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priyanka jaiswal

Children Stories Tragedy Inspirational

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priyanka jaiswal

Children Stories Tragedy Inspirational

कर्म

कर्म

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रोज की तरह आज सुबह भी मैं आंगन मैं रंगोली डाल रही थी डालते डालते मेरी नजर बाहर खेल रहे बच्चों पर गई वह वह एक कुत्ते को परेशान कर रहे थे जहां वह जा रहा था उसके पीछे पीछे जा रहे थे वे उन पर गुस्सा कर रही थी पर वह सुन नहीं रहे थे वह कुतिया के पीछे पीछे जा रहे थे पर बच्चे तो बच्चे होते हैं वह कहां सुनते है। उसके पीछे पीछे जा रहे थे। मैंने देखा और जोर से आवाज लगाई जैन शाश्वत मीतू श्रवण रिया क्या कर रहे हो तुम लोग क्यों उस कुतिया को परेशान कर रहे हो चलो जाओ यहां से पर वह बच्चे मेरी बात भी ना सुने और गाड़ी के नीचे आगे पीछे हो के देखने लगे मुझे कुछ समझ में ना आया अचानक से उस घर से एक आंटी निकली और उन्होंने कहा, क्या हुआ बच्चों ,फिर उन बच्चों ने कहा आंटी यह जो छोटा कुत्ता है आपके पास में वह इस का बच्चा है उसने कल ही इसे जन्म दिया है वे उसे ढूंढ रही है वे आंटी ने कहा अच्छा अच्छा ऐसी बात है क्या ठीक है मैं उसे बाहर कर देती हूं ठंडी से वह रात में कप कंपा रहा था इसलिए मैंने उसे अंदर कर दिया था और कुछ खाने को दे दिया था ऐसा बोलकर आंटी ने उसे बाहर कर दिया जैसे ही वह बच्चा बाहर निकला तुरंत अपनी मां के पास गया और उसका दूध पीने लगा मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मन में सिर्फ एक ही बात आई यह है सच्चा कर्म जो हम बिना किसी मतलब बिना किसी डर और बिना लालच के करते हैं सच्ची सेवा शायद इसे ही कहते हैं l


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