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गरिमा

गरिमा

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"तुमने देखा कैसे मुझे लात मारकर घर की देहरी को लांघ गई घर की इज्जत व गरिमा को तार तार कर दिया।"

"हाँ देखा एक क्षण में जीवन के सारे रंगों को कोई कैसे बिखेर सकता है।"अब दहलीज अपना दर्द अल्पना को बता रही थी 

"हाँ कुछ लोगों की मानसिकता ही ऐसी है पराई थाली में घी ज्यादा नजर आता है।"

"देखना फिर रोती पीटती आयेगी गलत काम का नतिजा भी गलत ही होगा।"

"कोई अपने दुधमुंहे बच्चे को कैसे छोड़ सकता है इस तरह अवैध सम्बन्धों के चलते।" देहरी की बातों में दर्द के साथ टीस भी थी।

"अतुल आप चाहें तो मैं मुन्ने को माँ का प्यार देना चाहती हूँ ।"नीता की बात सुनते ही अल्पना फिर सजने को तैयार थी देहरी अपनी गरिमा पर इतरा रही थी "अब फिर से मेरा आंगन सजेगा।"


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