Rinki Raut

Drama

1.7  

Rinki Raut

Drama

बोझ

बोझ

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अगनि परीक्षा तब तक नहीं रुकेगी जब तक वो परीक्षा देने से इनकार नहीं करेगी क्यूंकि पापियों को हक़ नहीं की ले परीक्षा नारी की।

जब मर्द के चरित्र का कोई पैमाना नहीं तो नारी पर चरित्र का बंधन क्यों ? अच्छी बेटी, बहू, माँ का जो बोझ है वो अकेली ही क्यों उठाए ?


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