काली रात के बाद हसीन सुबह

काली रात के बाद हसीन सुबह

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जिंदगी किसे और कब.. किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है ये शायद किसी को पता नहीं होता। अजीब सी कशमकश में फंस गई हूँ। क्या करुँ क्या न करुंँ। संध्या बैठी ख्यालों में खोई थी। अंधेरा घिरने को आया था पर शिव का कुछ पता न था। सुबह तो उसने यहीं आने को बोला था, मैंने तो कई बार बोला था फिर क्यों नहीं आया... अबतक तो आ जाना चाहिए था उसे।

फोन भी नहीं उठा रहा 5 बजे बोला था 7 बजने को आएं अब क्या करुं!..माँ भी अब फोन करने लगेगी!..बार बार फोन लगाने लगी वो शिव को.. पर फोन बंद क्यों किया है उसने? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा... क्या ..और किससे पूछूँ?

आँखों से आँसु अब बाहर आने लगे,आखिर शिव ने ऐसा क्यों किया? नहीं आना था तो पहले बताता? उसने उसे धोखा क्यों दिया? इतना प्यार करता था वो, फिर आज यहाँ मुझे अकेला इस मोड़ पर क्यों लाकर छोड़ दिया?

दो साल के प्यार में मैंने उसे कितना चाहा, उसने भी कितने वादे, कितने कसमें खाई थी फिर कहाँ गए वो सब? अभी तक तो सब ठीक था। उसे सुबह की बात याद आने लगी।

शिव कल लड़के वाले सगाई के लिए आ रहे हैं। तुम्हें इतने दिन से बोल रही थी तुमने हमेशा कहा मैं संभाल लूंगा, अब मैं क्या करुं शिव? मैं तुम्हारे साथ कहीं भी चलने को तैयार हूँ। पापा नहीं मान रहें हैं तुम्हें पता है न शिव.. प्लीज चलो.. हम बाहर जाकर शादी कर के आ जाएंगे फिर सब को मानना ही पड़ेगा। शिव हम शाम को मिलते हैं स्टेशन पर। कुछ बोलो शिव।

हाँ .....हाँ.. मैं आ जाउँगा।

पक्का शिव आ जाओगे न ?

हाँ..हाँ पक्का।

शिव हम शादी करके वापस आ जाएंगे।

हाँ शिव ने कहा।

तभी ट्रेन की सीटी की आवाज़ से संध्या की सोच टूटी। फिर से फोन लगाती हूँ... ओह.. फिर से फोन बंद उसने कहीं धोखा तो नहीं दिया...., नहीं नहीं.. शिव ऐसा नहीं कर सकता मेरे साथ पर अब तो 8 बज गए।

मन घबराने लगा पसीने से भीग गया सारा बदन अब क्या करूं मैं कुछ समझ नहीं आ रहा... मोबाइल नंबर देखती हूँ शायद किसी का मिल जाए।ओ हो ये नंबर तो उसके गांव का है जब वो गया था तो एक बार उसने किया था पर ये उसका नंबर नहीं था शायद किसी दोस्त का हो कोशिश करती हूँ।

घंटी बजे जा रही थी ..उठाओ... फोन कोई तो उठाओ?

हैलो..हैलो

हैलो... मैं संध्या क्या शिव को आप जानते हैं? उनका नंबर नहीं लग रहा।


शिव... कौन शिव... अच्छा शिव..हाँ.हाँ वो आज ही तो शाम को आया है गांव हम सब मिलकर ही आ रहे हैं उसने कहा भी की वो एक महीनें अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहेगा।

क्या ? संध्या जैसे आसमान से जमीन पर आकर गिरी। उसने फोन कट किया और रो पड़ी शिव को बच्चा भी है मतलब उसकी शादी हो चुकी थी, और वो सुबह ही गांव चला गया, इतना बड़ा धोखा दिया है उसने। अब क्या करुं इतनी रात हो गई मम्मी से क्या कहूंगी, मैंने एक बार भी इन लोगों के बारे में नहीं सोचा, ये मुझे क्या हो गया था।

शिव ने तो मेरी आँखो पर पर्दा ही डाल दिया था पर मैं, मैंने क्यों नहीं किसी की सुनी! मम्मी ने तो कई बार टोका था मुझे पापा ने भी हिदायत दी थी मैंने उन्हें ही गलत समझा, क्या कहुंगी अब मैं उनसे। वो जोर से रो पड़ी तभी उसे अपने कंधे पर हाथों का स्पर्श हुआ, वो घबरा कर पीछे पलटी ये तो मम्मी थीं, आँसुओं की धार ही बह निकली उनके गले लगकर हर दर्द को बहा देना चाहती थी।

नहीं रो मत अब सीधा घर चल पापा चिंता में होगें। हम माँ बेटी कहाँ हैं अब तक? फोन कर दिया है मैंने हम पहूंच रहे हैं आ जा अब 

पर मम्मी

पर-वर कुछ नहीं सीधा घर....वहीं बात करेंगे।

मुझे अपने आप पर शर्म आ रही थी मैंने जिसे धोखा दिया वो मेरे साथ हैं। वो सोचने लगी....माँ -पापा मैंने उनके बारे मैं एक बार भी नहीं सोचा कल मेहमानों के सामने उनकी क्या हालत होती! छी..मैं कितनी गिर गई थी शिव ने तो सचमूच मुझे कहीं का न छोड़ा होता अगर माँ न आतीं तो वो क्या करती? पर मम्मी आईं कैसे? उन्हें कैसे पता चला ये सब..... उसकी शर्म से गर्दन झुक गई थी। अब तो घर पर उसकी जो हालत होगी। पूरे रास्ते बस एक चुप्पी पसरी रही। आँखें बार-बार भर आईं कभी शिव की बेवफाई पर कभी मम्मी की ममता पर, जिसपर मैंने कई बार सवाल खड़े कर दिए थे।

आजा चल आ गया घर ।

तू जा हाथ-मुँह धो ले मैं खाना लगाती हूँ और हाँ पापा से कुछ नहीं कहना! उन्हें नहीं पता ..मम्मी ने कहा। 

माँ ने जिस तरह कहा ऐसा लगा कुछ हुआ ही न हो।

खाना खाकर बिस्तर पर थी रोज शिव आँखों में तैरता था पर आज बार-बार माँ आ रही थी और आँखें भरे जा रही थीं। 

माँ तो माँ होती है आज मैंने जाना शायद उन्होंने मेरी और शिव की बातें सुबह सुन ली थीं और उन्हें पुरा विश्वास था शिव नहीं आएगा तभी वो मेरे पीछे आईं और उतनी देर इन्तजार किया। मम्मी नहीं आतीं तो वो क्या करती पता नहीं पर जो होता शायद बुरा ही होता।

संध्या अब तुम आराम करो अच्छे से सो जाओ, और सब भूल जाओ तो अच्छा है। बाकी बातें बाद में होगी कुछ सोचने की जरुरत नहीं है मुझे पता है तुम सोच रही होगी मैं वहाँ कैसे ?

बेटा जब माँ बनोगी तब समझ आ जाएगी माँ बनना क्या होता है! "बच्चे गलत रास्ता चुने तो उन्हें छोड़ नहीं दिया जाता, उन्हें संभालने को तैयार होना पड़ता है।" उन्हें अच्छा लगे या बुरा लगे हमें उन्हें रोकना पड़ता है न मानें तो भी बुरे बनकर ही अच्छा रास्ता दिखाना पड़ता है बेटा! और वही मैंने भी किया। ये उम्र ही नाजुक है गलती हो जाती है पर इस गलती से सबक लेना जरूरी है हम सब पर आँख बंद कर के विश्वास नहीं कर सकते।

सो जा कल से नयी राहें नयी मंजिल तुम्हारा इंतजार कर रही होगी बस सब कुछ भूल कर आगे बढ़ जा।

हाँ.. माँ ..। मम्मी मुझे माफ कर दो ...

हाँ.. मेरी बच्ची ....बस अब सब ठीक हो जाएगा।

मेरी संध्या वापस आ गई है। हाँ.. मम्मी....

बच्चे कभी-कभी गलत रास्ते पर चलने लगते हैं.. उन्हें सही -गलत का फर्क समझाने के लिए कोई भी रास्ता अपनाया जाए तो वो सही है... है.. न...

संध्या भी चुपचाप बस यही सोच रही थी अच्छा हुआ मां ने उसे इस भंवर से निकाल दिया नहीं तो वो शायद फंसकर रह जाती।किसी ने सच कहा है काली रात के बाद सचमुच सुबह जरूर आती है कल मेरी जींदगी की भी हसीन सुबह नयी शुरुआत होगी।हाँ एक नयी शुरुआत।"काली रात के बाद एक हसीन शुरुआत कल से" संध्या ने एक लंबी साँस ली पूरे आत्मविश्वास के साथ।


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