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khushi karan Tiwari

Tragedy

3  

khushi karan Tiwari

Tragedy

ख़्वाब एक हक़ीक़त

ख़्वाब एक हक़ीक़त

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ये कहानी है राजस्थान में रहने वाले सतीश की, सतीश का इस दुनिया में अपना कोई भी नहीं है, उसके माता-पिता बचपन में ही चल बसे थे, सतीश को अनाथआश्रम वालों ने ही पाला है, वो अभी 17 साल का है, और उसे एक डांसर बनना है...


जो कि अपने डांस के सपनों को पूरा करने के लिए बम्बई चला आया है, और वो अपने सपने को पूरा करने में दिन रात लगा है, आइए जानते है क्या था सतीश का ख्वाब और वो हकीकत में बदला या नहीं। सतीश जब बम्बई आया तब उसके पास न रहने को घर था न ही खानों के लिए पैसे... और न वो इस बड़े सहर में किसी को जनता था.... पर उसके इरादे बहुत मजबूत थे वो हार मानने वालों में से नहीं.. और सतीश बिन कुछ सोचे बम्बई को ही अपना घर बना लेता है, और रात रेलवे स्टेशन पर ही गुजार देता है.. सुबह होती है और सतीश अपने सपनों को पूरा करने निकल जाता है.. पहले दिन वो सोचता है पेट पालने के लिए कोई पार्ट टाइम जॉब तो करना होगा, और वो एक रेस्टोरेंट में जाकर कहता है (मुझे काम की जरूरत है आपके दुकान में अगर कोई काम हो तो प्लीज मुझे रख लीजिए.... स्टोरेंट का मालिक जो कि एक गुजराती है, और दिल का बहुत ही साफ है, वो सतीश को काम दे देता है... और उसे वेटर की नौकरी देता है सतीश बहुत खुश होता है, लेकिन पहले ही दिन पैसे तो नहीं मिलते, वो भूख से तड़पने लगता है, पर उसे अपने मालिक से कहना ठीक नहीं लगता वो डर रहा होता है... पर उसका मालिक सतीश को देखकर समझ जाता है और उससे पूछता है(क्या हुआ सतीश काफी सुस्त लग रहे हो आओ पहले तुम भी कुछ खा लो)ये सुन कर सतीश खुश हो जाता है और अपने मालिक के गले लग जाता है, और कहता है आपका ये एहसान न जाने कैसे चुका पाऊंगा अनजान सहर में भला कौन किसकी मदद करता है, आपका धन्यवाद। मालिक- सतीश से कहता है भूखे को खाना खिलाना पुण्य का काम है, तुम्हारी वजह से मुझे पुण्य मिला है, अब बताओ धन्यवाद तुम्हें मेरा करना चाहिए या मुझे तुम्हारा और मुस्कुराते हुए खाने के प्लेट सतीश की ओर बढ़ा देता है... सतीश खाना खा कर वापस अपने काम पर लग जाता है.. रात को रेस्टोरेंट बंद करते वक़्त मालिक सतीश से पूछता है (अच्छा सतीश तुम रहते कहाँ हो, चलो मैं तुम्हें अपनी बाइक पे छोड़ देता हूं) सतीश यही रेलवे स्टेशन के पास भइया... सतीश अपने मालिक के साथ रेलवे स्टेशन पहुँचता है, मालिक-अरे यहाँ क्यों आये हो, तुम ट्रैन से घर जाते हो, तुम्हारा घर यहाँ से दूर है क्या?? सतीश नही भइया मैं यही रहता हूं, स्टेशन पे कल रात को ही इस सहर में आया हूं, अभी घर किराए पे लेने के पैसे नहीं है, पर कोई बात नहीं भइया कुछ महीनों में ही किराए पे घर भी ले लूंगा... ये सुन कर मालिक की आंखें नम हो जाती है, और वो सतीश को अपने साथ अपने घर ले आता है और उसे कहता है(सतीश आज से तुम यहीं रहोगें हमारे साथ इसे अपना ही घर समझो) सतीश अपने मालिक को धन्यवाद कहता है, और तभी उसका मालिक उसे गले से लगा लेता है.... और कहता है-अच्छा सतीश तुम यहाँ आये क्यों हो, सतीश- भइया मैं डांस करता हूं, डांसर बनना मेरा सपना है,मैं यहाँ अपने सपने को पूरा करने आया हूं.. ये सुन कर उसका मालिक भी बहुत खुश हो जाता है और कहता है अरे वाह सतीश हमें भी तो अपना डांस दिखाओ.. सतीश जी भइया जरूर और सतीश डांस करने लगता है.. उसका डांस देख कर उसके मालिक का मुंह खुला का खुला रह जाता है, क्योंकि सतीश बहुत ही अच्छा डांस करता है... और उसका मालिक उसे 500₹ देता है और कहता है लो सतीश तुम्हारी डांस कि पहली कमाई, मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा की तुम एक दिन बहुत बड़े डांसर बनो। सतीश भइया बस आपका आशीर्वाद चाहिए फिर जरूर मैं अपने सपने को पूरा करूँगा... मालिक-अरे मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है.. और अगले ही सुबह सतीश के रेस्टोरेंट में एक फ़िल्म के प्रोड्यूसर आते है, उन्हें जो कि रेस्टोरेंट के मालिक के दोस्त भी थे, और उन्हें सतीश के मालिक ने ही बुलाया था.. ताकि वो सतीश का डांस देख सके और उसे भी मौक़ा दे.. प्रोड्यूसर सतीश का डांस देख कर बहुत खुश होता है, और उसे अपने फ़िल्म के गाने के लिए कुछ नए डांस स्टेप बनाने के लिए कहता है, और सतीश की सपने को पंख यही से मिलती है... उस फ़िल्म के बाद बहुत से प्रोड्यूसर सतीश को ही अपने फ़िल्म में कौर्योग्राफर लेना चाहता है... और सिर्फ कुछ ही महीनों में सतीश बहुत ही अच्छा और मशहूर बन जाता है..... और इस तरह सतीश का ख्वाब एक हकीकत का मोड़ ले चुका होता है... और सबसे ज्यादा खुश सतीश इस बात से होता है को उसे मालिक के जगह एक पिता मिल जाते है, वो अब उनके साथ ही रहता है और उसका मालिक भी उसे अपने बेटे जैसा प्यार करता है... तो ये थी सतीश की सपनों की कहानी जो कि अब हकीकत में बदल चुकी है। 



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