हद हो गई
हद हो गई
आज तो मेरे साथ हद ही हो गई । सवेरे सूरज निकलने से पहले करीब चार बजे होंगे। बहुत दिनों के बाद शहर से गांव अपने घर जा रहा था । पत्नी और बच्चे गांव में ही रहते हैं । मैं गांव से कोई पचास किलोमीटर दूर शहर के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक की नौकरी करता हूं । छुट्टियां थी तो सोचा कि गांव चलता चलूं । हाथ में एक सूटकेस था । चार बजे जब गांव पहुंचा तो मेरा अजीबो गरीब स्वागत हुआ । गली के पांच छह कुत्ते पीछे पीछे भौंकते हुए दौड़ लगा रहें थे । हद हो गई, लोग अपने कुत्तों को बांध कर नहीं रख सकते ? और वह कुत्ते भी ? इंसान से भी कुत्तों जैसा व्यवहार कर रहे थे । कम से कम यह “अच्छा” काम तो इंसानों को ही करने देते ।
खैर हाथ में एक डंडा भी था । उसी के सहारे गिरते पड़ते मेरे घर से पहले जो एक गली आती है वहां तक पहुंचा ही था कि किसी नरम चीज पर पांव पड़ा और अध्यापक जी तो चारों खाने चित्त । किसी गाय ने गोबर कर रखा था बीच चौराहे में जो अंधेरे में दिखाई नहीं दिया । हद हो गई इन विद्युत परिषद वालों की, चौराहे का बल्ब भी नहीं बदलवा सकते ? बिल का भुगतान तो इन्हे समय पर ही चाहिए ।
कपड़े सारे गोबर से सन चुके थे । जैसे तैसे छिपते छिपाते घर पहुंचा । किवाड़ खटखटाई । दरवाजा काफी देर तक नहीं खुला । गुस्से में आगबबूला हुआ जा रहा था मैं । ऐसे भी घोड़े बेचकर कोई सोता है क्या ? जरा सा धक्का दिया तो चरमराहट के साथ दरवाजा खुल गया । पता चला कि कुंडी टूट चुकी थी ।
अंदर गया तो देखा बीवी बच्चे बेसुध सोए पड़े थे । पानी छिड़का तो बीवी ने आंखे खोली । मुझे देखकर घबरा सी गई । मैने कहा व्हाट्सएप तो कर दिया था । पता चला मोबाइल खराब है कई दिनों से । आज तो मेरे धैर्य की परीक्षा हो रही थी ।
नहाने के लिए पानी मांगा तो बीवी ने कहा की नल में कई दिनों से पानी नहीं आ रहा था । वे लोग पड़ोस से पानी लाकर काम चला रहे थे । अब इतने तड़के तो उनका दरवाजा नहीं खुलवा सकते थे । कपड़ों से गोबर की बदबू आने लगी थी । बीवी ने बाहर ही सोने के लिए कहा । मरता क्या न करता । पड़ गया यूहीं चबूतरे में । अति हो गई थी अब तो ।
सुबह नौ बजे तक नींद खुली तो देखा भीड़ जमा थी । सब मुझसे मिलने आए हुए थे । मेरी गोबर की गंध से हालत खराब हो रही थी । झट से गुसलखाने में जाकर जो थोड़ा बहुत पानी था उसीसे आनन फानन में नहाया और निकल आया । कमरे में जाकर कपड़े पहने और सबसे मिलने बाहर आ गया । जैसे ही मैं बाहर आया, सभी मेरी तरफ देखकर मंद मंद मुसुकुराने लगे । तभी मेरा लड़का भागता हुआ आया । उसके हाथ में मेरी पेंट थी । तभी मेरा ध्यान मेरी पेंट की तरफ गया तो पाया कि मैं बिना पेंट के ही बाहर आ गया था । शर्म से मेरी हालत पतली हो गई । मैने सबसे माफी मांगी और अंदर चला गया । आज तो मेरे साथ सब गड़बड़ हो रहा था । सर पीटने को मन कर रहा था । आज तो हर चीज की हद ही हो गई ।
तभी मेरी नींद टूट गई और देखा कि मैं मेरे शहर के घर में मेरे कमरे में सोया था और बीवी नाश्ता करने के लिए बुलाने आई थी । यह भी हद ही हो गई कि शुरू से लेकर अब तक सब कुछ सपने में हो रहा था ।
