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shiv sevek dixit

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भारत की कहानी

भारत की कहानी

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हम सब भारत की कहानी (Story of India) जानने की उत्कंठा रखते हैं। यह एक ऐसा देश है जो विविधता, संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। भारत देश का इतिहास उसकी संस्कृति, धर्म और राजनीति से जुड़ा हुआ है। यह देश अपनी बेहतरीन संस्कृति के लिए जाना जाता है और इसकी कहानी हमेशा से उल्लेखनीय रही है। इस देश की कहानी वास्तव में एक रोमांचक यात्रा है, जो हमें इस देश के इतिहास, संस्कृति और धर्म से परिचित कराती है। भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है। इसके इतिहास में बहुत से महान व्यक्तियों की कहानियाँ हैं। भारत की इतिहास की शुरुआत प्राचीन भारत से हुई थी। प्राचीन भारत एक समृद्ध संस्कृति और धर्म का केंद्र था।  

इस देश का इतिहास समृद्ध और विस्तृत है, जो हजारों सालों से चलता आया है। भारत का इतिहास विविधता से भरा है, जो इस देश के संस्कृति और जीवन शैली को अद्भुत बनाती है। प्राचीन रोमन और ग्रीक इतिहास से भी पहले भारत का इतिहास शुरू हुआ। इसके प्रारंभ में, भारत के विभिन्न हिस्सों में कई राज्य थे जो अपनी अलग-अलग संस्कृति, भाषा, और राजनीति विधि के साथ विकसित हुए थे।

इस भारत नाम का उल्लेख भारत के इतिहास में अधिकतर धर्मों के पथिकों द्वारा किया गया है। वे भारत को भारत कहकर इस देश के साम्राज्य, संस्कृति, जनता और धर्म के बारे में स्मरण करते थे। भारत को हिंदुस्तान, आर्यावर्त और भारतवर्ष जैसे नामों से भी जाना जाता है। संस्कृत भाषा में भारत को ‘भारतवर्ष’ कहा जाता है। प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया.

भारत का नाम इतिहास (Story of India) के अनेक व्यक्तियों और ग्रंथों में उल्लेखित होता है। पौराणिक युग में भरत नाम के कई व्यक्ति हुए थे जैसे दशरथपुत्र भरत, भरतमुनि, राजर्षी भरत और मगधराज इन्द्रद्युम्न के दरबार में भी एक भरत ऋषि थे। एक योगी भरत भी हुए थे जो अपने जीवन को आत्मविकास के लिए समर्पित करते थे। पद्मपुराण में एक दुराचारी ब्राह्मण भरत का उल्लेख भी होता है। 

भारत का नामकरण करने के पीछे दुष्यन्तपुत्र भरत के नाम का अहम योगदान होता है। ऐतरेय ब्राह्मण में भी भरत नाम उल्लेखित है और ग्रंथ के अनुसार भरत एक चक्रवर्ती सम्राट थे जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया था और उनके राज्य को भारतवर्ष नाम मिला।

मत्स्यपुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले वर और उसका भरण-पोषण करने के कारण भरत कहा गया था। इस खंड पर उसका शासन-वास था इसलिए उसे भारतवर्ष कहा गया।

जैन परम्परा में भी भारत के नाम का इतिहास मौजूद है। भगवान ऋषभदेव के ज्येष्ठ पुत्र महायोगी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा है। भारतवर्ष का अर्थ संस्कृत में इलाक़ा, बँटवारा, हिस्सा आदि भी होता है। भारत को सबसे पुराना और सबसे अधिक धर्म-संबंधी नाम भी मिला है। इसलिए, भारतवर्ष के नाम का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसका महत्व विश्व के इतिहास में भी बहुत बड़ा है।

आमतौर पर भारत नाम के पीछे महाभारत के आदिपर्व में आई एक कथा है। महर्षि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की बेटी शकुन्तला और पुरुवंशी राजा दुष्यन्त के बीच गान्धर्व विवाह होता है। इन दोनों के पुत्र का नाम भरत हुआ। ऋषि कण्व ने आशीर्वाद दिया कि भरत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखण्ड का नाम भारत प्रसिद्ध होगा। अधिकांश लोगों के दिमाग़ में भारत नाम की उत्पत्ति की यही प्रेमकथा लोकप्रिय है। आदिपर्व में आए इस प्रसंग पर कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम् नामक महाकाव्य रचा. मूलतः यह प्रेमाख्यान है और माना जाता है कि इसी वजह से यह कथा लोकप्रिय हुई। 

दो प्रेमियों के अमर प्रेम की कहानी इतनी महत्वपूर्ण हुई कि इस महादेश के नामकरण का निमित्त बने शकुन्तला-दुष्यन्तपुत्र यानी महाप्रतापी भरत के बारे में अन्य बातें जानने को नहीं मिलतीं। इतिहास के अध्येताओं का आमतौर पर मानना है कि भरतजन इस देश में दुष्यन्तपुत्र भरत से भी पहले से थे। इसलिए यह तार्किक है कि भारत का नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर न होकर जाति-समूह के नाम पर प्रचलित हुआ।

भारत की कहानी अपनी विविधता के लिए जानी जाती है। यहां की भूमि बहुत विस्तृत है और यहां लोग अलग-अलग भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों से जुड़े हुए हैं। भारत की संस्कृति अनुभवों, संगीत, वस्तुएँ और भोजन से भरी हुई है


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