गरीब की उड़ान
गरीब की उड़ान
एक गांव में एक कमला नाम की औरत रहती थी वह किराए के घर में रहती . उसके पति को गुजरे 1 साल हो गए थे उसका एक बेटा भी था जिसका नाम रमेश था।
रमेश पढ़ाई में बहुत ही होशियार था उसे पढ़ाई करके बड़ा आईएएस ऑफिसर बनना था लेकिन पति के गुजरने के बाद घर की सारी जिम्मेदारी कमला की कंधों पर आ गई। कमला लोगों के यहां काम करके घर का खर्च चलाती। रमेश भी अपनी मां के साथ लोगों के यहां जाया करता। एक दिन कमला काम कर रही थी और रमेश मकान मालिक के घर आया हुआ न्यूज़पेपर को पढ़ रहा था। तभी मकान मालकिन वहां आई और राजेश से बोली अरे राजेश क्या तुम अखबार पढ़ कर बड़े अफसर बन जाओगे। इससे अच्छा तो तुम मां के काम में हाथ बटाओ कम से कम तुम्हारी मां की मदद तो हो जाएगी। तब राजेश ने कहा मालकिन मुझे बड़ा अफसर बनना है और मैं किताबें नहीं ले सकता इसलिए ज्यादा ज्ञान के लिए मैं अखबार पढ़ता हूं। यह सुन के मालकिन हंसने लगी और कहा तू और कलेक्टर । मालकिन जोर जर से हंसने लगी कमला को यह बात अच्छी नहीं लगी और वह दोनों वहां से चले गए फिर कमला ने शादियों में रोटी बनाने का काम शुरू किया। वह अकेले ही 15-20 किलो की रोटियां बनाती थी इसके लिए वह सुबह 3:00 बजे से ही अपना काम स्टार्ट कर देती थी। उसके साथ राजेश भी उठता था और मां की मदद करके अपनी पढ़ाई करता था। एक दिन अचानक से मकान मालिक आया और कहा क्या कमला तुम और तुम्हारा बेटा 3:00 बजे ही उठ जाते हो और यह लाइट जलाते हो इस लाइट को जलाने के कारण आजकल बिजली बिल ज्यादा आ रहा है या तो किराया ज्यादा दो या तो इस घर से निकल जाओ। यह कह कर मकान मालिक गुस्से से चला गया। फिर राजेश ने दीया जलाया और उस दिए कि रौशनी में पड़ने लगा कमला भी उसी प्रकाश में रोटियां बनाने लगी ऐसे ही कुछ साल गुजर गया। राजेश पढ़ाई में बहुत ही अच्छा हो गया और वह हमेशा क्लास में फर्स्ट करता था यह देखकर मास्टर जी ने उसे दिल्ली जाने की सलाह दी और उससे कहा कि तुम्हारे सारे खर्चा मैं उठा लूंगा फिर क्या था राजेश भी अब जवान हो गया था वह दिल्ली चला गया और खूब घंटो घंटो पढ़ाई करता था एक दिन जब एग्जाम का दिन था वह जा रहा था तो अचानक से उसकी एक्सीडेंट हो गई उसके सर और हाथ से पूरा खून बह रहा था उसने सोचा कि बस एक ही घंटा है मैं अस्पताल जाओ या फिर एग्जाम देने अगर अस्पताल गया तो मेरे इस पूरे साल की पढ़ाई बर्बाद हो जाएगी फिर दिल्ली में रहने का क्या फायदा मेरे तो सिर्फ बाएं हाथ में चोट लगा है दाया हाथ तो ठीक है मैं इस हाथ से एग्जाम दूंगा इसके बाद राजेश एग्मजा हॉल में गया और उसने एग्जाम दी। उसके बाद राजेश अस्पताल में गया और वहां भर्ती हो गया अस्पताल में होने के बावजूद भी राजेश ने पढ़ाई जारी रखी और इंटरव्यू अटेंड किया। फिर कुछ दिन के बाद राजेश मां से मिलने गाँव चला गया रिजल्ट के दिन मां अखबार खरीद के लाई और उसने राजेश को देखने को कहा जब राजेश ने अखबार में अपने नाम देखा तो वह जोर से चीख उठा और बोला मां तुम्हारा बेटा अफसर बन गया है मैं पास हो गया।
यह खबर सुन कर वह बहुत खुश हुई। उन दोनों की आंखों में आंसू आ गया लेकिन यह आंसू खुशी के आंसू थे तो दोस्तों क्या समझे चाहे हमारे सामने कितनी भी मुश्किल परिस्थितियां क्यों ना आए हमें अपने लक्ष्य से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।
आंखों में एक अरमान लिया मंजिल को अपना मान लिया फिर मुश्किल क्या आसान क्या जब ठान लिया तो ठान लिया।
