जीवन में संघर्ष
जीवन में संघर्ष
कविता का बाल विवाह हुआ था। मां बाप ने आर्थिक स्थिति नाजुक होने के कारण अधेड़ उम्र के बंदे से उसका विवाह करा दिया। कुछ समझ नहीं थी। खेलने खाने की उम्र में गृहस्थी संभालना पड़ा था। खुद तो बच्ची अब वो नासमझ खुद मां बनने वाली हैं। दो प्यारे बच्चों को जन्म दिया।
बच्चे चार पांच महीने के हुए तो बाप का साया सर से उठ गया। कविता के जीवन में संघर्ष शुरू हो गया। घर की स्थिति पहले ही अच्छी नहीं अब दो बच्चों को पालने की खातिर वो घर से बाहर निकल काम करने लगी।
कुछ साल बाद अपनी मेहनत और लगन से बच्चों की अच्छी परवरिश का अंजाम दिखने लगा। बच्चे अब खुद अपनी जिम्मेदारी उठाने लगे। दोनों बच्चों ने अपनी शिक्षिका से बात कर मां को पढ़ाने की ठान ली। कविता की उम्र ज्यादा न थी। बाल विवाह जो हुआ था।
पहले कविता ने बच्चों के लिए संघर्ष किया अब बच्चे अपनी मां को शिक्षित करना चाहते थे। इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है, ऐसी अच्छी परवरिश और संघर्ष कविता की जिंदगी संवर गई।
"कोशिश करने वालों की
कभी हार नहीं होती
संघर्ष करने वालों की
जिंदगी बेकार नहीं होती"