हाथ धोना पड़ा
हाथ धोना पड़ा


ये कहानी है मेरी ऑफ़िस की मित्र की। मैं और सुहानी एक ही ऑफ़िस में काम करते थे। शुरु में नये ऑफ़िस में सब समझने में दिक्कत होती है, तब सुहानी ही मेरी मदद करती थी। उससे मिलकर कभी लगा ही नही की मैं उसे पहले से नही जानती। सुहानी वैसे तो बहुत अच्छी थी पर उसे थोड़ा दिखावा पसंद था। बिना मतलब किसी के काम में हाथ देना उसकी आदत थी।
एक बार की बात है उसको कंपनी का एक डाटा तैयार करना था। बड़े मन से दिन रात का समय देकर उसने वो डाटा पूरा किया। मगर जल्दबाजी में गलत जगह भेज दिया, अब क्या करें इतनी बड़ी गलती थी तो बताना भी थाऔर डर भी था कि कहीं जॉब ना चली जाये। फिर भी सुहानी ने अपने सीनियर को बताया उन्होने बात तो सम्भाला और डाटा को वहाँ से हटाया और ये बात आगे किसी तक नही जाने दी। अब सब सही था।
मगर कहते हैं ना आ बैल मुझे मार ऐसा ही कुछ सुहानी के साथ हुआ। ऑफ़िस का कोई फंक्शन था। उसमे कंपनी ऑनर भी थे। सुहानी बोली मुझे यहाँ पर अपनी उस गलती के लिये स्टेज पर जाकर माफी मांगनी चाहिए, इससे सर मुझे ईमानदार समझेंगे और प्रमोशन भी देंगे। मैने उसे बहुत समझाया कि ऐसा कुछ नहीं होगा उल्टा तुमको जॉब से निकाल देंगे पर वो नही मानी। उसके इस दिखावे के चक्कर में उसे जॉब से हाथ धोना पड़ा।
इसे कहते हैं आ बैल मुझे मार।