Brajesh Singh

Drama

3.8  

Brajesh Singh

Drama

एनिमल

एनिमल

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कहानियां कैसे शुरू होनी चाहिए ? एक राजा था एक रानी थी ! ऐसे या फिर कहानियों को किसी और तरह से शुरू करने के लिए थोड़ी शराब पीनी चाहिए और फिर जैसे समझ आये वैसे लिख देना चाहिए। मेरे ख्याल से कहानियों के लिए हमें ज्यादा सोचना नहीं चाहिए। कहानियों को बस ऐसे ही लिख देना चाहिए। कहानियां ऐसे भी तो शुरू की जा सकती है की एक आदमी प्याज छील रहा था। प्याज के छिले जाने से भी कहानी शुरू हो सकती है न। भूख की कहानी अगर प्याज छिले जाने से शुरू की जाए तो क्या बुरा है...। कुछ भी नहीं....। इस दुनिया में अच्छा क्या है बुरा क्या है....

कभी आपने सोचा है ये दुनिया किसी श्वेत श्याम फिल्म की तरह होती तो कैसा होता..। बेशक हमें अच्छा नहीं लगता। लेकिन जब अगर किसी ने कभी कोई रंग देखे ही नहीं होते तो ये श्वेत श्याम दुनिया भी सहज और सामान्य होती। अभी जो हमलोग जीवन जी रहें उसमें रोजाना हम कई रंग देखते हैं। हमें ये दुनिया सहज लगती है। हम इसी दुनिया को सच मानते हैं। लेकिन ये भी तो मुमकिन है की हम इस दुनिया के बहुत कम रंग देख पाते हों। बहुत कम रंग। क्या ऐसा मुमकिन हो सकता है की इस दुनिया में जितने रंग हैं या जितने रंग हमने अबतक देखें है उस से भी ज्यादा रंग हो ? हो सकता है न..। शायद..। हो सकता है...

ये प्याज छीले जाने से शुरू होने वाली कहानी भी एक ऐसे ही श्वेत श्याम दुनिया की कहानी है। एक आदमी जिसकी शक्ल और सूरत वैसी ही हैं जैसे आपके किसी प्रेमी या सबसे ज्यादा पसंदीदा दोस्त की होती है। एक लेखक अपने पाठकों को अपने कहानी के किरदार के बारे में ये बताये बिना भी की किरदार का चेहरा गेरुआ था, सांवला था, आँखें भूरी काली बड़ी छोटी थी, जबड़े चौड़े या छोटे थे, कद काठी लम्बी थी चौड़ी थी या ठिगने कद का था...। ये इतनी बाते बताये बिना भी लेखक अपने किरदार के चेहरे को आपके आँखों के सामने ज़िंदा कर सकता है.। लेखक यहाँ आपकी आँखों को एक विकल दे रहा है..। आप अपने-अपने हिसाब से इस किरदार को चेहरा दे सकते हैं।

ये आदमी चौप्पिंग वुड पर प्याज काटते हुए सुंदर लग रहा है। इस आदमी की आँखें थोड़ी नम है। शायद प्याज की वजह से। ये जो शायद शब्द है न बहुत ही जलील शब्द है। पूरी दुनिया में ज्यादातर गलतफहमियां और मुगालते इसी 'शायद' शब्द की वजह से हैं। लेकिन यहाँ इस आदमी की आँखें थोड़ी नम है। ये आदमी अपने किचन में खड़ा है। किचन के ठीक बगल वाले कमरे में मौजूद एक स्पीकर से किसी मरे हुए गायक की एक ग़ज़ल चल रही है। आदमी चले जाने के बाद भी जीवन में ज़िंदा होता है। इस बात को सबसे पहले या तो प्याज से निकलने वाले वो केमिकल जानते हैं या फिर नम आँखें।

ग़ज़ल सुनते हुए सिगरेट पीते हुए तथा किचन में काम करते हुए लड़के, लड़कियों को शायद सुन्दर लगते होंगे। ये शायद शब्द बहुत जलील शब्द है। ये आदमी अपने किचन के कैबिनेट में मसाले ढूंढ रहा है। हम सब अपने जीवन के कैबिनेट में भी तो अक्सर यहीं ढूंढा करते हैं। मुझे पता है इस सस्ते मेटाफर के लिए लोग मुझे माफ़ नहीं कर पाएंगे। दुनिया में बहुत कम लोग हीं माफ़ कर पाते हैं। उसे भी माफ़ नहीं किया गया था। शायद इसलिए उसके किचन कैबिनेट में ढेर सारे सोया मिल्क के गैलन खाली पड़े थे। अगर ये सोया मिल्क के गैलन भरे होते तो शायद वो आज गरम मसाला और चिकन मसाला नहीं ढूंढ रहा होता।

वो चाहे खाली डब्बे हो या खाली दिल। इनके अंदर का खालीपन आपको समय के पीछे खींचता है। समय के उस जर्रे में जब कुछ खाली नहीं होता। उस आदमी को बार बार पीछे जाना अच्छा नहीं लगता था लेकिन वो सोया मिल्क के खाली गैलन को देखकर थोड़ा पीछे चला गया।

"क्या खाओगी" वेज हो या ननवेज" पहली बार डेट पर जाने वाले आशिकों की आवाज में लड़की के लिए खाना पूछते समय जो खनक होती है न उसी खनकती आवाज से उसने सामने वाली लड़की से पूछा।

उसने थोड़ा मुस्कुराकर और थोड़ा अपने आप को अलग जताने के अंदाज से जवाब दिया ""मैं प्योर वेजेटेरियन हूँ, प्योर। वेजेटेरियन"

"पनीर तो खाती होगी ना"

"अरे पनीर भी वेज थोड़े होता मैं ऐसा कुछ भी नहीं खाती जो एनिमल्स प्रोडक्ट होता है..। यु नो आई एम् अ वेगान"

पहली बार बिहार से दिल्ली आने के बाद जिंदगी में पहली बार एस्केलेटर देखने के बाद मन में जो दुविधा उतपन्न होती है ठीक वैसी ही दुविधा को समझने की कोशिश के दौरान लाये जाने वाले भाव को लाते हए उसने पूछा। "ये क्या होता है"

"अरे वो लोग जो ऐसे चीजें खाते हों जो पूरी तरह से प्लांट्स से ही आती है वो वेगन कहलाते हैं "

"मतलब दूध तो शाकाहारी होता है..। वो भी नहीं पीती.."

"नहीं, उसकी जगह सोया मिल्क पीती हूँ..। और इसी मिल्क से और भी चीजे बनती है जैसे तोफू.। सोयामिल्क का पनीर" 

"सोया मतलब वो जिससे सोयाबीन का बड़ी बनता है वहीँ न.। न्यूट्रेला वाला"

"हाँ वही वही"

एक भोले भाले बिहारी आदमी को किसी प्यारी सी चश्मे वाली लड़की से प्यार हो जाने के लिए इतना काफी था.

"पता है हम तो पहले मुर्गा मीट खाते थे लेकिन आज तुम्हारी बातों के बाद अहसास हुआ है की हमको भी ये सब नहीं खाना चाहिए" 

"एग्जैक्टली, मतलब जानवरों को मारकर खाना कहाँ सही है..। वो भी तो जीव हैं उनके अंदर भी......."

वो उस से पहले अपनी बात खत्म करती उसने उसकी बात रोकते हुए पूछा "तुम पेटा वेटा से हो का"

"नहीं, पर फॉलो करती हूँ उन्हें। एनिमल लवर हूँ"

"एक बात बोलूं...। मैन आर आल्सो कॉल्ड सोशल एनिमल..। एन्ड आई एम् अ सोशल एनिमल" उसने अपने जीवन में एक बार इस से ज्यादा अंग्रेजी नहीं बोली थी। वो इस वाक्य को बोलकर शर्मा गया था। सामने बैठी लड़की भी इस बात को सुनकर शर्मा गयी थी। और जो लड़का समझाना चाह रहा था समझ गयी थी....

उस दिन लड़का लड़की को पहली बार अपने घर ले गया था। उसने लड़की को बताया की अकेले रहता हूँ.

"ये मुर्गा..। ये कितना क्यूट है.....। कितना कलर फूल है..। तुम्हारा पेट है? 

"हाँ, हाँ ये.। कूटकूट है मेरा पेट एनिमल..। मतलब पेट बर्ड" 

आदमी जब प्रेम में होता है तो अचानक से प्यारे वाले झूठ बोलना सीख लेता है। उस आदमी ने ये देसी मुर्गा बहुत दूर बिहारी मार्किट से जाकर खरीदा था। फ़ार्म वाले चिकन खाकर उसका मन भर गया था इसलिए वो आज शाम लड़की से मिलकर आने के बाद इस मुर्गे का चिकन करि बनाने वाला था। आज से वो वेगान हो गया था इसलिए झूठ बोलते हुए और तुरंत एक पेट एनिमल का नाम सोचते हुए कहा की ये कुटकुट है उसका पेट एनिमल मतलब पेट बर्ड....। उसने सोचा नहीं था की जिसे पेट में जाना था अब वो उसका पेट हो चूका है..। ये हिंदी और अंग्रेजी के सामान उच्चारण वाले शब्दों के अर्थ में काफी फर्क होता है..

"ये तुम्हारा पेट है तो तुमने इसे बांधकर क्यों रखा है..। कितना पेन हो रहा होगा उसको" उस लड़की ने अपना एनिमल लव का एक उदहारण पेश करते हुए कहा.

"अरे पता है बहुत लव करते हैं हम कूटकूट से एकदिन नहीं बांधे थे तो बाहर चली गयी थी और बगल के मिस अंजना की बिल्ली इसको दबोचने ही वाली थी की हम बचा लिए। तभी से हम इसको बाँध कर रखते हैं."

"कोई नहीं हम इसके लिए एक सेफ हाउस बनाएंगे...। "

उसकी सिगरेट बुझ चुकी थी और वो उन बीते दिनों की यादों से बाहर लौट चुका था। उसने सबसे पहले किचन में मौजूद उन सारे सोया मिल्क के गैलन को फेंका और एकऑनलाइन स्टोर से कुछ मसाले आर्डर किये और दिन की पांचवी सिगरेट जलाई..। सिगरेट बोलते हैं क्या ? नहीं न.। पर उस दिन दिन की उस पांचवीं सिगरेट ने सुलगने के 15 सेकंड बाद एक जानी पहचानी लड़की की आवाज की मिमिक्री करते हुए कहा "क्यों पीते हो इतनी सिगरेट.। मत पीया करो ना......" सिगरेट के इतना कहने पर वो एकबारगी अचानक से कह बैठा की अरे आज से नहीं पियूँगा। लेकिन जब उसे इस बात का अंदाजा हुआ की उसे अब सिगरेटों से बात नहीं करनी चाहिए तो उसने उस सिगरेट का एक लंबा कश लिया और किचन के नल से बुझा दिया। उसने फिर दिन की छठी सिगरेट सुलगा ली। दिन की छठीसिगरेट उस से कुछ नहीं बोली। वो किचेन के स्लैब पर चूल्हे के पास बैठकर तबतबक सिगरेट पीटा रहा जबतक उसके घर के दरवाजे की घंटी नहीं बजी।

घंटी की आवाज सुनकर उसे अंदाजा लग गया था की वो शायद डिलीवरी वाला लड़का होगा जो मसाले लेकर आया होगा। वो अपने बैडरूम में गया और बेडके बगल वाले ड्रावर में अपना पर्स ढूंढने लगा। अक्सर ऐसा कई बार होता है की आदमी किसी चीज की तलाश में होता है और उसे कोई और चीज मिल जाती है। उसकी पहली तलाश यहीं रुक जाती है। उसे उस ड्रावर में दो चीजें मिली। एक उसका वॉलेट और दूसरी उस लड़की की तस्वीर। वो ड्रावर खाली हो चुका था। खाली चीजें खींचती है। समय के पीछे ले जाती हैं। वो उस दिन दूसरी बार समय के पीछे गया।

कमरे में घंटी की आवाज गूंजी थी। वो दौड़कर दरवाजे के पास गया। दरवाजे के पास जाने से पहले उसने ड्राइंग रूम के टेबल पर पड़े बड्डे केक और गिफ्ट को छिपा दिया। वो बहुत खुश था। उसकी प्रेमिका का जन्मदिन था। उसने दरवाजा खोला और उसे सामने पाकर उसको गले से लगा लिया। आदमी जब एकदम अचानक से किसी से लिपट जाता है तब वो उस शख्स का चेहरा नहीं देख पाता। लड़के ने भी लड़की का मुरझाया और परेशान चेहरा नहीं देखा। जब लड़की ने उसे समय से पहले उसके बाजुओं से खुद को छुड़ाया तब लड़के ने पूछा " क्या हुआ सब ठीक तो है ? परेशान क्यों लग रही हो। अरे तुम्हारा बड्डे है आज हैप्पी बड्डे"

"अतुल, तुमसे मुझे एक जरुरी बात कहनी है। मैं अब तुम्हारे साथ नहीं रह सकती। चीजें ठीक नहीं हैं| मेरी शादी तय हो गयी है। मैं अगले हफ्ते अमेरिका जा रही हूँ। लड़का वहीँ एक कंपनी में मैनेजर है। अच्छी खासी सैलरी है। घर है उसका। तुम्हारे साथ मैंने अपने लाइफ के कुछ अच्छे मोमेंट्स बिताये हैं। लेकिन शायद मुझे लगता है मैं अमेरिका में उसके साथ इस से भी ज्यादा अच्छे मोमेंट्स बिता पाउंगी। तुम मुझे स्वार्थी मत समझना। मतलब अब तुमसे उतना प्यार भी नहीं रहा। अनलव् सा हो गया है धीरे-धीरे|......

"क्या बोल रही हो..। मतलब क्या है ये..। सब ठीक हो सकता है.। अमेरिका बड़ी चीज नहीं है..। आई लव यु.। आई लव यु मोर बहुत ज्यादा..। ठीक हो जाएगा सब.। बन जाऊँगा बड़ा आदमी.। तुम्हारे उस अमेरिकन से भी ज्यादा बड़ा आदमी.........

"खुली आँखों से देखे गए सपने सच नहीं होते हैं अतुल...."

उसे उस दिन लगा की कभी कभी ऑक्सीजन भी आदमी का दम घोंट सकती है इसलिए उसने एक सिगरेट सुलगा ली और सोफे पर बैठ गया.

"मैं जा रहीं हूँ| शायद अब दुबारा कभी न आ पाऊं। और हाँ प्लीज सिगरेट पीना बंद कर दो"

"जो लोग किसी को इस सिगरेट के बट की तरह रौंदते हुए छोड़कर चले जाते हैं उनके मुँह से ऐसी बातें सही नहीं लगती। तुम जाओ अब। जाओ..। नहीं रुको इधर आओ..."

चूमने की आवाज बहुत धीमी होती है लेकिन थप्पड़ हमेशा गूंजते हैं। उस दिन पहली बार उसने उसे थप्पड़ मारा। कई बार थप्पड़ हम किसी को हार्म पहुंचाने के लिए नहीं मारते। कई बार थप्पड़ हम इसलिए मर देते हैं ताकि उसे बता सकें की जिंदगी जब तमाचा मारती है तो कितना दुःख होता है।

वो एक थप्पड़ खाने के बाद कुछ देर खड़ी रही। लड़के को तुरंत अपने इस हरकत पर गुस्सा आया और वो उसके पास जाते हुए रोतेहुए बोला मत जाओ..। सॉरी...

"तुम जानवर हो। You are barbaric like an animal.."

लड़के ने उस लड़की के मुँह से आखिरी बार यही बात सुनी। लड़की दरवाजा बंद के चली गयी। और वापिस नहीं आया।

वो समय से वापिस लौटा और दरवाजा खोल दिया। दरवाजे के सामने वो मसाले वाला लड़का खड़ा था। उसने उसे पैसे दिए और वापिस अपने किचन में आ गया। आखिरी बार वो लड़की इसी तारीख को एक साल पहले उसके इस घर गयी थी। फ्रीज में आज भी एक बड़े केक था। फ्रीज में जहाँ बड़े केक रखा था वहीँ एक बड़े कटोरे में चिकन के टुकड़े थे। आज सुबह से प्याज छिलने और मसाले खरीदने तक का सारा काम उसने इस चिकन को पकाने के लिए ही किया था।

वो एक मशीन की तरह फ्रीज के पास आया और कड़ाही में चिकन को प्याज के साथ पकने के लिए छोड़ दिया। जबतक चिकन पक कर तैयार होता उसने फ्रीज से केक को निकला और मेज पर रख दिया। केक पर प्यारे अक्षर में लिखा था हैपी बड़े शालिनी। उसने मोबाइल को मेज से थोड़ी दूर इस तरह रखा की वो केक काटते हुए खुद को रिकॉर्ड कर सकें। वो चाहता था की वो उसे ये वीडियो भेजकर से हैप्पी बड़े विश करे। केक काटते हुए वो थोड़ा रो रहा था। ठीक वैसे ही जब वो सुबह सुबह कूटकूट की गर्दन काटते हुए रो रहा था। वो रोने के बाद शैतान बन जाता था। शायद इसलिए उसने आज कुटकुट को काटने के बाद उसे कह जाने की सोची। वैसे भी आज रविवार का दिन था और उसने शराब पी थी। शराब पीने के बाद आदमी या तो शैतान बनता है या भगवान।

चिकन पक कर तैयार हो चुका था। वो मेज पर चिकन और शराब लेकर बैठ गया और चिकन खाने से पहले उसने शालिनी को एक वीडियो भेजा। ये वीडियो वो वीडियो नहीं था जो उसने केक काटते हुए रिकॉर्ड किया। इस वीडियो में वो कूटकूट को एक तेज चाक़ू से काटते और मुस्कुराते नजर आ रहा था.

वीडियो भेजे जाने के बाद उसे तुरंत शालिनी का एक मैसेज आया। उसने मैसेज खोलकर पढ़ा नहीं। उसे पता था उस मैसेज में क्या लिखा होगा ""तुम जानवर हो." उसने मोबाइल को बंद कर के एक तरफ रख दिया और शराब के एक लंबा घूँट लेने के बाद चिकन का लेगपीस खाने लगा।


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