खुशी
खुशी
शोभित अपने ऑफिस से निकल रहा था। आज उसे अपने घर जल्दी ही पंहुचना था क्योंकि आज उसकी छः साल की बेटी अनाया का जन्मदिन था। शोभित प्यार से उसे ‘गिट्टू' कह कर बुलाया करता था। गिट्टू की माँ नंदिनी उसे जन्म देते समय ही इस संसार से विदा ले चुकी थी। शोभित की जिंदगी में उसकी बेटी के अलावा उसके पिता जयकिशोर और माता नन्दा जयकिशोर भी मौजूद थे। अनाया की देखभाल करने के लिए एक केयर टेकर महक भी थीं।
शोभित ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे याद आया कि उसे तो गिफ्ट भी खरीदना है अनाया के लिए। बिना गिफ्ट देखे तो अनाया खाना भी नहीं खाएगी। उसने गिफ्ट शॉप पर गाड़ी रोककर गिफ्ट ख़रीदा और घर की ओर चल पड़ा।
रास्ते में एक जगह ट्रैफिक जाम लगा हुआ था। कुछ देर तक जब ट्रैफिक नही खुला तो शोभित गाड़ी से नीचे उतर कर गाड़ियों के बीच में से चलते हुए आगे पहुँचा तो उसने देखा कि सड़क पर एक लड़की बुरी तरह घायल पड़ी हुई थी। उसके सर से बहुत खून बह चुका था और अभी भी बह रहा था। वहां पर जमा लोगों की भीड़ उसकी मदद करने की बजाय बस उसे देखकर खुसुर फुसुर कर रहे थे।
शोभित भीड़ में से निकल कर उस लड़की के पास पंहुचा। लड़की एक तरफ उलटी होकर बेहोश पड़ी हुई थी। शोभित ने उसे सीधा किया। शोभित ने जैसे ही उसे देखा तो चौक गया। यह उसके ऑफिस में काम करने वाली पंछी शर्मा थी।
उसने तुरंत पुलिस को यह बताने के लिए फोन किया कि वह पंछी को लेकर अस्पताल जा रहा है और पुलिस को अस्पताल आने के लिए कहा। उसने पंछी को गोद में उठाया और अपनी गाड़ी तक ले गया। पंछी को गाड़ी में बिठाकर वह गाड़ियों के हटने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर जब भीड़ छंट गई तो गाड़ियाँ भी हट गई। जैसे ही ट्रैफिक खुला वैसे ही शोभित ने कार अस्पताल की ओर मोड़ दी।
अस्पताल पंहुचते ही उसने पंछी को एडमिट कराया और खून का इंतजाम करने में लग गया। काफी भागदौड़ के बाद जब डॉक्टर ने बताया कि पंछी अब खतरे से बाहर है तो शोभित ने चैन की सांस ली। अब उसे याद आया कि उसे तो अनाया के पास होना चाहिये था। उसने अपना फोन चेक किया तो उसमें बीस मिस्ड कॉल थी।
अभी वह घर पर फोन करने ही वाला था कि तभी वहां पुलिस पूछताछ करने के लिए आ गयी। उसने पुलिस को बताया कि उसने पंछी को सड़क पर घायल पड़े देखा था। आज पंछी ने ऑफिस से छुट्टी ली थी और इसके बाद उसके साथ क्या हुआ, उसे नही पता।
बातचीत खत्म होने के बाद शोभित अपने घर पहुंचा तो अनाया गुस्से में थी। उसने खाना भी नही खाया था। जब शोभित ने अनाया को बताया कि उन्होंने किसी की मदद की। यह सुनकर अनाया का गुस्सा गर्व में बदल गया। उसने खुश हो कर अपना गिफ्ट लिया और सोने चली गई।
शोभित ने खून लगे कपड़े बदले जो पंछी को लेकर जाते वक्त लग गया था। वह इन सब कामों से फुर्सत पाया ही था कि तभी पुलिस का फोन आया कि पंछी का एक्सीडेंट उसका ध्यान बंटने से हुआ था। अब वह निश्चिंत होकर रह सकता है।
शोभित सोच रहा था कि आज जो कुछ भी हुआ उससे उसे इस बात का एहसास हुआ कि कभी कभी अपनो की खुशी से ज्यादा किसी की मदद करना ज्यादा खुशी दे जाता है। आप किसी के नायक बन जाते हो और वहीं आपका इनाम बन जाता है।