कोरोना फाइट,,तापेश वशिष्ठ
कोरोना फाइट,,तापेश वशिष्ठ


रहो घर के भीतर, कोरोना बन गया है समंदर।
निकले अगर बाहर तो, बूंद बनाकर समा लेगा अपने अंदर।
मामूली ना समझे, अगर हो जाए ज़ुकाम, सर्दी, खांसी।
तुरंत जांच करवाएं, वरना लग जाएगी कोरोना वाली फांसी।
जिस घर में जेंटलमैन सही में हो गए हैं जेंटल,और कर रहे हैं झाड़ू पोछा।
उस घर की लैडी देखकर हो रही हैं मेंटल,ऐसा भी होगा कभी नहीं था सोचा।
कोरोना कातिल घूम रहा है बाहर,और बहा रहा है उल्टी गंगा।
करवा दिया सबको कैद अंदर,और पड़वा रहा हैं डंडा।
काफ़ी लोग जाग गए हैं,कुछ अभी भी जाग रहे हैं।
कोरोना को मामूली कीड़ा समझकर,खुद स्पाईडरमैन बनें भाग रहे हैं।
कुछ लोग दुखी हैं कि उनकी रूक गई हैं शादी,
कुछ हो रहे खुश हैं कि थोड़ी और मिल गई आज़ादी।
दोनों के लिए एक ही वाक्य हैं जँच़ता,आज नहीं तो कल होनी ही हैं शादी।
वायरस बनकर कोरोना ने हैंग कर दिया जिंदगी का सिस्टम, लगा दिया लाॅक-डाउन।