जन्मदिन
जन्मदिन


Dear Diary,
आजकल थकान बहुत हो जाती है। काम तो है ही, पर दिमागी परेशानी बेचैन कर देती है। आज जन्मदिन है मेरा, पर मन बहुत उदास है। यह कैसा जन्मदिन? कोई अपना पास नहीं, परिवार अपने अपने घरों में कैद। कोई फूल, कोई केक, कुछ नहीं.... इतना नीरस, अकेला जन्मदिन कभी नहीं हुआ।
नहा कर पूजा पाठ किया और दिनचर्या में लग गई। पतिदेव ने भी हर काम में हाथ बँटाया और चाय पिलाई।
शाम को फोन की घंटी बजी, पड़ोसिन का फोन था। बोली, "अन्दर ही बैठे रहना है क्या? बाहर निकलो"
बहुत बेमन से मैं बाहर आई तो हक्का बक्का हो गई। बीच की दीवार पर कुछ फूलों के साथ मोमबत्तियाँ जल रही थीं। एक तरफ केक भी पड़ा था। दीवार के उस पार पड़ोसी खड़े मुस्कुरा रहे थे। मेरी खुशी आँखों से हल्के से बह गई। पतिदेव को आवाज़ लगा बाहर बुलाया। मैंने केक काटा, हमने दीवार के दोनों ओर अपने अपने घर में, पर फिर भी इकट्ठे, मस्ती करी। क्या बताऊँ, इतना खूबसूरत जन्मदिन कभी नहीं मनाया। अपना केवल परिवार ही नहीं होता, हमारे चहुँ ओर अपने होते हैं, नज़र चाहिए पहचानने को।
इतनी अनमोल भेंट जो आज मिली है, ताउम्र नहीं भूलेगी।