करुणा
करुणा
दिसंबर की एक सर्द रात ! निस्तब्ध वातावरण अचानक ठंड से परेशान एक कुत्ते के पिल्ले के रोने की आवाज से गुंजायमान हो गया। कोठी का मालिक बेहद गुस्से में बाहर निकलकर उस पिल्ले को डंडे से मारने लगा। कोठी के सामने से भागकर कुत्ता सामने के फुटपाथ पर जा पहुंचा जहाँ एक भिखारी फटा पुराना कंबल ओढ़े ठंड से मुकाबले की कोशिश कर रहा है । पिल्ले को पुचकार कर अपने फटे हुए कंबल से उसको ढंकते हुए उस भिखारी की आँखो में करुणा के भाव थे और ऊसके भाव को महसूस कर वह पिल्ला भी उसके पैरों पर अपना सिर रख कर निश्चिंत हो गया । रात्रि की निस्तब्धता बरकरार थी ।
