ख्वाहिश..एक नए सफ़र की।
ख्वाहिश..एक नए सफ़र की।
सितारों से भरा हुआ आकाश, चमकता हुआ चांद, हल्की हल्की चलती हुई ठंडी सी हवा जब ख्वाहिश के चेहरे को छूकर गुज़र रही थी तो उसके माथे पर बिखरे बाल मानो उसे जिंदगी की खूबसूरती से वाकिफ करवा रहे थे। छत पर बैठकर घंटों तक यूं चांद को देखकर संगीत सुनना तो उसके लिए रोज़ की बात थी, लेकिन आज ये हवा मानो उसे कहीं और ले जाने की फ़िराक में थी। ख्वाहिश अभी आंखें बंद करके किसी ख्याल में गुम ही हुई थी कि अचानक से फ़ोन की घंटी बजती है:-
ख्वाहिश :- हैलो
दूसरी तरफ़ से :- हैलो..क्या मेरी आकाश से बात हो सकती है!
ख्वाहिश :- जी नहीं, क्योंकि यहां कोई आकाश नहीं रहता।
दूसरी तरफ से :- लेकिन ये नंबर तो मेरे दोस्त आकाश का ही था, काफी समय से उससे बात नहीं हुई तो सोचा आज बात करूं उससे।
ख्वाहिश :- ओह! हो सकता है कि ये नंबर पहले आपके दोस्त के पास ही हो क्योंकि मैंने अभी कुछ समय पहले ही ये नया नम्बर लिया है।
दूसरी तरफ से :- हम्म, हो सकता है। चलिए माफी चाहूंगा आपसे आपको तंग करने के लिए।
ख्वाहिश :- कोई बात नहीं..( बाए बोलकर अभी ख्वाहिश फ़ोन रखने ही वाली थी कि उधर से आवाज़ आती है)
दूसरी तरफ से :- वैसे आवाज़ बहुत प्यारी है आपकी..बाए।
एक ख्वाहिश (भाग -2)
फ़ोन रखने के बाद ख्वाहिश फिर से अपने कानों में इयरफोन लगाकर संगीत सुनते हुए अपनी ही दुनिया में खो गई। दो दिन बाद शाम के 6 बजे थे और ख्वाहिश अपनी मम्मी के साथ रसोई में रात के खाने की तैयारी करवा रही थी तभी उसके मोबाइल फ़ोन की घंटी बजती है और वो हाथ धोकर अभी अपना फ़ोन उठाने जा ही रही थी कि फ़ोन बंद हो जाता है। फ़ोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी तो वो उसे चार्जिंग पर लगा कर फ़िर से काम में लग जाती है। काम खत्म करने के बाद जैसे ही वो रोज़ की तरह छत पर जा रही होती है तो सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ख्वाहिश अपना फ़ोन खोलती है और तभी उसे मिस्ड कॉल दिखाई देती है। ऊपर पहुंच कर वो उस अनजान नंबर पर कॉल करती है।
ख्वाहिश :- हैलो! जी कौन आपकी कॉल आई थी लेकिन मेरा फ़ोन ऑफ हो गया था।
दूसरी तरफ़ से :- जी मैं अरमान, 2 दिन पहले हमारी बात हुई थी ना!
ख्वाहिश :-हमारी बात? मैं तो किसी अरमान को नहीं जानती।
अरमान :- ओह! वो ऐसा है कि मैंने उस दिन अपने दोस्त आकाश को फ़ोन किया था लेकिन ये नंबर आपके पास आ चुका है अब तो आपसे बात हुई थी।
ख्वाहिश :- अरे हां! याद आया, लेकिन अब तो आपको पता चल चुका है कि अब ये आकाश का नंबर नहीं है तो आपने कॉल क्यों किया?
अरमान :- हां..वो बस मुझे आपसे बात करनी थी तो इसलिए.........
ख्वाहिश :- (बात काटते हुए) मुझसे क्या बात करनी है आपको! मैं तो आपको जानती तक नहीं....
अरमान :- नहीं जानते हैं वो मुझे भी पता है लेकिन मैंने जब आपकी आवाज़ सुनी तो मुझे बहुत अच्छी लगी, कुछ तो बात है आपकी आवाज़ में जो मुझे फिर से सुनने का मन किया। मुझे पता है कि ये आपके लिए कुछ अजीब होगा लेकिन मैं कल भी कॉल करने वाला था पर रुक गया यही सोचकर कि आपको कैसा लगेगा, मगर आज खुद को रोक नहीं पाया तो कॉल कर ही दी।
ख्वाहिश :- देखिए आप शायद गलत सोच रहे हैं। अच्छा तो हमें बहुत कुछ लगता है लेकिन सब कुछ हम हासिल तो नहीं कर सकते ना और लड़कियों से बात करने के ये सब तरीके होते हैं तो आपके लिए बेहतर होगा कि आगे से कोशिश न करें। आप क्या सोचते हैं आवाज़ की तारीफ़ करके.....
अरमान :- अरे अरे रुकिए, ब्रेक लगाइए मैडम! ( हंसते हुए) मुझे कुछ बोलने तो दीजिए। मेरी बात अभी पूरी तो होने देते, आपने तो पहले ही मुझे छिछोरा बना दिया। मैं तो बस ये बोलना चाहता था कि आपकी आवाज़ बहुत प्यारी है और आप ये मुझसे नहीं किसी से भी पूछेंगे तो वो यही बोलेगा। ये सब मैं आपको इंप्रेस करने के लिए नहीं बोल रहा बस कहीं से सुना था कि खूबसूरती की तारीफ करनी चाहिए तो बस आपकी आवाज़ की खूबसूरती को आपसे ही बयां कर रहा था। वैसे एक बात बताएंगी आप?
ख्वाहिश :- बोलिए।
अरमान :- आप हमेशा इतना ही बोलती हैं या फ़िर आज बस मेरी ही शामत आई थी।
ख्वाहिश :- मैं हर किसी के हर सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझती और वो भी एक अजनबी को। अब आप फोन रख सकते हैं।
अरमान :- ओह इतना गुस्सा! अच्छा एक आखिरी सवाल का जवाब तो दे दीजिए इस अजनबी को।
क्या आप दोस्ती करके इस अजनबी के ऊपर थोड़ा कर्म कमाएंगी! वो क्या है ना मैं मुझे भीड़ तो पसंद नहीं लोगों की लेकिन आपसे दोस्ती करने की चाहत दिल में तब से है जबसे पहली बार सुना था आपको।
ख्वाहिश:- दोस्ती! वैसे आपको बताना चाहूंगी कि सिर्फ आवाज़ सुनकर आप किसी इंसान के बारे में जो सोच लेते हैं ज़रूरी नहीं कि वो हकीकत में वैसा ही हो। आपको बताना चाहूंगी की जिस लड़की से आप दोस्ती करना चाहते हैं वो एक तलाकशुदा लड़की है, मुझसे दोस्ती करना मतलब समाज में बदनाम होना और लोगों के ताने सुनना। करना चाहोगे दोस्ती मुझसे!
अरमान:- चाहूंगा नहीं अब तो करनी ही है चाहे आप मुझे कितना भी गलत समझें। ख्वाहिश जी आपको पता है मेरे पापा नहीं हैं। बचपन से ही मैं और मां अलग रहते हैं क्योंकि उन्होंने कभी हमें अपना माना ही नहीं था। रोज़ रात को देर से घर आना और नशे की हालत में मां को पीटना और फिर एक दिन मां मुझे लेकर दूर चली गई। (हम्मम••••••• एक लम्बी सांस भरते हुए) मगर पता है मां ने कभी मुझे कोई कमी महसूस नहीं होने दी, आज मैं जो भी हूं बस मेरी मां की वजह से। मैं ये नहीं पूछूंगा की क्या हुआ था आपके साथ लेकिन हां मैं आपके आज में आपके साथ रहना चाहता हूं। जानता हूं कि मेरी मां की तरह आप भी कमज़ोर नहीं होंगी लेकिन आपके साथ चलने में मुझे खुशी होगी। यकीन मानिए मेरी वजह से आपको कभी कोई परेशानी नहीं होगी।
ख्वाहिश:- मुझे नहीं लगता था कि मैं दोबारा किसी पर भरोसा कर पाऊंगी लेकिन नजाने क्यों तुम्हारी बातें मुझे सच्ची सी लगती हैं। अकेलेपन से नहीं डरती हूं मैं मगर कोई हमें इस कदर समझे तो अच्छा लगता है। (आसमान की तरफ देखते हुए) थैंक्स अरमान।
अरमान:- अरे मैडम! आपने वो लाइन तो सुनी होगी न दोस्ती में नो थैंक्स एंड नो सॉरी।
(आसमान में चांद की तरफ़ देखते हुए दोनों के चेहरे की वो मुस्कुराहट मानो एक नए सफर की कहानी लिख रही थी।)

