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Archna Tripathi

Inspirational

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Archna Tripathi

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गरिमा के लिए

गरिमा के लिए

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घर में कदम रखते ही मिन्नी को मम्मी की अस्वस्थता के नज़ारे दिखने लगे। तीन महीने से वे काफी अस्वस्थ थी। अस्त व्यस्त घर और माँ की छलछलाई आँखों का सामना वह ज्यादा देर नहीं कर पाई। फ्रेश होने के बहाने उनके पास से वह हट आई।

आधे घण्टे के अंदर ही मम्मी की चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। गालियों से नफरत करने वाली मम्मी रिंकू (छोटे भाई) के साथ साथ पापा को गालियां देने के साथ साथ कोस भी रही थी। जाहिर था वे डीप्रेशन की ओर भी बढ़ रही थी।


मम्मी का सदैव साथ देने वाले पापा किसी तरह दो रोटी अचार से खाकर आँफिस चले गए। सारे घर के साथ-साथ बिखरी रसोई देखकर भाग जाने का मन कर रहा था। जहां तहां झुठे बर्तन और गन्दे कपड़ों का अंबार लगा था। कुर्सियों पर धुले कपड़े विराजमान थे। 

आज अपने पर ही गुस्सा आ रहा था। क्योंकि कभी कुछ किया ही नहीं था, की कुछ कर पाती। मम्मी के साथ बहस में रिंकू तड़ातड़ मम्मी को पलट कर जवाब दे रहा था। जो उसके लिए नया था। मम्मी का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था। उसने ही मोर्चा संभालना उचित समझा।


" रिंकू, क्यो पलट कर जवाब दे रहे हो ? क्या कुछ हाथ पैर नहीं हिला सकते ? पूरा घर कबाड़ खाना बना हुआ हैं।" 

 "दीदी, आप भी मुझे ही डाँट रही हो ! मैं घर छोड़कर भाग जाऊंगा। जबसे महरी छुट्टी पर गयी है, तबसे बर्तन मैं ही साफ करता हूँ। मम्मी फिर भी "

"शायद मम्मी से बिखरा घर देखा नहीं जाता होगा। वे अंदर ही अंदर खुद पर ही गुस्सा हो रही हैं। आओ भाई बहन मिलकर घर की सफाई करते हैं।" 

  

 "साफ सफाई होते होते शाम हो गई थी। पापा के आने का समय भी हो चुका था। पेट मे चूहे कबड्डी कर रहे थे। अतः अनाड़ी मिन्नी ने बड़ी मेहनत से उपमा बना लिया। पापा के आते ही उन्हें गरमागरम उपमा दिया और मिन्नी स्वयं भी नाश्ता करने लगी थी। उपमा का पहला कौर मुहँ डालते ही उबकाई आने लगी। भुनी के बदले जली हुई सूजी और नमक के भंडार का उपमा निगला नहीं जा रहा था। पापा लगातार खाये जा रहे थे। मिन्नी से रहा नहीं गया वह पूछ बैठी

" पापा, कितना खराब बना है,आप कैसे खा रहे है ?"

"बिटिया, तुमने कितने प्यार से बनाया हैं। बेटी का बनाया कुछ भी और कैसा भी खाना पिता के लिए किसी भी छप्पन भोग से बढ़कर होता हैं।"


 मिन्नी को माँ के बड़बड़ाने का कारण आज समझ में आ रहा था। उसने संकल्प लिया कि वह केवल आई टी एक्सपर्ट ही नहीं बनेगी बल्कि एक अच्छी कुक भी बनेगी जो भारतीय स्त्री की ही नहीं बेटी गरिमा के लिए आवश्यक हैं ।



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