राजू की मुस्कुराहट
राजू की मुस्कुराहट
उस्मान का घर बहुत बड़ा था, उसके घर में कुछ किराएदार भी रहते थे। अभी पिछले महीने ही उसके घर में, एक नए परिवार ने एक कमरा किराये पर लिया था। उस परिवार में माँ -पिता और उनका एक बेटा था। उसका नाम था राजू। उस्मान रोज़ ही उस परिवार को देखता कि राजू की माँ उसका बहुत ख्याल रखती है। उसे रोज़ अपने हाथों से नहलाती और अपने हाथों से ही खाना खिलाती। उस्मान सोचता- राजू तो बड़ा बच्चा है, वो खुद भी नहा- खा सकता है। परंतु राजू कभी घर से बाहर ही नहीं निकलता था। एक दिन उस्मान, राजू के पास गया और बोला, "चलो ! हम दोनों खेलते हैं।" पर राजू ने कोई जवाब नहीं दिया, बस उस्मान की ओर देखकर मुस्कुराता ही रहा। उस्मान ने देखा कि राजू के हाथ पैर कुछ अजीब ढंग से हिलते ही रहते हैं। उसका अपने हाथ -पैरों पर कोई काबू ही नहीं है। उस्मान ने फिर से बोला, ”मेरे साथ खेलोगे?“ पर राजू तो बस मुस्कुरा ही रहा था, कुछ बोलता ही नहीं
उस्मान को ये सब कुछ अजीब लगा। रात को उस्मान, माँ के पास लेटा हुआ था। उसने माँ से पूछा,”माँ , ये राजू कुछ अजीब सा है। कुछ बोलता ही नहीं, बस मुस्कराता ही रहता है। उसके हाथ पैर भी हिलते रहते हैं।” माँ ने उस्मान को बताया कि राजू जन्म से ही ऐसा है और वो ठीक भी नहीं हो सकता। राजू जन्म से ही विशेष बच्चा है। उस्मान को कुछ समझ नहीं आ रहा था, पर उसको तो राजू की मुस्कुराहट बहुत अच्छी लगी थी। अब उस्मान रोज़ शाम को राजू के पास जाता और बहुत सारी बातें करता, राजू कुछ बोलता तो नहीं मगर उस्मान की बातें सुनकर बहुत मुस्कुराता। कुछ दिनों में तो ऐसे लगने लगा कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है। राजू रोज़ शाम को उस्मान का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार करता था।
