गृहलक्ष्मी के यूँ घर छोड़ कर चले जाने से व्यथित दहलीज अपनी व्यथा बयान करती है गृहलक्ष्मी के यूँ घर छोड़ कर चले जाने से व्यथित दहलीज अपनी व्यथा बयान करती है
हो छोटा सही पर समर चलने देना । दिया देहरी पर सतत जलने देना ।। हो छोटा सही पर समर चलने देना । दिया देहरी पर सतत जलने देना ।।