रीति रिवाज
रीति रिवाज
एक थाने में नए थानेदार की पोस्टिंग हुई। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं। थानेदार ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ?
सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था। शायद ये इस थाने की परंपरा है क्योंकि शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है। वर्तमान थानेदार ने पिछले थानेदार को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी?
पिछले थानेदार ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले थानेदार उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे। अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा। नए थानेदार बहुत हैरान हुए। उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 थानेदारों से बात की। सबने उपरोक्त थानेदार जैसा ही जवाब दिया। यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए थानेदार की बात फाइनली एक रिटायर्ड थानेदार से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी। नए थानेदार उनसे फोन पर बोले- आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर मैं उस कैम्प का नया थानेदार हूं। जिसके आप, 60 साल पहले थानेदार हुआ करते थे। मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है। क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं? ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है? सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला- क्या ? उस बैंच का "ऑइल पेंट" अभी तक नहीं सूखा?
समाज में कई रीति रिवाज अभी ऐसे ही बने हुए है, जिनका कारण कोई नहीं जानता है।