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घिन

घिन

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सरकारी अस्पताल में एक स्त्री के सर्जरी से बच्चा हुआ था वह अभी हिल-डुल नहीं पा रही थी । नर्स उसको देखने आई । उस स्त्री के साथ वाली महिला से बोली "माँ जी, अपनी बेटी के कपड़े बदलवा दीजिये, इनके कपड़े खराब हो गए हैं।"

महिला ने ध्यान से जच्चा की तरफ देखा, और बोली "ये मेरी बेटी नहीं बहू है।" फिर नाक सिकोड़ते हुए बोली "मुझे घिन आती है गन्द में हाथ डालने से। वैसे भी ये काम आया के करने के होते हैं।"

"अच्छा ! लेकिन, अगर इसकी जगह आपकी बेटी होती तब तो आप उसके तो कपड़े बदलवा देती ?"

महिला कुछ बोलती उससे पहले ही नर्स ने कहा "जब आप बूढ़ी हो जायेंगी और आपके हाथ पैर थक जाएँगे। तब आपकी ये बहू अगर ये कहे कि आप इसकी माँ नही सास हैं, इसलिए ये आपकी सेवा नहीं करेगी तब आपको बुरा तो नहीं लगेगा ?"

नर्स की खरी-खरी सुनकर वह महिला अनमनी-सी अपनी बहू के कपड़े बैग से निकाल उसकी तरफ बढ़ने लगी तो नर्स ने उनके हाथ से कपड़े ले लिए और बोली लाओ "आंटी मैं बदलवा देती हूँ। हमारा तो फर्ज है ये करने का।"

वह महिला इधर-उधर देखने लगी वार्ड में उपस्थित सभी लोग उनकी तरफ ही देख रहे थे । उतनी देर में एक आया भी आ गई नर्स और आया मिलकर जच्चा के कपड़े बदलवाने लगी तभी नर्स ने एक और तीर छोड़ा- "सुनो आंटी, जब बुढ़ापे में आपकी बहू आपकी सेवा से कतराये, आपके मल-मूत्र के कपड़े बदलने से इसको भी घिन आने लगे तो आप भी यहीं आ जाना। हम आपकी भी सेवा कर देंगे। फिर हम तो सरकारी नौकर हैं हमें तो तनख्वाह ही इसी काम की मिलती है।"


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