गोगही का दह
गोगही का दह
स्थानीय स्तर पर बचपन से सुनता आ रहा हूं महिलाओं के मुंह से है "तोइ जो गोगही के दहे", "तोर खानदान जाए गोगही के दहे।" आज तक मैं यही समझता था कि गोगही धरती का कोई स्थान नहीं बल्कि मरने के बाद मिलने वाला स्थान है, इसीलिए महिलाएं बात बात में दूसरों को गोगही जाने का ताना या श्राप देती है। अब पता चला कि यह सोन नदी का एक किनारा है और यहां पर रहस्यात्मक ढंग से कई मौतें हो चुकी हैं, जो आज भी एक अबूझ पहेली बनी हुई है। कुछ लोगों ने बताया कि इस दह में प्रेतआत्मा रहती है। लोग यहीं पर शवों को जलाते भी हैं । पर कुछ लोगों ने बताया कि यहां पर पानी का भंवर भी है जो ऊपर से पता नहीं चलता है पर निचले भाग में पानी भंवर की तरह घूमता है और जो इस भँवर में चला जाता है वह डूब जाता है और उसकी मौत हो जाती है। यह स्थान मध्य प्रदेश के सिंगरौली जनपद में चितरंगी विकासखंड के गढ़वा थाना के अंतर्गत बड़गड़ा गांव के पास में सोन नदी के किनारे पर है। जहां मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी इस भंवर में समाहित हो चुके हैं। इसीलिए इस तट को मौत का सागर कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। पर बता दूं कि देखने में यह एकदम सामान्य तट किनारा लगता है। सोन नदी का पानी यहां पर टकराकर थोड़ा सा घूमता है इसीलिए यहां के कगार खड़े हैं तथा पानी में बड़ी-बड़ी चट्टानें भी हैं।
