गुड़िया रानी (पहला अध्याय )

गुड़िया रानी (पहला अध्याय )

2 mins
583


"गुड़िया गुड़िया तुम कहाँ हो" सुशीला ने आवाज़ लगायी, वो एक कामकाजी महिला थी जो अपनी ५ साल की बेटी को एक आया के भरोसे काम पे जाया करती थी।  उसके घर पे उसके सास ससुर भी रहते थे तो वो निश्चिन्त थी की उसकी बेटी सुरक्षीत है अपनों के बीच में। पारो, जो की उसकी देखभाल करती थी एक मद्य आयु की महिला थी। जब से गुड़िया पैदा हुई थी वो उसकी देख रेख कर रही थी। 

आज सुशीला वक़्त से पहले घर आ गयी थी। आम तौर पे वो ८ बजे तक आती थी पर आज ६ बजे ही आ गयी थी। उसकी सासु माँ ने कहा "सुशीला बेटा गुड़िया तो पारो के साथ खेलने गयी है। तुम आज जल्दी आ गयी"

"जी माँ आज बैंक में उतना काम नहीं था इसलिए" उसने मुस्कुराते हुए कहा।  

वो एक पत्नीजी बैंक में ब्रांच मैनेजर के पद पर थी और उसके पति शशांक एक फार्मा सौंपने में जनरल मैनेजर थे। 

उनको काफी बार टूर पे रहना पड़ता इसलिए सुशीला और भी ज्यादा अपने सास ससुर पर निर्भर थी की कोई घर का व्यक्ति गुड़िया के साथ हो।

उसने कपड़े बदले और पार्क के तरफ गयी।  उसकी पड़ोसन मरस नायडू उसे मिली। 

"ही सुशीला सो नाईस टू सी यू" उन्होंने अंग्रेजी में कहा 

"सेम हेयर Mrs नायडू। हाउ आर यू " उसने पूछा 

उनसे कुछ देर बात कर वो पार्क के तरफ बढ़ी। गुड़िया कहीं भी नज़र नहीं आ रही थी।


एक बच्ची से उसने पूछा " बेटा आपने गुड़िया को देखा है" "कौन गुड़िया आंटी" उसने पूछा 

"वो छोटी सी बच्ची है न। अपनी पारो मौसी के साथ आती है उसने जवाब दिया । 

"ओह पारो मौसी वो तो बहुत अच्छी हैं। मुझे चॉकलेट देती है फिर एक कमरे में ले कर जाती हैं। वहां पर श्याम काका भी होते हैं " उसने बोला 

 सुनकर सुशीला को कुछ खटका,

"फिर क्या करते हो तुम लोग" उसने पूछा 

"हमलोग खेलते।" तभी उस बच्ची की माँ ने उसे बुला लिया 

खलबली सी थी " मैडम जी" तभी पीछे से आवाज़ आयी 

"पारो कहाँ थी तुम " उसने गुड़िया को गोदी में लेते हुए थोड़े गुस्से में कहा 

"वो मैं बहार के दुकान से बिस्कुट लेने गयी थी" उसने बोला 

"तो कहाँ है बिस्कुट" उसने पूछा 

"जी उसने खा लिए "उसने जवाब दिया।  बिना कुछ कहे सुशीला घर के तरफ चल पड़ी।  

पारो बड़ी अचंभित थी उसके व्यवहार से।


घर पहुँच कर सुशीला गुड़िया को अपने साथ कमरे में ले गयी और दरवाज़ा बंद कर लिया।

"क्या हुआ पारो" उसकी सासु माँ ने पूछा 

"पता नहीं " उसने जवाब दिया 

वो दोनो यही सोच रहे थे की सुशीला को मालूम तो नहीं हुआ 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy