Rinki Raut

Abstract Tragedy

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Rinki Raut

Abstract Tragedy

गरीबी का मायाजाल

गरीबी का मायाजाल

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बात एक सच्ची कहानी से शुरू करती हूँ। निशा ने अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। ठगों द्वारा मुफ्त राशन के वितरण में हो रही गड़बड़ी के खिलाफ वो अपने लोगो के लिए खड़ी हुई। निशा ने प्रशासन को एक पत्र लिखा, राज्य के वरिष्ठा अधिकारी को अपनी कहानी बताई। निशा के किस्मत ने उसका साथ दिया और प्रशासन ने तुरंत ही कारवाही की भ्रष्टाचार को बंद किया गया। स्थानीय मीडिया ने इस कहानी को एक सप्ताह से अधिक समय तक कवर किया। निशा के वीरतापूर्ण कदम ने उसे दूरदराज के इलाके में एक सुपरहीरो बना दिया।

उसकी कहानी की सराहना की गई। राष्ट्रीय मीडिया में भी उसकी कहानी को साझा किया गया। एक टीवी चैनल ने ऑनलाइन साक्षात्कार के लिए निशा को आमंत्रित किया। समाचार साक्षात्कार के प्रसारण से पहले, हमें कार्यक्रम के बारे में संक्षिप्त जानकारी देने के लिए, निशा से संपर्क करना था। मैंने फोन किया, निशा के पिता ने फोन उठाया और कहा कि वह घर पर नहीं है। वह कहाँ थी? हमने पिता से उसके बारे में पूछताछ की। हमें लगा की निशा के परिवार को शक्तिशाली माफिया से खतरा होगा इसलिए उन्होंने उसे सुरक्षित जगह भेज दिया। आखिरकार पिता ने पत्ता का खुलासा किया।

वो हमें रेलवे स्टेशन के पास एक संकीर्ण और आबादी वाले इलाके में मिली। वह साक्षात्कार के लिए सहमत हुई, और उसकी साहसी कहानी को राष्ट्रीय समाचार चैनल पर दिखाया गया। साक्षात्कार के बाद,वह फिर से गायब हो गई। हम उसके घर जाते रहे। उसकी खेर-खबर लेने के लिए,लेकिन वो किसी भी दौरे के दौरान घर पर नहीं मिली। हमें बताया गया कि वह सुरक्षित है। कुछ महीनों के बाद प्रशासन ने पुरस्कार के लिए उसका का नामांकन किया। हमें पुरस्कार के लिए उसका विवरण देने के लिए कहा गया। निशा की तलाश फिर से शुरू हुई । वह घर पर नहीं थी। हमने उसके बारे में पूछताछ की। उसके पिता ने बताया कि वह रोजगार की तलाश में एक बड़े शहर में चली गई।

एक दूरदराज गाँव की लड़की को शहर में किस तरह की नौकरी मिल सकती है।? हम उससे संपर्क करने में कामयाब रहे, लेकिन उसने कहा कि वो नहीं आ सकती। समय बीतता गया, और आठ महीने बाद, मेरे एक सहकर्मी ने मुझे सूचित किया कि उसने निशा को एक डांसर के रूप में परफॉर्म करते हुए एक वीडियो में देखा था। यह जानकारी वर्तमान स्थिति के मद्देनजर आश्चर्यजनक नहीं थी जब हर कोई रील बना रहा था और इंटरनेट पर अपने कौशल का प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहा था। हमें लगा वो भी सभी युवा की तरह अपने कौशल का प्रदर्शित कर रही हो। जीवन चलता रहा, और फिर एक दिन, निशा के बारे में जानकारी मिली की वो फिर से दिखाई दी। कोई उसके ही जैसी दिखाई देने वाली लड़की थी या वो निशा ही थी। लड़की ने भारी मेकअप किया हुआ था और उसे पहचानना मुश्किल था,लेकिन जब आप किसी को लंबे समय तक देखते हैं, तो आप उन्हें पहचान लेते हैं। निशा एक शादी समारोह में गा रही थी, आप सोच रहे होंगे वो गायक बन गई थी। लेकिन ऐसा नहीं था। उसे ऑर्केस्ट्रा नृत्य समूह के साथ गाते हुए देखा गया था।

ऑर्केस्ट्रा समूहों के कई काले और बदसूरत चेहरे हैं। निशा एक ऑर्केस्ट्रा समूह में शामिल थी। वह गायब होना चाहती थी ताकि कोई उसे पहचान न सके, और वह अपनी पहचान को छिपाना चाहती थी। कई युवा लड़कियों की तरह, वह शोषण और लाचारी के चक्र में फंस गई थी। भारत में, कई ऑर्केस्ट्रा, थिएटर और नृत्य समूह हैं जिनमें नाबालिग लड़कियों को काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उनमें से अधिकांश लड़कियाँ आर्थिकरूप से कमजोर वर्ग से आती है, अक्सर प्यार, शिक्षा, नौकरियों और बेहतर जीवन के ललक में तस्करो के जाल में फँस जाती हैं,और मानव तस्करी का हिस्सा बन जाती है। ऑनलाइन कई वीडियो उपलब्ध हैं जिनमें 100-150 लड़कियों को थिएटर ग्रुप के मंच पर खड़े देखा जा सकता है, और दर्शक सभी के सामने उनके साथ छेड़छाड़, मौखिक रूप से दुर्व्यवहार करते हैं। इन कृत्यों को समुदाय द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

हम यह जानकर चौंक गए कि उस जैसी होनहार लड़की जो प्रतिभाशाली और बहादुर थी। कैसे ऐसे लोगो के साथ है। पहली प्रतिक्रिया पुलिस को सूचित करना था। हम निशा की खोज में लग गए। हमारा पहला संपर्क बिंदु उसका परिवार था। हमने निशा के घर गए और उसके पिता को इस बारे में सूचित किया। हमारी बाते सुनाने के बाद निशा के पिता खामोश रहे, उनकी ख़ामोशी बेचैन करनेवाली थी। निशा के परिवार ने चुपचाप हमें घर में आने के लिए कहा, और उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया।

कुछ से देर के बाद निशा के पिता और माँ दोनों हमारे सामने हाथ जोड़कर खड़े थे, उन्होंने कहा कि वो जानते हैं कि उनकी बेटी कौन सा काम करती है। वह ऑर्केस्ट्रा समूह में प्रदर्शन करती और गाना गाती है। हम गरीब हैं,लोग हमारी जाति और सामाजिक परिवेश के कारण हमारा अपमान करते हैं। हमारी लड़की बचपन में ही सीख गई अगर गरीबी को हराना हैं, तो पैसा सबसे जरुरी है। मैं एक दिहाड़ी मजदूर हूं, हमें लोगों के घर पर घरेलू सहायक के रूप में काम करने की अनुमति नहीं है, लोग हमें अछूत मानते हैं। ऑर्केस्ट्रा समूह ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया और मुझे सम्मानित महसूस कराया। मेरी बेटी उनके के साथ काम करने के लिए मजबूर नहीं है और न ही मैंने उसे बेच दिया है। परिवार के लिए पैसे कमाने के लिए यह उसकी पसंद थी। उसे उसके साहस के लिए बहुत सहराना मिली पर समाज में हमारे स्थित में कोई फर्क नहीं पड़ा। हम उनके फैसले के साथ है।

अचानक मोबाइल की घंटी बजी, दूसरी तरफ निशा थी, उसके पिता ने उसे हमसे बात करने के लिए कहा। उसने हमें आश्वासन दिया कि वह ठीक है और एक वयस्क होने के नाते, वह कोई भी नौकरी चुन सकती है। उसने हमें मानव अधिकार को याद दिलाते हुए कहा की नौकरी उसके अधिकार क्षेत्र है। उसे अधिकार के बारे में अभी भी याद था। 

निशा ने हमसे निवेदन किया की हम किसी को भी उसके बारे में नहीं बताए।


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