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jassimar Vohra

Drama

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jassimar Vohra

Drama

एक अनचाहा सपना

एक अनचाहा सपना

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कभी कभी कुछ ऐसे ख्वाब आता है, जो मुझे अंदर तक झंझोर जाते हैं।

एक बार तो ख्वाब में खुद को एक सुनसान अंधेरे जंगल में भटकता हुआ पाती हूं। थक हार कर एक पेड़ के नीचे जा कर बैठी ही थी कि अचानक से पेड़ की टहनियों ने मुझे पकड़ कर अपनी ओर खींचता शुरू कर दिया।

देखते ही देखते पूरा जंगल एक दल -दल में तब्दील होता जा रहा है और में उस दल - दल में धँसती जा रही हूं।

मैं खुद को जितना बाहर निकालने की कोशिश कर रही हूं, उतनी ही तेज़ी से उस दल-दल में धस रही हूं, तभी अचानक से मेरी नींद खुल जाती है और मैं खुद को सुरक्षित अपने घर में पाती हूं।

याद कर वो ख्वाब आज भी मेरी रूह कांप उठती है।


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