STORYMIRROR

Atyab Mohammad

Inspirational

3  

Atyab Mohammad

Inspirational

" गुरु और शिष्य का संबंध"

" गुरु और शिष्य का संबंध"

3 mins
206

"टीचर्स डे पर विशेष"


    इस दुनिया एक गुरु ही होता है जो अपने शिष्य को अपने से भी ज्यादा आगे और तरक्की करता देखना चाहत है। अपना अनुभव वो अपने शिष्यों को एक काबिल और अपने से भी बेहतर बनाने में लगा देता है। पर सवाल है क्यों आखिर वो भी तो इंसान ही एक गुरु क्यों नहीं सोचता के उसका के वो भी और दुनिया की तरह स्वार्थी बन जाए क्यों वो एक बच्चे के निर्माण में पूरी जिंदगी लगा देता है ? गुरु और शिष्य का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता ही जो दुनिया में सबसे अनमोल है एक चाणक्य जैसा गुरु जिसे चाहे उसे चंद्रगुप्त और अरस्तू जैसा उस्ताद जिसे चाहे उसे सिकंदर बना दे। पर सवाल है आखिर क्यों वो चाहता है ऐसा के अपने खुद के बच्चे से भी ज़्यादा सफल देखना चाहता। जिसे एक अच्छा गुरु मिल गया उसे संसार का सबसे बड़ा उपहार मिल गया।      आज के समय में गुरु को पाना सबसे मुश्किल है एक अच्छे गुरु की पहचान करना आज के समय में शिष्य के लिए ये बहुत आवश्यक है की वो अपने गुरु को कैसे पहचानें। 

आज कल फर्जी गुरुओं का बोल बाला है। ये कहते हुए मुझे कोई संकोच नहीं। मार्गदर्शन का अर्थ ये नहीं के सिर्फ मार्गदर्शन सही और सच्चे रास्ते पर ही किया जा रहा है असल में हम समझ नहीं पाते के गुरु कौन है गुरु की प्राप्ति कैसे हो गुरु को कैसे पाए। मैंने अपनी जिंदगी में अब तक हर क्षेत्र में गुरु पाए और आज तक जितने गुरु मिले उन्होंने मेरे व्यक्तित्व का सम्मानपूर्वक और पूरी ईमानदारी से निर्माण किया। मुझे हर्ष है के में आज को भी हूं उनकी बदौलत ही हूं। इस टीचर्स डे में अपने सभी गुरुओं का आदर सम्मान के साथ हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मुझे निरक्षर से आज यहां तक पहुंचाया।

    बात करते है गुरु के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है के हम उसको क्या दे सकते है मैंने पाया के एक गुरु को अपने शिष्य से कुछ भी पाने की अपेक्षा नहीं होती सिवाए एक चीज के........ ?   और वो चीज ही आदर ,सम्मान, इज़्जत इसके अलावा हम कुछ भी उसे उसके बदले में नहीं दे सकते जो उसने हमें दिया है ये कहे तो गलत न होगा के मां बाप मात्र जन्म देते है और इस दुनिया में जीने योग्य हमें हमारे गुरु बनाते हैं। मैं हमेशा इस बात के विरुद्ध हूं के "अनुभव सबसे अच्छा गुरु है" में हमेशा उन लोगों से ये बात सुनता हूं जो ये कहते है के हमारा कोई गुरु नहीं हमने अनुभव से सिखा है और हम वास्तविक अनुभव के बल सफल हुए है में हैरान होता हूँ क्या कोई फर्ज़ हमारे ऊपर भी है या नहीं गुरुओं के बिना विश्व नहीं ये जानना बहुत ज़रूरी है। अब इन लोगों को कौन समझाए के कुछ भी प्रत्यक्ष नहीं यहां तक के खुद इंसान का अस्तित्व भी बिना किसी के नहीं माता पिता के द्वारा ही उसकी उत्पत्ति हुई है और कही न कहीं जीवन में अनुभव से पहले उन्हें गुरु मिला होगा जिसने उन्हें अनुभव करना सिखाया मगर सिरे से गुरु की आस्था को नकार देना उनकी अहंकारी और मूर्खतापूर्ण मानसिकता का जीता जागता उदाहरण हैं। हैरत की बात है मगर हमारे बीच इसे भी लोग देखने मिलते है जो अपने उस्तादों और गुरुओं मार्गदर्शन करने वालों के बलबूते आज कामयाब बैठे है मगर कामयाब होने के बाद ये कहते दिखते है के हम खुद गुरु है अनुभव से सिखा है।

  मैं इस लेख के माध्यम से कहना चाहता हूँ के हमें गुरु की आस्था में विश्वास और उसके दिए हुए ज्ञान से भरपूर जीवन का आभारी रहना होगा। गुरु ही ज्ञान का सागर है गुरु ही जीवन सिखाता है। इस जीवन में हमें यही सीखना होगा के गुरु कुछ नहीं चाहता सिवाए इज्जत के उससे अच्छी कोई चीज हम उसे जो उसने हमें दिया है उसकी एवज में नहीं दे सकते।  "गुरु के अनुभव द्वारा मिला गया ज्ञान कई बढ़कर होता है किसी पुस्तक द्वारा मिले ज्ञान से…!!



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational