गॉंव से शहर तक
गॉंव से शहर तक
बिट्टू अपने मम्मी और पापा के साथ गॉंव से शहर आया था। उसकी एक बड़ी बहन भी थी। बिट्टू के मम्मी- पापा कभी पढ़ने स्कूल नहीं गए थे। परंतु उसकी बहन गॉंव के स्कूल में पढ़ने जाती थी। अब तो सभी लोग शहर आ गये थे। पापा को शहर में कोई काम ढूँढना था और उसकी माँ ने पास के कुछ घरों में सफाई का काम ले लिया था। बिट्टू और उसकी बहन का शहर के स्कूल में दाख़िला भी कराना था।
एक दिन बिट्टू के पापा बिट्टू और उसकी बहन को लेकर पास के स्कूल में दाख़िला करने गए। मैडम ने बिट्टू के पापा को दाखिले का फॉर्म भरने के लिए दिया, पर बिट्टू के पापा को तो पढ़ना-लिखना आता ही नहीं था। बिट्टू के पापा ने उसकी बहन से कहा कि क्या तुम ये फॉर्म भर सकती हो। पर उसकी बहन भी अभी छोटी ही थी। उसने कहा मुझे भरना तो नहीं आता पर रुको, मैं ये फॉर्म भरवा कर लाती हूँ। बिट्टू की बहन भागकर गई और स्कूल के बाहर किताबों की दुकान थी। वह दुकान वाले भैया से दोनों फॉर्म भरवा कर ले आई और दोनों का दाख़िला स्कूल में हो गया।
मैडम ने कहा कि दोनों को कल से स्कूल भेज देना।
अगले दिन सुबह बिट्टू और उसकी बहन तैयार हो कर स्कूल के लिए चल दिए। रास्ते में बिट्टू अपनी बहन से बोला “दीदी हमारे पापा को तो पढ़ना-लिखना आता नहीं है फिर हमे क्यों स्कूल भेज रहे हैं।” बिट्टू की दीदी ने समझाया “पापा इसलिए नहीं पढ़ सके क्यों कि तब गॉंव में कोई स्कूल ही नहीं था । पापा जब छोटे थे तो वे दादा जी के साथ काम करते थे। दीदी बोली , "हमारे पापा हमें पढ़ाने के लिए तो शहर लाए हैं। हमारी मम्मी भी दूसरों के घरों में जाकर काम इसलिए करती हैं ताकि हम अच्छे से पढ़ सकें।
बिट्टू दीदी की सारी बातें बहुत ध्यान से सुन रहा था। शाम को जब वो घर आया तो उसने अपने पापा से कहा कि पापा - मम्मी मैं और दीदी मिलकर आपको पढ़ना - लिखना सिखाएँगे। बिट्टू की बात सुनकर पापा-मम्मी और दीदी ज़ोर से हँसने लगे। बिट्टू की मम्मी ने बिट्टू को अपनी गोद में बिठा लिया और बोली “हाँ तुम हम दोनों को पढ़ना - लिखना सीखा देना पर पहले ये तो बताओ आज तुमने स्कूल में क्या-क्या सीखा।
