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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

कैसे लिखूं उनका दर्द

कैसे लिखूं उनका दर्द

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जब न्यूज चैनलों पर एक वीडियो चलने लगा जिसमें एक महिला अपनी एक दो साल की नन्ही सी बच्ची को अमेरिकी सैनिकों को सौंपते हुए कहने लगी कि "यहां पर यह बच्ची मार दी जाएगी । आप कृपया इसे अपने मुल्क ले जाइए । चाहे जैसे भी रह लेगी मगर जिंदा तो रहेगी" । 

कसम से इन शब्दों को सुनकर मेरे कान पिघलने लगे ‌‌आंखों में खून उतर आया । सीने में ज्वाला धधकने लगी । जबड़े भिंच गये । मुट्ठियां कस गई । मस्तिष्क सुन्न हो गया । सांसें उफनने लगीं । 


कौन है वह महिला ? किससे उसे इतना खौफ है कि वह अपनी छोटी सी बच्ची को विधर्मियों को सौंपने को तैयार हो गई। जिनका खौफ उसके चेहरे पर नजर आ रहा है , वो तो उसके ही मजहब वाले भाईजान हैं । जबकि बच्ची जिनके हाथों में देकर उसे सुरक्षित करना चाहती है वे तो दूसरे धर्म के सिपाही है । उसे अपने मज़हब वाले भाईजानों से खतरा लग रहा है लेकिन दूसरे धर्मावलंबियों पर इतना विश्वास है कि बेटी ही सौंप दी उन्हें । आप कल्पना कीजिए कि किस हद तक क्रूर होंगे वो जिनके दहशत के साए में वह महिला अभी जिंदा है । क्या इसे धर्म कहते हैं ? जिस धर्म में अत्याचार करना बताया है , वह धर्म नहीं कुछ और है । 


उस मां की मजबूरी समझो जो अपनी फूल सी बच्ची को हजारों मील दूर भेज रही है जहां उसका लालन पालन हो पायेगा या नहीं , ये उसे पता नहीं । वह यह जानती है कि वह बच्ची वहां पर जिंदा रह सकती है मगर यहां पर नहीं । क्यों ? यहां पर तो सब उसके ही भाई बंधु हैं । एक ही मजहब के हैं फिर भी उनसे इतना खौफ ? 


एक और वीडियो देखा जिसमें एरोप्लेन में घुसने की मशक्कत कर रहे हैं लोग । कोई सीढ़ी पर लटक रहा है तो कोई पहिये पर चढ़ हुआ है । प्लेन दौड़ता है और दनादन गोलियां चलने लगती है । लोग मर रहे हैं , गिर रहे हैं । प्लेन से गिरकर मर रहे हैं । आखिर किन से डर रहे हैं ये लोग ? 


इतने क्रूर , इतने आततायी कि शैतान भी शर्मिंदा हो जाए । ऐसे लोगों से किसे डर नहीं लगेगा ? इन बेचारे लोगों का दर्द मैं कैसे लिखूं ? क्या आप लिख सकते हैं ? 


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