एक गलती
एक गलती
कहते हैं मां-बाप की जिम्मेदारी बच्चों के बड़े होते तक ही रहती है लेकिन क्या यह सच है मुझे तो लगता है कि जब बच्चे होते हैं तब से मां-बाप की जिम्मेदारी शुरू होती है और शायद वह कभी भी खत्म नहीं होती या कह सकते हैं कि जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं वैसे वैसे उनकी इस जिम्मेदारी के चेहरे बदलते हैं पर जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होती यह सब सोच रही थी अनीता और सोचते-सोचते वह अपने लड़की के बारे में कहने लगी अपनी मालकिन से जिसके हां वह काम करती थी ,, "संगीता काकू मुझे समझ में ही नहीं आता कि मैं अपनी लड़की को कैसे समझाऊं। गीता अब बड़ी हो रही है और अब उसकी जींद और इच्छाएं बढ़ती ही जा रही है. अब उसे कपड़े किताबें हर एक चीज नई चाहिए रहती है. हर एक चीज के लिए जिद करती करती है. मै कमाती ही कितना हूं की उसके लिए हर एक चीज कहां से लेकर आओ अगर मैं उसे नहीं लाकर देती तो वह गुस्सा करती है. कहीं और से वह चीज पानी की कोशिश करती है। मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता कई बार उसे प्यार से समझाती हूं कई बार उसे मारती भी हूं कई बार अपने आप को ही समझाती हूं पर क्या करूं काकू अब बहुत डर भी लगता है." ऐसा कहते हुए वह बहुत परेशान थी और बस दो-तीन दिन बाद अनीता रोते हुए घर पर आती है और कहती है "संगीता काकू मैं क्या करूं गीता का कुछ पता नहीं चल रहा घर के आसपास भी नहीं है सुबह उसे स्कूल भेजा था स्कूल से वह आई ही नही स्कूल में जाकर देखा तो वहां से कुछ खबर ही नहीं मिली रात के 8:00 बज गए हैं और उसका कुछ पता नहीं है मैं क्या करू?" खूब रोते हुए वह बोली संगीता काकू ने पुलिस के पास जाने की सलाह दी ।
अनीता पुलिस का नाम सुनते ही बहुत घबरा गई और कहने लगी "पुलिस क्या करेगी शायद कहीं गई हो। मैं पता करती हूं" कहकर वह संगीता के घर से चले गए अपने रिश्तेदारों को फोन किया जिससे हो सकता था पता लगाने की कोशिश की पर किसी ने कुछ नहीं कहा आखिर डरते हुए वे दूसरे दिन पुलिस के पास गई और कहा मेरी लड़की कल से घर नहीं आई है स्कूल गई थी वह केवल 12 साल की थी पुलिस ने शिकायत लिखी और कहा जैसे भी कुछ पता चलेगा हम खबर देगे। और उसका फोन नंबर ले लिया वे फिर भी बहुत परेशान थी आखिर कहां गई रोते हुए संगीता काकू से कहने लगी "काकू 3 दिन से वह मोबाइल के लिए जिद कर रही थी पता नहीं कौन सी सहेली के पास मोबाइल देखा कह रही थी मुझे भी वैसा ही मोबाइल होना मैंने प्यार से समझाया बोला पर उसे समझ नहीं आया और आज देखो कहां चले गई है मैं क्या करूं इस लड़की का" कहां गई होगी सोच सोच कर भी बहुत डर रही थी रो रही थी.
उस के हाल तो बेहाल हो गए थे लड़की की चिंता में पर गीता का कुछ पता ही ना चला दिन महीने महीने साल में बीत गए पर गीता का बस का कुछ पता ना चला अचानक कुछ सालों बाद पुलिस का फोन आया और कहा कि कुछ लड़कियां पकड़ी गई है आप आकर देख लीजिए अनीता बहुत खुश हुई जाकर पुलिस स्टेशन में देखा तो उसमें गीता भी थी वह खुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी लेकिन जब पुलिस ने उसे बताया कि गीता लड़कियों के उन समूह में पकड़ी गई है जिसमें लड़कियां अपना जिस्म बेचने का काम करती है। वह हैदराबाद से आ रही थी यह समूह हैदराबाद का है. अनीता को कुछ समझ में ही ना आया पहले तो वह अपनी किस्मत को पूछने लगी कि फिर उसने ने गीता को दोष दिया फिर उसने भगवान को दोष दिया फिर उसने अपनी किस्मत को दोष दिया आखिर आखिर गलती किसकी थी गीता ने इतनी बड़ी गलती कैसे कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था पर गीता उसकी लड़की थी और वह उसे अकेला पुलिस स्टेशन में और इस काम में कैसे छोड़ती इसलिए वह उसे पुलिस स्टेशन से घर लेकर आए.
घर में आने के बाद उसने गीता से बात की बात करते-करते गीता ने उसे बताया "मां उस दिन जब मैं तुझसे गुस्सा थी मैं स्कूल गई और राहुल ने पूछा क्या हुआ गीता तुम क्यों दुखी हो आखिर क्या हुआ है राहुल मेरा बहुत अच्छा दोस्त था मा उसके बहुत बार पूछने में मैंने उसे बताया मुझे मोबाइल चाहिए पर मां लेकर नहीं दे रही है. उसने कहा इतनी सी बात मैं तुम्हें लेकर देता हूं. मैंने उसे मना भी किया पर उसने जिद की और मुझे अपने साथ लेकर गया स्कूल के बाहर उसने ऑटो किया और मुझे अपने साथ लेकर गया पहले हम एक चाय की दुकान पर गए उसने मुझे चाय पिलाई और कहा इसके बाद हम मोबाइल की दुकान में जाएंगे और तुम्हारे लिए एक अच्छा सा मोबाइल ले लेंगे अच्छी बात है अगर तुम्हारे पास मोबाइल होगा तो तुम मुझसे बहुत सारी बातें भी कर सकोगी और हमारी दोस्ती बहुत पक्की होगी। कहते-कहते हमने चाय पी और पता नहीं चाय पी के जब हम ऑटो करके बैठे तो मुझे अजीब सी नींद आ गई और मैं सो गई जब उठी तो मैं हैदराबाद में एक काकू के पास में थी वह बहुत अलग सी थी उन्होंने मुझे अजीब से कपड़े दिए और बोले यह पहन लो मुझे कुछ समझ में ना आया. मैं बार-बार उनसे राहुल के बारे में पूछ रही थी पर उन्होंने कुछ भी ना बताया मैं बहुत रोई और तुम्हारी याद भी की मां पर मैं क्या करूं मुझसे यह गलती हो गई थी शायद तुम सच ही कहती थी अगर मैं इन फालतू चीजों के लिए जिद ना करती तो शायद यह सब ना होता मां वह काकू मुझे बहुत मारती और मैं जो कहना ना सुनती तो मुझे बहुत मार दी और कहती मैं जितना कह रही हूं उतना कर अजीब अजीब से इंजेक्शन लगाती थी मुझे कुछ समझ में ना आया मां मैं कब बड़ी हो गई कुछ दिनों पहले उन्होंने मुझे एक होटल में भेजा और कहा यहां अंकल आयेगे वह जो कहेंगे वह तुमने करना मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था अचानक वहां पुलिस आई और मैं पुलिस के साथ और कुछ दीदी के साथ यहां पहुंच गई" अनीता यह सब सुनकर बहुत रोई और अपनी बेटी को एक प्यारी सी झपकी दी खूब प्यार किया और कहा अब जो हुआ सो हुआ अब तू मेरे पास है और सब ठीक है जो भी तेरे साथ हुआ वह भूल जा।
अनीता दूसरे ही पल सोचने लगी गीता को कह तो दिया है कि सब भूल जा क्या। लेकिन क्या उसके लिए यह सब भुलाना संभव है क्या वह सब भुला पाएगी क्या वह एक नई जिंदगी शुरु कर पाएगी क्या लोग हमें जीने देगे आखिर गलती किसकी थी मेरी गरीबी की या उस लड़के की या गीता की नासमझी कि भगवान यह तूने क्या कर दिया एक गलती की इतनी बड़ी सजा क्या लोग हमें रहने देंगे क्या लोग उसे बार-बार उसकी गलती याद ना दिलाएंगे आखिर मैं क्या करूं रात भर वह बहुत कुछ सोचती रही और वह उस शहर को छोड़कर गीता को लेकर दूसरे शहर चले गए शायद वह वहां एक नई जिंदगी शुरु कर सकें।
