हेडमास्टर
हेडमास्टर
आज सुबह ही हेड साहब के पास बी आर सी से फोन आ गया था कि स्कूल में नयी नियुक्ति की एक मैडम ज्वाइन करने आ रही हैं हेड साहब प्रसन्न थे कि अब स्कूल में पर्याप्त अध्यापक हो गए हैं और अब पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं होगा । हेड मास्टर का स्कूल जनपद के श्रेष्ठ स्कूल में से एक था । भौतिक परिवेश इतना बेमिसाल कि देखने वाला आश्चर्यचकित रहा जाता था विशाल कैंपस में बड़े बड़े छायादार वृक्ष ,किनारे से बनी सुन्दर क्यारियों में लगे खूबसूरत फूल सबका मन मोह लेते थे। साफ सफाई भी इतनी कि आपका मन खुश हो जाये ।सभी कक्षाएं व्यवस्थित रहती थी। कक्षाओं में वाल पेंटिंग और पोस्टर की भरमार,बच्चे साफ सुथरे और टाई बेल्ट से सुसज्जित।हेडमास्टर जी पिछले 15 साल से इसी विद्यालय में थे। अपनी कर्मठता से उन्होंने इस सरकारी प्राथमिक विद्यालय को नामी कान्वेंट के बराबर पहुँचा दिया था। विद्यालय में 350 से अधिक छात्र थे पर क्या मजाल कि कोई बाहर दिखाई पड़े
विद्यालय के स्टाफ में हेड हेडमास्टर जी के अलावा 4 लोग और थे जिसमें 3 महिलाएं थी सभी आपस में बहुत घुले मिले थे और विद्यालय परिवार की कोई शिकायत कभी बाहर नहीं गयी थी। अध्यापक समय के पाबंद थे और मेहनत से अपना कार्य करते थे। आज नयी अध्यापिका का इंतज़ार पूरे विद्यालय को था।करीब 10 बजे विद्यालय गेट पर एक लक्ज़री कार आकर रुकी। कार से एक लगभग 30 वर्षीय सुन्दर महिला के साथ संकुल प्रभारी और एक ए बी आर सी भी आये थे। अपने अधिकारियों को देखकर विद्यालय के सभी अध्यापक बाहर आ गए ।कार्यभार ग्रहण करने की औपचारिकता पूरी कर दी गयी। पर सभी को ये शंका थी कि आखिर इतना ताम झाम क्यों ? कार्यवाही पूरी होने के बाद संकुल प्रभारी जी ने बताया कि नयी शिक्षिका जनपद के एक वरिष्ट प्रशासनिक अधिकारी की धर्म पत्नी हैं जरा देखे रहियेगा।
पूरा विद्यालय सदमे में था कि आखिर अब होगा क्या ? जब पहले दिन ही अनुशासन व्यवस्था से जुड़े व्यक्ति अनुशासन तोड़ने के समर्थन में हैं तो भविष्य में क्या होगा इसे लेकर सभी चिंतित थे। अगले दिन मैडम जी 8 बजे की बजाय 10 बजे स्कूल आयीं और आते ही 10 मिनट रूककर वापस चली गयीं। उसके बाद 3 दिन बाद आयीं और वही क्रम दोहरा दिया।हेडमास्टर जी ने जब खंड शिक्षा अधिकारी महोदय को अवगत कराया तो उन्होंने कह दिया कि थोड़ा एडजेस्ट कर लो। कुल मिलाकर नयी मैडम के विद्यालय आने की सम्भावना ना के बराबर ही थी। कुछ दिन बाद स्कूल की अन्य शिक्षिकाएं भी उनकी तरह सुविधा चाहने लगी थीं। सो नियमित आने बाली अध्यापिकाएं अब देर से आने लगी थीं और सप्ताह में एक दो दिन की छुट्टी भी आम बात होने लगी। हेडमास्टर नयी मैडम की नौकरी चलाने को मजबूर थे और स्टाफ उन पर ऐसा ना करने का दबाब बना रहा था। हेडमास्टर जी ने मैडम जी कई बार नियमित आने का अनुरोध भी किया पर हर बार उन्होंने यही कहा कि आप मेरी चिंता ना करें।
लगभग 2 महीने में ही स्कूल की व्यवस्था पटरी से उतर गयी। स्कूल में नियमित पढ़ाई की जगह अब अध्यापक गप्पे करते नजर आते थे प्रतिदिन कोई ना कोई अध्यापक गैर हाजिर हो जाता और हेड साहब नयी मैडम के चक्कर में दबाव नहीं डाल पाते।आ ये दिन अभिभावक शिकायत के लिए आने लगे। हेड साहब कई बार अपनी समस्या लेकर बी आर सी गए पर सब उन मैडम के बारे में कुछ कहने से बचते दिखाई पड़े। एक बार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से भी मुलाकात की और मैडम के ना आने की शिकायत की पर वो भी एडजेस्टमेंट की सलाह देते नजर आये। हड़कर एक दिन हेड साहब शिकायत करने आये एक अभिभावक से लड़ बैठे। गुस्साए अभिभावक ने सभी गाँव बालों के हस्ताक्षर करवाकर एक शिकायती पत्र जिलाधिकारी महोदय को प्रेषित कर दिया।
स्कूल पर जांच बैठा दी गयी और हेडमास्टर महोदय को लापरवाही और शैक्षणिक कार्यों में रूचि ना लेने के कारण निलंबित कर दिया गया और समस्त अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया पर मैडम जी इस जांच से साफ़ बच गयीं। विद्यालय में अब आये दिन दौरे होने लगे, मैडम जी को अग्रिम आदेशों तक आवश्यक कार्य हेतु पहले ही बी आर सी सम्बद्ध कर दिया गया था। विद्यालय के बाक़ी शिक्षक भी अपने प्रभाव का प्रयोग कर स्थानांतरण करवा ले गए और विद्यालय के 350 छात्र अब केवल एक निलंबित हेडमास्टर के सहारे दिन काट रहे थे ।और जनपद के एक श्रेष्ठ प्राथमिक विद्यालय की गिनती अब सबसे ख़राब विद्यालय में थी और सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इसके एक मात्र दोषी हेडमास्टर जी थे।
मैडम जी को इस वर्ष का आदर्श शिक्षक पुरस्कार मिला था और उनके सम्मान में होने बाले कार्यक्रम में हेडमास्टर जी अग्रिम पंक्ति में बैठे अपनी बहाली के लिए चिंता में मगन थे।
