दुकान पर चला गया मां उसे रोकती रह गई पर वो ग्राहक आ रहे होंगे बोलकर चला गया।

नीता ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया वो अपनी उलझनों में फंसी हुई थी।

दिन में सगुनों का दौर चल रहा था शाम होते होते सब अपने घरों को चले गए शादी का प्रोग्राम ज्यादा बड़ा नहीं था इसलिए उसी दिन सब विदा हो गए घर में अब बस उसकी ननद शिल्पा रह गई थी उसकी एक छोटी सी एक साल की बच्ची थी जिससे नीता खेल रही थी उसको बच्चे बहुत पसंद थे इसलिए उसे छोटी सी इनाया से कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि उसका समय अच्छा कट गया।

शाम को सबने खाना खाया और करीब दस बजे राहुल दुकान से वापस आया और शिल्पा को आवाज लगाई शिल्पा ओ शिल्पा खाना लगा दे मै नहा के आ रहा हूं।

शिल्पा ने खाना लगा दिया उन दोनों का एक साथ राहुल आया और भड़क गया,तुझे पता नहीं कि मै किसी के साथ नहीं खाता तू क्या पहली बार खाना परोस रही है मेरे लिए, ये देख कर नीता सहम गई ,वो धीरे से उठी और खाने की थाली राहुल की तरफ बढ़ा दी शिल्पा भी कुछ बोल नहीं पाईं मानो राहुल के सामने किसी की बोलने की हिम्मत नहीं हो।

राहुल अपनी थाली लेकर दूसरे कमरे में चला गया।

शिल्पा थोड़ा खिजियाते हुए बोली लगता है भाई ज्यादा थक गया है रात शादी मै जगा है और दिन भर दुकान पर था।

नीता कुछ नी बोली बस खिड़की से बाहर अंधेरे मै देखती रही उस रात राहुल दूसरे कमरे में ही सो गया था और शिल्पा नीता के पास उसके कमरे में थी,

शिल्पा ज्यादा बात नहीं कर पा रही थी नीता से ये बात नीता को भी कुछ अटपटी लगी पर फिर सबकुछ नया है ये सोचकर उसने बात को जाने दिया।

आज सुबह शिल्पा भी विदा हो गई थी उसके पति को रोज़ office जाना होता था और उनको खाने की परेशानी ना हो ये बोलकर वो गई थी।

राहुल भी रोज़ की तरह सुबह ही दुकान पर चला गया उसका भाई राजीव जो किसी company में accountant है वो भी हर रोज़ की तरह अपने ऑफिस निकल गया था।

आब घर मै बस नीता उसकी सास सुषमा और जेठानी मालती और उसके ससुर थे।

मालती से नीता की ज्यादा बात नहीं हो पाई थी क्योंकि घर के कामों में व्यस्त होने के कारण मालती को ज्यादा समय नहीं मिला था।

पर आज सारा काम निबटा कर मालती चाय और नाश्ता लेकर नीता के कमरे में आई थी फिर उन्होंने साथ बैठकर चाय पी और खूब सारी बातें की।

नीता भी मालती से जल्दी घुल मिल गई क्योंकि नीता जानती थी कि अब इनके साथ ही सारा जीवन रहना है और मालती भी स्वभाव की अच्छी थी उसने अपने बारे में अपने घर के बारे मै सारी बात बताई।

मालती बोली कि हमारे देवर थोड़ा मूडी किस्म के है पर इंसान भोत अच्छे है हमसे भी कम ही बात करते है जबकि हमको तो अब चार साल हो गए है यहां पर।पर तुम चिंता ना करो तुम्हारे साथ वो अच्छे से रहेंगे आखिर तुम उनकी पत्नी हो,नीता ने शरमा के गर्दन झुका ली।

धीरे धीरे शाम भी हो चली थी आज नीता ने भी घर के कामों में हाथ बटाया था।

10 बज गए की तभी स्कूटर की आवाज से नीता का ध्यान टूटा ,राहुल आ गया था नीता जल्दी से उठी और रसोई की तरफ चली गई उसने जल्दी से गरम गरम फुल्के सेक दिए और थाली लगा कर राहुल के लिए त्यार कर दी,राहुल भी नहा धो कर आ गया नीता को थाली लाते एक बार देखा फिर थाली लेकर खाना खाने लगा।

नीता एक कोने में चुप चाप खड़ी थी।

खाना खाकर राहुल ने थाली रखी और बाहर चला गया।

रसोई का काम निबटा कर नीता अपने कमरे में पहुंची पर राहुल वहां नहीं था वो शायद अभी बाहर से नहीं आया था ये सोच के नीता अपने बिस्तर पर एक तरफ बैठ गए और थोड़ी देर में ही उसकी नींद लग गई।

सुबह मंदिर की आरती की आवाज से नीता की आंख खुली और वो एक दम से हड़बड़ा के उठी, हाय राम सुबह हो गई,एक ही पल में रात की सरी बातें उसके मन में चल गई,

कई सारे खयाल एक साथ आ गए ,राहुल क्यों नहीं आया,उसकी मर्ज़ी से ये शादी हुई भी है या नहीं।

हो सकता है वो आया हो पर मुझे सोता देख चला गया हो ,सारे सवाल वो अपने आप से पूछ रही थी।

फिर जल्दी से उठ कर नहाने चली गई और रोज़ के कामों में लग गई।

देखते देखते एक महीना बीत गया पर ना तो राहुल ने उससे बात की और ना ही उसकी तरफ देखा ही।पर जो भी हो रहा था नीता ने उसको अपनी किस्मत मान लिया था और चुप चाप रह रही थी।

एक दिन सब किसी काम से बाहर गए हुए थे घर में सिर्फ नीता अकेली थी,शाम के करीब 5 बजे थे नीता अपने काम में लगी थी कि तभी door bell बजी,राजीव आज ऑफिस से जल्दी से वापस आ गया था,नीता ने दरवाजा खोला और पानी लेने चली गई।

पानी का गिलास राजीव की तरफ बढ़ा दिया,के तभी राजीव ने उसका हाथ पकड़ लिया ,नीता के हाथ से गिलास छूट गया, भइया आप ये क्या कर रहे हो नीता चिल्लाई,

देख नीता शोर मत कर मेरी बात सुन राजीव बोला,नीता डर और गुस्से से कांप रही थी,

राजीव ने आगे बोलना शुरू किया,तुझे क्या लगता है कि राहुल को तू पसंद नहीं है इसलिए वो तेरे पास नहीं आता, अरे वो नपुंसक है और ये बात घर का हर शख्स जानता है पर लोक लाज की वजह से किसी बाहर वाले को नहीं बताया और सबके कहने कि वज़ह से उसकी शादी भी करनी पड़ी,

पर वो तेरे किसी काम का नहीं है वो कभी तुझे शारीरिक सुख नहीं दे पायेगा।

देख तू चिंता मत कर मै तुझे सारे सुख दूंगा, बस तू किसी को बोलना मत, घर की बात घर में ही रह जाएगी।

कह कर उसने नीता को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।नीता के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ,जैसे तैसे उसने खुद को राजीव से छुड़ाया और पास में पड़े फूलदान को राजीव के सर पे दे मारा,

अब राजीव पागल सा हो गया था उसके सर पर जुनून सवार था नीता को पाने का वो फिर जबरदस्ती करने लगा,

नीता को कुछ सूझ नहीं रहा था उसने कोने मै पड़ा डंडा राजीव की नाक पर दे मारा वो चकरा गया और मौका देख कर नीता वहां से भाग निकली।

घर पहुंच कर उसने सारी बात मिश्रा जी को बताई मिश्रा जी आग बबूला हो गए उन्होंने तुरंत पुलिस में रिपोर्ट की, मिश्रा जी की पहचान अच्छी थी सो पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और एक महीने के भीतर ही नीता का तलाक़ हो गया और राजीव को रेप की कोशिश में सज़ा भी हो गई।

अब नीता एक दम टूट चुकी थी ,मिश्रा जी भी खाट पकड़ गए उनसे अपनी बेटी की फूटी किस्मत नहीं देखी जाती थी।

कई दिनों बाद नीता पिता जी की कुछ दवाइयां लेने बाहर निकली कि तभी कहीं से आवाज आईं ...कुंवारी बहू

नीता जड़ हो गई और फिर कुछ सोच कर आगे बढ़ गईं ,कुछ ही दिनों में मिश्रा जी भी चल बसे ,राजिंदर जी ने उसको सहारा दिया और अपना नाम दिया,देखते ही देखते दस साल बीत गए इस बीच राजिंदर जी भी चल बसे अब नीता एक एन जी ओ चलाती है कोई उसका नाम नहीं लेता सब लोग उसको बोलते हैं, कुंवारी बहू।


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