ईर्ष्या और क्रोध
ईर्ष्या और क्रोध
ईर्ष्या और क्रोध के मोह में बंधे इंसान को अगर आप ये कहे कि सामने वाला इंसान आपसे ईर्ष्या और क्रोध नहीं करता है तभी भी वो मनुष्य इसमें षड्यंत्र ही ढूंढेगा ना कि वजह , क्रोध और ईर्ष्या ने उस मनुष्य को इस कदर वश में कर लिया है कि उसका पूरा जीवन काल उस व्यक्ति से ईर्ष्या करने में चल जाता है जो बिना कुछ कहे अपने जीवन में कार्यरत रहता है और निरंतर सफलता हासिल करता रहता है, ऐसे मनुष्य को उजाले में भी अंधकार का प्रतिबिंब दिखाई देते है। ऐसे मनुष्य को आप कितना भी अँधेरे से बाहर लाने की कोशिश करो वो उजाले के महत्व को समझने की जगह अंधकार को ही अपना जीवनसाथी मानेंगे, चलते वो भी उजाले की शरण में है हमेशा किन्तु ईर्ष्या उन्हें ये कभी स्वीकार नहीं करने देगी।।
