हमरा के पार लगा द फिर जइह

हमरा के पार लगा द फिर जइह

2 mins
7.5K


करवट बदलते हुए उन्होंने कहा,

‘हमरा के पार लगा द फिर जइह’

‘हमरा के अकेले मत छोड़िह’

...और आंखों में लोर ढुलक रहे थे। चाची ने देखा तो उनकी तो सांसें थम गई। आज सुबह-सुबह इनको क्या हो गया।

लेकिन कुछ समझ पाती कि तभी बोल उठे ‘मन बहुत घबराता है।’ मेरे जाने के बाद तुम्हारा क्या होगा?

रात भर उन्हें नींद नहीं आई। बार-बार चाची पूछ रही थीं बताइए क्या हुआ? क्यों ऐसी बात कर रहे हैं। वो तो किसी और ही लोक में थे।

अचानक हिचकी को रोकते हुए कहने की हिम्मत की कि देखो आज मैं जिंदा हूं। मेरे ही सामने तुम्हें उसने इस तरह से सुनाया। सुनाया नहीं बल्कि तुम्हें मारा ही नहीं बस। मैं खून के आंसू बहाता रहा, कुछ बोल नहीं सका। पता नहीं क्यों मैं चुप रह गया। लेकिन मैं नहीं चाहता कि मेरे जाने के बाद तुम्हारी फज़ीहत हो।

हमने छह-छह बच्चों को पाल-पोस कर बड़ा किया। उफ् तक नहीं की, और आज यह स्थिति देख कर लगता है इन्हें पैदा ही नहीं करते।

वो अपनी ही रौ में रोए भी जा रहे थे और कह भी रहे थे जिसे काफी दिनों से गले में दबा रखा था।

मुझे पार लगा दो। मैं तुम्हें इस हालत में नहीं देख सकता। उनके इस बात पर चाची का मन किया कस के डांटें। लेकिन वो थे कि रोए जा रहे थे, और पार लगाने की बात कर रहे थे। आप कितने स्वार्थी हैं जो अपने पार उतरने की तो बात कर रहे हैं लेकिन आपके जाने के बाद मेरा क्या होगा?

कुछ ही दिन हुए सुबह टहलने नहीं गए। नींद ही नहीं खुली। चाची ने उठाया तो फफक कर रोने लगीं।

आखिर जिद्द पूरी ही कर ली। देखते न देखते दो माह गुजरे होंगे। ठीक वही समय रहा होगा। चाची भी उनसे मिलने चलीं गई। अब घर भर में रौनक है, खुशियां हैं। किसी को चिंता नहीं सताती कि चाची और वो किसके पास रहने वाले हैं। वो चार आंखें हमेशा के लिए सो गई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational