जीवन एक रेत
जीवन एक रेत
मैने गंगा गंगा के अंदर निर्मल तट पर
लाशों को जलते देखा है
वायु भूमि और जल में मिलकर
मानव को गलते देखा है
अग्नि ताप से खंडित होकर
पंचतत्व में मिलते देखा है
सुख दुःख चिंता मोह सभी को
शुन्य में घुलते देखा है
मैंने गंगा के अंदर निर्मल तट पर
लाशों को जलते देखा है।
