कौन, क्यों? (भाग १)
कौन, क्यों? (भाग १)


तुलसी - सर थोड़ा गाड़ी रोक कर चाय पान हो जाए... ये बोलते वक़्त तुलसी के चेहरे पर भूख-प्यास, साफ़ - साफ़ देखा जा सकता था।
सर (S.H.O साहब ) - अरे नहीं - नहीं बाबा... (तुलसी का स्वभाव ही कुछ ऐसा था की सब उनको बाबा ही बोलते थे ऐसा लगता था की तुलसी को, दुनिया के हर एक ग्रंथ का ज्ञान हो )
पिछले दो दिनों से ऐसा वीआईपी ड्यूटी लगा है की, वर्दी तक बदलने का मौका नहीं मिला। इतनी बदबू आरही है, की चाय अपना रास्ता बदलने को कहीं मजबूर ना हो जाए।
इतना बोल तुलसी से, सर अपना फ़ोन जेब से निकाल किसी को फ़ोन लगाने लग गऐ और इससे पहले की किसी को फ़ोन लगे, बोल पडे, बाबा ऐसा करो रोक ही लो गाड़ी, कहीं किनारा देख कर...
ये सुनते ही बाबा यानी की सब के प्यारे, ज्ञानी हेड कांस्टेबल "मिस्टर तुलसी त्रिपाठी" के चेहरे पर मानो चाय की चुस्की के बादवाला आनंद छलक आया हो और इससे पहले की सर फ़ोन अनलॉक करते,
तुलसी - सर यही गाड़ी रोक दू क्या और बिना सर के हा या ना की ज्यादा फ़िक्र किये गाड़ी को बिना ज्यादा सोचे समझे एक चाय की दुकान पर रोक दिया...
तुलसी - सर चले
सर - अरे हाँ, हाँ चलो बाबा
तुलसी - औ भाई दो चाय लाओ, अरे सुनो भी...
सर-बाबा को इतने बेताबी से आवाज लगते देख बोले, बाबा काका दुकान पर कम फ़ोन में ज़्यादा व्यस्त लग रहे है, ये बोलते सर ने भी एक भारी और आवाज उची कर के बोले, औ काका जी चाय - वाई मिलेगा की नहीं...
काका (दुकानदार)-ये आवाज सुनते ही काका बडे ही सहमे आवाज में बोले, सर आप बैठे गरमा - गरम चाय भेज रहा हुॅं।
काका - छोटू ये ले स्पेशल चाय साहब लोगो को जल्दी दे और जल्दी दे कर आ... देख ये फ़ोन में क्या होग्या है, लगता ही नहीं है।
जब तक काका की बात पूरी हो छोटू-साहब और कुछ, बोलते हुए छोटू ने साहब सब को चाय दिया।
तुलसी - अरे छोटू मालिक और क्या है।
छोटू - अपने कंधे पे रखे गमछा को उसी गारी के खिडकी पे रखते हुए बोला, साहब रस है, पापे है और बादाम वाली बिस्कुट।
जैसे ही बादाम वाले बिस्कुट का आवाज S.H.O साहब के कानो को छुवा न जाने क्यों उनको अपने बचपन का वो दिन याद आ गया, जब वो एक बादाम वाले बिस्कुट के लिए शाम को 6 बजे से ही माँ को दिखा कर पढ़ने बैठ जाते थे।
सर - जा भाई 2-4 बिस्कुट ले आ... ये बोलते हुए सर ने एक पहली चाय की चुस्की ली और बोले, बाबा लगता है ये फ़ोन का नेटवर्क भी थक गया है पता नहीं क्यों नेटवर्क नहीं आ रहा है।
जैसे ही ये शब्द नेटवर्क तलसी के कानो में गया, तुलसी ने बडे ही बेरुखी से चाय को रख कर एक ही सांसों में गाड़ी के तरफ अपने कदमो को बढ़ाया...
सर - बाबा क्या हुआ?
तुलसी - सर अभी आया बस एक मिनट... बोलते हुए तुलसी ने गाड़ी का दरवाजा खोला और जैमर को बंद किया और फिर उसी कदमो से वापस चाय के तरफ बढे।
सर - बाबा क्या हुवा?
तुलसी - सर वो जैमर बंद करना भूल गया था... ये बोलते हुए तुलसी ने चाय की एक चुस्की ली और बोले, अरे छोटू बिस्कुट देगा भी ?
छोटू - सर बस ला रहा हुॅं, बोलते हुए छोटू ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और बोला, दिखाओ फ़ोन किस को लगाना है जल्दी बोलो साहब लोग बिस्कुट मांग रहे है...
काका - ले पता नहीं ये फ़ोन काम क्यों नहीं करता...
छोटू - अरे काका बोलो किस को लगाना है?
काका - अरे घर पर काकी को फ़ोन लगा।
छोटू - ये लो लग गया और बिस्कुट ले कर भनभनाता हुआ आगे बढ़ा, साहब ये लो...
सर - कितना समय लगता है छोटू... ये बोल कर सर ने एक बिस्कुट उठाया।
छोटू - अरे सर पता नहीं काका को फ़ोन चलाना कब आएगा? एक नंबर तो लगा नहीं पाते है... ये बोल कर छोटू वँहा से निकल गया।
तुलसी - बिस्कुट कहते हुए बोला, सर एक बात पुछु?
सर - हां, बाबा बोलो...
तुलसी - सर एक तो वैसे ही हमारे चौकी में सिर्फ 3 गाड़ी ही है और उस में से भी पिछले दो दिनों से एक गाड़ी वीआईपी सिक्योरिटी के लिए ले लिया।
सर-चाय में बिस्कुट डूबते हुए बोले, बाबा क्या कर सकते है।
बाबा-सर हमारे गाड़ी में जो जैमर लगाया है, क्या वो वापस ले लेंगे... ये बोलते हुए बाबा ने एक चाय की चुस्की ली।
सर - क्या पता बाबा, ये तो कल कण्ट्रोल रूम जा कर ही पता चलेगा, वैसे अगर ये वापस लेंगे तो गाड़ी का पूरा छत ख़राब हो जाएगा।
ये बोलते हुए सर ने फ़ोन लगाया और बोले, देवी जी पानी थोड़ा गर्म करो आकर नहाना है।
ये सुनते ही,
बाबा - सर आप यहाँ से थाना जाएंगे या फिर सीधा घर?
सर - बाबा मुझे घर छोड दो और गाड़ी ले कर थाना पहुँचो, आज बहुत थकावट हो रहा... ये बोलते हुए सर ने चाय की आखरी चुस्की ली और बोले, बाबा चले?
बाबा - जी सर, में गर्दन हिलाते हुए बाबा दूकान के तरफ बढे और बोले, काका कितना पैसा हुआ?
काका - सर आप का ही दुकान है, आप से क्या पैसा लेंगे, आप है तो ये दुकान है।
तुलसी - अरे काका ये पाप ना करवाओ भगवान को क्या जवाब देंगे... बोलते हुए पचास का नोट, बिस्कुट के डबे पर रख कर गाड़ी के तरफ बढे, सर चले...
सर - जी चलो
जैसे ही गाड़ी ने अपनी रफ़्तार पकड़ी S.H.O शाहब की नजर एक गमछे पर पडी, अरे बाबा ये किस का है?
बाबा - पता नहीं सर हमारा तो नहीं है, और थोड़ा रुक कर बोले, सर शायद ये छोटू का है रख कर भूल गया होगा...
सर - छोडो, कोई बात नहीं कल राउंड के समय दे देंगे...
बाबा ने भी जी में सर हिलाते हुए बोले, सर, थाना वाला ट्रांसमीटर ऑन कर दे क्या अब?
सर - हाँ-हाँ ऑन कर दो बाबा और यहीं पर रोक दो यहाँ से मै चला जाऊंगा।
बाबा - सर घर तक छोड देता हुॅं?
सर - नहीं नहीं देवी जी का आदेश है की कुछ सामान ले कर घर में दाखिल हो... मुस्काते हुए बोले, ऐसा करो यही से वापस कर लो।
बाबा - जी सर।
जैसे ही बाबा ने गाड़ी रोकी सर बाहर निकल कर लम्बे कदम के साथ सामने वाले किराना स्टोर के तरफ बढ ही रहे थे की, तभी अचानक से वायरलेस पर एक इमरजेंसी सन्देश आया... कण्ट्रोल रूम से की नजदीकी पुलिस कर्मी को सूचित किया जाता है की जल्दी से घटना स्थल पर पहुंचे एक महिला पर हमला हुआ है और फिर वायरलेस पर पता बताया गया...
बाबा - सर अब क्या करे?
सर - बाबा चले जाओ देख लो अगर कुछ ज्यादा हो तो मुझे फ़ोन करो।
बाबा - जी सर बोल कर गाड़ी को पूरी रफ़्तार से ले कर वहा से निकल गए
घर पहुंच कर सर ने बोला, अरे महोतरमा, ये सामान सब किसी और से माँगा लिया करो
सुनीता (सर की धरम पत्नी) - आप ये सब छोडो जल्दी से बाथरूम में जाओ...
सर - हाँ-हाँ ठीक है
कुछ देर बाद फ़ोन की घंटी बजी।
बाबा - मैडम मैं तुलसी बोल रहा हुॅं सर से बात करवाइये थोड़ा जल्दी...
सुनीता - बाबा अभी तो आये है, आप लोग भी ना...
जब तक ये बात पूरी होती S.H.O साहब ने पीछे से बोला, किस का फ़ोन है?
सुनीता - आप के बाबा है
सर - हेलो बाबा क्या रिपोर्ट है?
बाबा - सर यहाँ तो एक महिला की शव है।
सर - क्या? अच्छा थाने में रिपोर्ट करो और एरिया सील करवाओ मैं पहुंच रहा हुॅं।
क्रमश: भाग २ बहुत जल्दी...