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shiv sevek dixit

Inspirational

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shiv sevek dixit

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जीवन का संघर्ष

जीवन का संघर्ष

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पुरानी लोक कथा के अनुसार एक युवक जीवन में संघर्ष करते-करते थक गया, उसे धन कमाने के लिए कोई भी काम नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में वह निराश हो गया और आत्महत्या करने के लिए एक जंगल में चला गया। वहां उसे एक संत मिले। संत ने उससे पूछा कि तुम अकेले यहां क्या कर रहे हो?

युवक ने अपनी सभी समस्याएं संत को बता दी। तब संत ने कहा कि तुम्हें कोई काम जरूर मिल जाएगा। इस तरह निराश नहीं होना चाहिए। व्यक्ति ने कहा कि मैं हिम्मत हार चुका हूं। मुझसे अब कुछ नहीं होगा। संत उसे कहा कि मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। उससे तुम्हारी निराशा दूर हो जाएगी। कहानी ये है कि एक छोटे बच्चे ने एक बांस का और एक कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों की देखभाल करता। एक साल बीत गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा था। बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी और वह दोनों की देखभाल करता रहा।

इसी तरह कुछ महीने और निकल गए, लेकिन बांस का पौधा वैसा का

वैसा था। बच्चा निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी। कुछ महीनों के बाद बांस पौधा भी पनप गया और कुछ ही दिनों में कैक्टस के पौधे से भी बड़ा हो गया। दरअसल, बांस का पौधा पहले अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसीलिए उसे पनपने में थोड़ा समय लगा।

संत ने उस व्यक्ति से कहा कि हमारे जीवन में जब भी संघर्ष आए तो हमें हमारी जड़ें मजबूत करना चाहिए, निराश नहीं होना चाहिए। जैसे ही हमारी जड़ें मजूबत होंगी, हमारी तेजी से हमारे लक्ष्य की ओर बढ़ने लगेंगे। तब तक धैर्य रखना चाहिए। वह युवक संत की बात समझ गया और उसने आत्महत्या करने का विचार त्याग दिया।

कथा की सीख

इस कथा की सीख यह है कि हमारे जीवन में जब भी बुरा समय आए तो उसका सही उपयोग करना चाहिए। बुरे दिनों में हमारी जड़ें मजबूत करनी चाहिए यानी अपनी योग्यताओं को निखारना चाहिए, हमारी कमियों को दूर करना चाहिए। जब हमारी कमियां दूर हो जाएंगी तो योग्यता निखरने लगेगी और हम सफलता हासिल कर पाएंगे।


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